शोपियां आतंकी हमले में शहीद हुआ कानपुर का लाल रोहित कुमार, पत्नी हुई बेसुध
Kanpur News, कानपुर। दक्षिण कश्मीर के शोपियां में गुरुवार को हुए एनकाउंटर में सेना के जवान रोहित कुमार यादव शहीद हो गए हैं। रोहित एनकाउंटर के दौरान घायल हो गए थे और उन्होंने कुछ देर बाद दम तोड़ दिया। इस एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के तीन आतंकियों को भी ढेर कर दिया है। गुरुवार को ही दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में एनकाउंटर हुआ था। उस एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकियों को ढेर किया था। मारे गए आतंकियों में एक आतंकी खालिद, जैश का कमांडर था और पाकिस्तान का नागरिक था।
रोहित आतंकवाद निरोधक दस्ते में था शामिल
कानपुर देहात के डेरापुर निवासी रिटायर्ड अर्मी के जवान गंगादीन यादव का बेटा रोहित यादव (25) 17वीं राजपूताना राइफल्स की 44वें आतंकवाद निरोधक दस्ते में शामिल था। गुरुवार को जम्मू कश्मीर के शोपियां के हांडेव गांव के एक घर में आतंकियों के छिपे होने की जानकारी सेना को मिली थी। आतंकियों के छिपे होने की जानकारी के बाद गांव को घेरा गया और यहां पर सर्च ऑपरेशन लॉन्च हुआ था। इस ऑपरेशन में सेना के जवानों की अचानक आतंकियों से भिड़ंत हो गई। जिसमें रोहित कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए थे। रोहित ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
पत्नी हुई बेसुध
कश्मीर से सेना के अफसरों ने इसकी जानकारी परिजनों को दी। घर में जैसे ही सूचना मिली, मां विमला, पिता गंगादीन और पत्नी वैष्णवी बेसुध हो गए। वहीं थोड़ी ही देर में रोहित के शहीद होने की खबर आसपास के इलाके में भी पहुंच गई और लोग गांव की तरफ आने लगे। ग्रामीण की भीड़ भी इकट्ठा होने लगी। रोहित के शहीद होने की खबर देर शाम कानपुर देहात पहुंची तो जिले में मातम छा गया।
परिजनों को रो-रोकर बुरा हाल
रोहित के घर पर आंसुओं का सैलाब फूट पड़ा। वहीं उनकी पत्नी की हालत बिगड़ गई है। सीएचसी से डॉ. एके रस्तोगी टीम के साथ शहीद के घर पहुंचे और उनकी पत्नी का चिकित्सीय परीक्षण कर उपचार किया गया। रोहित की 2016 में शादी हुई थी। 17 अप्रैल को छुट्टियां खत्म कर वापस लौटा था। पत्नी रूबी ने जैसे ही रोहित के शहीद होने की खबर सुनी वो बेहोश हो गई। मां विमला देवी का रो रोकर बुरा हाल है। रोहित के पिता कस्बे के अंबेडकर नगर डेरापुर में रहते है निजी मकान में सरिया सीमेंट की दुकान चलाते हैं।
ये भी पढ़ें:- कानपुर सीट पर क्या हैं जीत-हार के पुराने सियासी आंकड़े