रमेश बिश्नोई : जन्म से नहीं दोनों हाथ, पैरों से लिखकर पास की बीए-बीएड, सपना अफसर बनना, देखें वीडियो
जोधपुर। सुख दुःख का नाम जिंदगी है, लेकिन कभी-कभी इंसान के सामने ऐसी जटिल समस्याएं आती हैं, जिनका सामना करने की बजाए कई लोग हार मान जाते हैं। वहीं, ऐसे भी कई शख्स हैं, जो खुद अपने अंदर का हौसला कभी नहीं खोते हैं और कुछ ऐसा मुकाम हासिल करते हैं जिससे वे दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं।
फलोदी का रहने वाला है रमेश
यहां हम एक ऐसे शख्स के बारे में बात कर रहे हैं, जो बिना-हाथ के जन्मे, लेकिन इन्होंने वो कर दिखाया, जो दूसरों के लिए मिसाल है। यह कहानी है राजस्थान जोधपुर जिले की फलोदी तहसील के गोदारा नोखड़ा निवासी 22 साल के रमेश बिश्नोई की।
उत्कर्ष कोचिंग क्लासेस से कॉम्पिटिशन की तैयारी कर रहा
रमेश के सामने जीवन की कई सारी चुनौतियां थीं। शारीरिक कठिनाइयां उसे रोक रही थीं, लेकिन उसने शारीरिक सीमाओं को कभी अपने आड़े नहीं आने दिया। रमेश के दोनों हाथ नहीं हैं। बावजूद इसके रमेश बिश्नोई ने जिंदगी में हार न मानते हुए पैरों से लिखकर बीए और बीएड की परीक्षाएं पास की है और अब उत्कर्ष कोचिंग क्लासेस से कॉम्पिटिशन की तैयारी कर रहा है।
परिवार ने दिया पूरा सहयोग
रमेश बिश्नोई लिखने से लेकर वो हर चीज अपने पैर से कर लेता है, जो अन्य साधारण लोग हाथों से करते हैं। रमेश बिश्नोई के पिता किसान पेमाराम और मां गृहणी शायरी देवी दोनों ही उसे पढ़ने में पूरा सहयोग करते हैं।
कम्प्यूटर और मोबाइल भी पैरों के सहारे चलाते हैं
रमेश ने अपने पैरों को ही मजबूत हाथ बना दिया है और जिनके सहारे वो अपना दिनभर का कार्य करते हैं। इतना ही नहीं रमेश सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज से भी पीछे नहीं है। कम्प्यूटर और मोबाइल भी पैरों के सहारे चलाते हैं। रमेश का मानना है कि हौसले बुलन्द हो तो कोई भी कार्य कठिन नहीं है। उनका कहना है कि वे पढ़-लिखकर दिव्यांगों के लिए मिसाल पेश करना चाहते हैं।
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