पैंथर के 3 बच्चों को मां का प्यार देते हैं ये डॉक्टर, VIDEO देख दिल हो जाएगा गार्डन-गार्डन
Jodhpur News, जोधपुर। बच्चे तो बस बच्चे होते हैं। फिर चाहे वो इंसान के हो या जानवर के। बच्चों को कोई भी पाल सकता है। इन्हें सिर्फ अपनेपन का अहसास और दुलार चाहिए। भरपेट खुराक भी मिलती रहे तो कहना ही क्या?। अगर ये सब हो तो रिश्ता मां-बच्चों का सा बन जाता है। चाहे वो इंसान व जानवरों के बीच ही क्यों ना हो? कुछ ऐसा ही अनूठा रिश्ता पैंथर के बच्चों के साथ राजस्थान के जोधपुर के एक चिकित्सक ने बनाया है।
दरअसल, पिछले दिनों उदयपुर में एक मादा पैंथर की मौत हो गई थी। उसके तीन बच्चे थे। मां की मौत के बाद बच्चों की परवरिश के लिए उन्हें रेस्क्यू करके जोधपुर के माचिया सफारी पार्क में बने अस्पताल में लाया गया। पैंथर हिंसक प्रवृति का जानवर होने के कारण उसके बच्चों से सावधानी बरतनी पड़ती है।
रात को इन्हें अपने पलंग के पास ही सुलाते थे डॉक्टर
ऐसे में मां की मौत के बाद उन्हें मां जैसा प्यार मिलना मुश्किल लग रहा था, मगर उनकी जिम्मेदारी पशु चिकित्सक डॉ. श्रवण सिंह राठौड़ ने ली। डॉ. राठौड़ ने बताया कि वे पैंथर के इन बच्चों की परवरिश मां की तरह करते हैं। इन्हें दूध् पिलाने से लेकर इनके साथ खेलना-कूदना और बातें तक करन अच्छा लगता है। शुरुआत में पैंथर के बच्चों को मां के साथ रहने का अहसास हो इसके लिए डॉक्टर राठौड़ रात को इन्हें अपने पलंग के पास ही सुलाते थे। छोटे बच्चे होने के चलते इनको अमेरिका से मंगवाया जाने वाला दूध पिलाते थे। मिल्क फीडिंग में काफी परेशानी आती थी, लेकिन धीरे-धीरे पैंथर के बच्चों का रिश्ता डॉक्टर से ऐसा हो गया है कि वे डॉक्टर को देखते ही उनके पास आ जाते हैं।
मांसाहारी खाना देना भी शुरू कर दिया
जब बच्चों को रेस्क्यू किया गया था उस समय इनका वजन करीब 1 किलो हुआ करता था। अब न केवल इनका वजन बढ़ गया, बल्कि ये पहले से अधिक तंदुरुस्त भी हो गए। इनमें एक बच्चा मादा व दो नर पैंथर हैं। खास बात ये है कि डॉक्टर अपनी चाल व कदमों से ऐसा एहसास कराते हैं कि डॉक्टर ही उनकी मां है, जो इनको दुलार रही हो। डॉ. श्रवण सिंह राठौड़ ने बताया कि पैंथर के छोटे बच्चों को पालना किसी चुनौती से कम नहीं, लेकिन अब धीरे धीरे सब ठीक होने लगा है। बच्चों को मांसाहारी खाना देना भी शुरू कर दिया है। बड़े हो जाने पर इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा।