देश में पहली बार 3 साल की बच्ची का देहदान, मां-बाप ने शोध के लिए सौंप दिया 'कलेजे का टुकड़ा'
Jodhpur News in Hindi, जोधपुर। अपने कलेजे के टुकड़े को शोध के लिए सौंप देने के लिए बड़ा कलेजा चाहिए। कुछ ऐसा ही कलेजा जोधपुर के रोडवेज बस डिपो के असिस्टेंट मैनेजर उम्मेद सिंह व उनकी पत्नी राजू कंवर का है। इन्होंने अपनी तीन साल की मासूम बेटी ज्योति की देह जोधपुर एम्स को दान कर दी। देश में इतनी कम उम्र की बच्ची की देहदान का संभवतया यह पहला मामला है। मूलरूप से राजस्थान के गोटन निवासी उम्मेद सिंह की बेटी ज्योति बचपन से दिल की गंभीर बीमारी से पीड़ित थी। परिजनों ने उसका कई जगह इलाज करवाया। मंदिर देवरे भी ढोके, मगर कहीं ना दवा लगी ना ही दुआ काम आई।
28 जून को अहमदाबाद में होना था ऑपरेशन
परिजन उसे अहमदाबाद ले जाना चाहते थे। वहां पर 28 जून को उसका ऑपरेशन होना था, मगर 3 जून को अधिक तबीयत अधिक बिगड़ गई तो परिजन उसे जोधपुर के एम्स में ले आए। डॉक्टर ने उसे कार्डियक अरेस्ट आना बताया। वह एम्स के आईसीयू में वेंटिलेटर पर थी। यहां पर गुरुवार को ज्योति की मौत हो गई।
बेटी के अहसास को जिंदा रखने के लिए देहदान
उम्मेद सिंह व उनकी पत्नी राजूकंवर ने बताया कि वे बेटी के अहसास को हमेशा हमेशा के लिए जिंदा रखने चाहते थे। इसलिए उन्होंने ज्योति के निधन के बाद उसकी देहदान का फैसला लिया, ताकि ज्योति की देह डॉक्टरी कर रहे बच्चों की पढ़ाई के लिए काम आ सके। दिल को सुकून है कि बेटी ज्योति का जीवन देश के काम आएगा।
पहले केवल किताबों व वीडियो से संभव
जोधपुर एम्स एनाटोमी विभाग के सह आचार्य डॉ. आशीष नैय्यर की मानें तो इतनी कम उम्र में किसी देहदान का यह देश में पहला मामला हो सकता है। देश में वयस्कों के देहदान के मामले तो आने दिन सामने आते रहते हैं। अब मेडिकल की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट वयस्कों और बच्चों के शरीर के अंतर को बेहतर जान सकेंगे। पहले यह केवल किताबों और वीडियो से संभव था। इंदौर की महर्षि दधीची देहदान-अंगदान समिति के अध्यक्ष नंदकिशोर व्यास भी सह आचार्य डॉ. आशीष नैय्यर के दावे से इत्तेफाक रखते हैं। इनके अनुसार भी यह देश का संभवतया पहला मामला है।