VALENTINE 2020: इस गुफा में हनीमून मनाने के लिए रुके थे राजा, आते हैं प्रेमी युगल
हजारीबाग। इन दिनों हर तरफ प्यार का माहौल है और हो भी क्यों न आखिर प्यार का जो पूरा हफ्ता चल रहा है। 7 फरवरी से लेकर 14 फरवरी तक पति-पत्नी, प्रेमी-प्रेमिका एक-दूसरे को तोहफा देकर प्यार का इजहार करते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि हर किसी का प्यार स्वीकार कर ही लिया जाता है। किसी-किसी को जवाब में न भी मिलता है। लाखों युवा-युवतियां इस हफ्ते का इंतजार करते हैं ताकि अपने प्रेमी या प्रेमिका को स्पेशल फील करा सकें। वैसे तो इन दिनों में लोग प्यार मोहब्बत के किस्से खूब पढ़ते हैं। ऐसा ही एक किस्सा हमारे पास है।
5 हजार साल पुराने शैल चित्र हैं मौजूद
प्यार की निशानी के तौर पर ताजमहल को हर कोई देखता है। लेकिन अलग-अलग राज्यों में प्यार की अलग-अलग निशानियां हैं। ऐसी ही एक निशानी है झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड स्थित इस्को गुफाएं। स्थानीय लोग इसे इसको गुफा भी कहते हैं। इस गुफा में 5 हजार साल पुराने शैल चित्र मौजूद हैं।
इसी गुफा में शादी के बाद हनीमून मनाने गए थे राजा
इन पर हथियार और जानवरों की तस्वीरें बनी हुई हैं। इनमें महिलाएं और पुरुष दोनों हथियार उठाए देखे जा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि रामगढ़ शासन के छठे राजा हेमेंट सिंह बादम को अपना निवास बनाया था। कहते हैं कि जब इन राजा की शादी हुई तो अपनी रानी के साथ इसी गुफा में रानी के साथ वक्त बिताने आए थे। यानी कि हनीमून मनाने आए थे।
40 किलोमीटर की दूरी पर है स्थित
इस्को गुफा के बारे में भले ही कम लोग जानते हों लेकिन ये प्राचीन इतिहास की दिखाती है। ये गुफाएं जिला मुख्यालय से केवल 40 किलोमीटर की दूरी पर बड़कागांव में स्थित है। इस्को की गुफा में पत्थरों पर बनाए गए चित्र कोहबर कला का प्रतिबिंब है। यह झारखंड की लोककला है।
कोहबर कला धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है
बता दें कि कोहबर चित्रकला में नैसर्गिक रंगों का प्रयोग होता है इनकी पेंटिंग में ब्रश भी प्राकृतिक ही होते हैं। उंगलियां, लकड़ी की कंघी,दातुन से चित्र उकेरे जाते हैं। गुफा के आसपास कोयले की खदाने हैं। लिहाजा वहां होने वाले धमाकों के कारण शैल चित्रों पर बुरा असर पड़ रहा है। कोहबर कला धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है।