कानपुर की टेनरियां अब खुद धोएंगी अपना कलंक
रमईपुर में बन रहा मेगा लेदर क्लस्टर जीरो लिक्विड डिस्चार्ज, यानि जेडऐलडी तकनीकि कि सौ फीसदी लैस होगा। इसका मतलब यह कि प्रदूषित पानी और सॉलिड वेस्ट टेनरी से बाहर नहीं आएंगे। उनकी रीसाइकिलिंग कर अंदर ही उनका दोबारा प्रयोग संभव हो जाएगा।
इस
तरकीब
को
एक
दर्ज
टेनिरियां
में
भी
लागू
कर
दिया
गया
है।
देश
के
सात
मेगा
लेदर
क्लस्टरों
में
से
एक
रमईपुर
में
विकसित
हो
रहा
है।
यहां
टेनरी
गाने
की
नओसी
ही
जीरो
लिक्विड
डिस्चार्ज
सिस्टम
लागू
करने
पर
मिलेगी।
इस
तकनीकि
का
ही
कमाल
है
कि
पानी
को
दोबारा
इस्तेमाल
किया
जा
सकता
है।
इटली
में
300
से
ज्यादा
लेदर
क्लस्ट
जेडएलडी
तकनीकि
से
लैस
हो
चुके
हैं।
क्या है तकनीकि
इस तकनीकि में बायोलॉथ्जकल के साथ बायोलॉथ्जकल ट्रीटमेंट की तकनीकि अपनाई जाती है। जिससे सॉलिड वेस्ट की मात्रा 60 प्रतिशत तक घट जाती है क्योंकि एक बड़ा हिस्सा एनर्जी में तब्दील होकर उड़ जाता है। इस विधि में सॉलिड वेस्ट का नाइट्रिफिकेशन किया जाता है फिर डी-नाइट्रीफिकेशन कर उसका दोबारा नाइट्रिफिक्ेशन होता है।
इसमें निकलने वाली मीथेन गैस को गैस सक्रबर में ले जाकर उसे नष्ट कर दिया जाता है, जिससे बदबू नहीं फैलती है। खास बात यह कि रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए 24 घंटे इस तकनी की मॉनीटरिंग की जाती है। चर्म उद्योग का कहना है कि विदेशों में 35 साल से इस तकनीकि को अपनाया जा रहा है।
इसे स्थापित करने में करीब 3.50 करोड़ रुपए प्रति एमएलडी का खर्च आता है। समूचे कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट एनोरॉबिक पद्धति का है और इसमें ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ती। इस प्लांट में बैक्टीरिया पैदा किए जाते हैं जो प्रदूषित पदार्थों को खाकर पानी साफ कर देत हैं। इसमें भी मीथेर गैस का निर्माण होता है। इस प्लांट की क्षमता 9 एमएलडी टेनरी और 27 एमएलडी रिहायशी वेस्ट की है।