कानपुर के चर्चित रेप-हत्याकांड में हुआ इंसाफ, मासूम के गुनहगार को कोर्ट ने दी कड़ी सजा
कानपुर। उत्तर प्रदेश में एक स्कूल में मासूम से दुष्कर्म एवं हत्या के 8 साल पुराने मामले में अदालत का फैसला आ गया है। कानपुर की सेशन कोर्ट ने मुख्य अभियुक्त पीयूष को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पीयूष पर 75 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है, वहीं उसके भाई मुकेश को भी जेल काटनी होगी। सुबूतों के अभाव में अन्य दो आरोपियों को रिहा कर दिया गया है।
स्कूल
में
ही
हुई
थी
दरिंदगी
शर्मसार
कर
देने
वाला
यह
केस
2010
का
है,
जब
रावतपुर
स्थित
ज्ञानस्थली
स्कूल
में
27
सितंबर
की
सुबह
एक
मां
अपनी
बच्ची
को
स्कूल
क्लास
में
छोड़कर
लौटी।
दोपहर
बाद
उसे
पता
चला
कि
उसकी
मासूम
से
दरिंदगी
हुई।
दुष्कर्मियों
ने
बच्ची
के
साथ
स्कूल
में
न
सिर्फ
रेप
किया,
बल्कि
उसे
मरने
लिए
फेंक
दिया
था।
पड़ोसियों
ने
उस
बच्ची
को
अस्पताल
में
भर्ती
कराया,
जहां
वह
हमेशा
के
चल
बसी।
न्याय
के
लिए
मां
को
करना
पड़ा
लंबा
इंतजार
इस
घटना
से
आहत
उस
बच्ची
की
मां
न्याय
के
मंदिर
से
इंसाफ
की
आस
लगाए
बैठी
थी।
लंबी
लड़ाई
में
उसने
कई
उतार
चढ़ाव
देखे।
जांच
की
लंबी
प्रक्रिया
का
हिस्सा
बनी
वह
थाने
और
कोर्ट
के
कई
चक्कर
लगाती
रही।
लेकिन
अंततः
उसको
न्याय
मिला
और
आरोपियों
को
सजा।
पीड़ित पक्ष के वकील अजय सिंह भदौरिया के अनुसार, सूबे को गम और गुस्से से भर देने वाला इस वीभत्स मामले में अंतत: न्याय हाथ लगा है। यह बहुत शर्मनाक था कि कानपुर के प्राईवेट स्कूल में स्कूल मालिक द्वारा ही कक्षा 7वीं की छात्रा से बलात्कार किया गया। क्रूरता के साथ उसे मरने के लिये फेंक दिया था। खैर, आज सेशन कोर्ट ने दरिंदों को कड़ी सजा सुनाई है। मुख्य आरोपी पियूष वर्मा और उसके भाई व सह अभियुक्त मुकेश वर्मा को ताउम्र कारावास हुआ है।
टल
गई
थी
सुनवाई
बता
दें
कि,
इससे
पहले
अपर
सत्र
न्यायाधीश
ने
फैसला
सुनाने
की
पिछली
तारीख
15
सितंबर
मुकर्रर
की
थी।
सबकी
निगाहें
इन्साफ
की
देवी
की
ओर
उठी
हुई
थी।
हालांकि,
कोर्ट
ने
चार
गवाहों
को
पहली
अक्टूबर
को
फिर
से
तलब
करते
हुए
फैसले
सुनाना
स्थिगित
कर
दिया।
केस
में
ऐसा
पहली
बार
नहीं
हुआ
जब
कोर्ट
ने
फैसले
की
तारीख
आगे
बढ़ाई
हो।
लेकिन
आज
आखिरकार
इन्साफ
हुआ।
इस फैसले पर जहां पीड़ित पक्ष के वकील अजय सिंह भदौरिया को तसल्ली हुई, वहीं मृतका की मां असंतुष्ट दिखीं। पीड़िता की मां के मुताबिक, दरिंदे पियूश वर्मा के पिता और स्कूल मालिक चन्द्र पाल वर्मा और उनके कर्मचारी सन्तोष को रिहा किया जाना उन्हें अच्छा नहीं लगा। वह अब उन दरिंदों के खिलाफ भी अपीलीय कोर्ट जाएंगी।