अंतिम संंस्कार के 20 दिन बाद घर जिंदा पहुंचा युवक, अब समस्या ये कि जो मरा वो कौन था?
जोधपुर। 20 दिन पहले तक जिस घर में कोहराम मचा। आंसू बहे। मातम पसरा और जवान बेटे की अर्थी निकली। आज उसी घर की चौखट पर रौनक है। मंगलगीत गाए जा रहे हैं। मिठाई बांटी जा रही है। घर का कोना-कोना खुशियों से सराबोर है, क्योंकि वो बेटा लौट आया। जिसे मरा हुआ मानकर अंतिम संस्कार कर दिया गया था। उसी बेटे को सामने जिंदा खड़े देख परिजन आंसू नहीं रोक पा रहे, मगर इस के बार के आंसू खुशी में बहे हैं। किसी चमत्कार सरीखी यह खबर राजस्थान के अजमेर और जोधपुर जिले से जुड़ी है।
जोधपुर में ट्रेन से कटकर हुई मौत
दरअसल, दैनिक भास्कर में छपी खबर के अनुसार हुआ था कि 20 दिन पहले 17 सितंबर को जोधपुर के मंडोर थाना इलाके में मगराजजी का टांका स्थित रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आने से एक युवक की मौत हो गई थी। शव क्षत-विक्षत था। मृतक की जेब में मिले आधार कार्ड से उसकी शिनाख्त अजमेर जिले के ब्यावर के रतनपुरा के पास बिलाता बाड़िया के 35 वर्षीय प्रकाश पुत्र नारायण सिंह रावतके रूप में हुई थी।
18 सितंबर को परिजनों को सौंपा शव
मंडोर पुलिस ने प्रकाश के परिजनों को सूचना दी और पोस्टमार्टम के बाद शव सौंप दिया। परिजनों ने प्रकाश का अंतिम संस्कार कर दिया। बारहवें की रस्म भी पूरी कर दी। इस बीच गांव का कालूराम एक अक्टूबर को किसी काम से जोधपुर आया तो उसकी मुुलाकात प्रकाश से हुई। एक बारगी तो वह अचंभित रह गया कि जो प्रकाश मर चुका वो उसके सामने जिंदा खड़ा है।
जोधपुर से घर लाकर किया स्वागत
कालूराम ने यह सूचना तुरंत प्रकाश के पिता नारायण सिंह व भाई फतेहसिंह को दी। वे जोधपुर पहुंचे और बीते शुक्रवार को प्रकाश को घर लेकर आए। घर पहुंचने पर उसका दरवाजे पर फूल मालाओं से स्वागत किया गया और मिठाई बांटी गई। परिजनों ने उसे गले लगा लिया। मरे हुए शख्स का बीस दिन बाद जिंदा लौटकर आना चर्चा का विषय बन गया और उसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
मोबाइल नहीं रखता प्रकाश
भाई फतेहसिंह ने बताया कि प्रकाश डेढ़ साल पहले मजदूरी के लिए जोधपुर आया था। वह मोबाइल भी नहीं रखता है। उससे अंतिम बार बात किसी अन्य के मोबाइल से रक्षाबंधन के दिन हुई थी। उस वक्त भी उसने मां से बात कर फोन काट दिया था। प्रकाश की पांच साल पहले शादी भी हो चुकी है, मगर पत्नी घरेलू विवाद के चलते लम्बे समय से मायके में रह रही है।
मंडोर थाने के एसआई राममरोशी ने बताया कि मृतक का चेहरा पहचान में नहीं आ रहा था। उसके पास मिले आधार कार्ड से प्रकाश के रूप में शिनाख्त हो गई, मगर अब पता चला कि वो कोई और था। उसकी शिनाख्तगी के प्रयास कर रहे हैं।
आधार कार्ड हो गया था गुम
प्रकाश ने बताया कि दो माह पहले उसका आधार कार्ड गुम हो गया था। वह कहां गिरा और किसे मिला। यह उसे नहीं पता। प्रकाश ने सोचा कि दिवाली पर घर जाएगा तब दूसरा आधार कार्ड बनाएगा, मगर उससे पहले ही यह घटना हो गई। उधर, मंडोर पुलिस के सामने अब यह चुनौती बन गई कि जिस शख्स का शव उन्होंने प्रकाश का समझकर उसके परिजनों को सौंपा वो किसका था।
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