झारखंड न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

दो साल के कोरोना पीड़ित मासूम से माता-पिता ने मुंह मोड़ा,वार्ड ब्वॉय ने किया अंतिम संस्कार

Google Oneindia News

रांची, 16 मई: झारखंड की राजधानी रांची के प्रतिष्ठित अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में एक वार्ड ब्वॉय ने अपने मरीज के लिए अपनी प्रोफेशनल जिम्मेदारी से आगे बढ़कर इंसानियत के नाते एक नया मिसाल पेश किया है। अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक जब दो साल के एक कोविड संक्रमित मासूम को उसके माता-पिता कथित तौर पर छोड़कर चले गए और उसकी मौत हो गई तो अस्पताल के वार्ड ब्वॉय ने उसका अंतिम संस्कार किया है। जानकारी के मुताबिक जैसे ही उन्हें बच्चे के कोविड पॉजिटिव होने की जानकारी दी गई, वो वहां से लापता हो गए।

रांची में वार्ड ब्वॉय ने पेश की मिसाल

रांची में वार्ड ब्वॉय ने पेश की मिसाल

रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में बतौर वार्ड ब्वॉय तैनात रोहिद बेड़िया ने उन हालातों की जानकारी दी है, जिसकी वजह से उसने अपनी जिम्मेदारियों से आगे बढ़कर इन विपरीत हालातों में एक उदाहरण पेश किया है। रोहित ने कहा, 'मुझसे कहा गया कि जब दो साल के बच्चे के कोविड-19 बीमारी से संक्रमित होने का पता चला तो उसके माता-पिता उसे छोड़कर चले गए। उसका अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था। जब मुझसे यह काम करने के लिए कहा गया तो मैं इसके लिए आसानी से तैयार हो गया।' रोहित कोविड की सभी गाइडलाइंस के मुताबिक उस मासूम के शव को रिम्स से लेकर रांची के घाघरा मुक्तिधाम पहुंचे और उसका अंतिम संस्कार किया। असल में यह भूमिका उसके परिजनों को निभानी थी।

सांस लेने में हो रही थी परेशानी

सांस लेने में हो रही थी परेशानी

अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि बच्चे के माता-पिता ने कहा था कि वह बिहार के जमुई के रहने वाले हैं। उन्होंने 10 मई की देर रात में दो साल के अपने बेटे को रिम्स में इलाज के लिए भर्ती कराने लाए थे। बच्चे को अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में सांस की कमी की शिकायत को लेकर भर्ती किया गया था। रिम्स के पीडियाट्रिक्स सर्जरी डिपार्टमेंट के हेड डॉक्टर हिरेंद्र बिरुआ ने कहा है कि उसके माता-पिता ने डॉक्टरों से कहा था कि उसे अचानक सांस लेने में परेशानी शुरू हो गई और दोनों ने 11 मई की रात 12.15 पर एडमिशन के दौरान बताया था कि वो उसका ध्यान रख रहे थे। डॉक्टर बिरुआ ने कहा, 'हमें लगा कि उसकी सांस की नली में कुछ अटक गया है। जब एक्स-रे हुआ तो हमने देखा कि बच्चे को निमोनिया है। दोपहर तक कोरोना वायरस होने की पुष्टि हो गई। जैसे ही कोविड पॉजिटिव की रिपोर्ट आई उसके माता-पिता लापता हो गए।'

इसे भी पढ़ें- क्या कोविड की वजह से मचा बवाल ? कुछ शवों को नदियों में बहाना यूपी के इन गांवों की परंपरा हैइसे भी पढ़ें- क्या कोविड की वजह से मचा बवाल ? कुछ शवों को नदियों में बहाना यूपी के इन गांवों की परंपरा है

तीन दिनों तक हुआ माता-पिता का इंतजार

तीन दिनों तक हुआ माता-पिता का इंतजार

डॉक्टर के मुताबिक 11 मई के 3 बजे दिन में बच्चे की मौत हो गई। उन्होंने कहा, 'अस्पताल प्रशासन ने उसके माता-पिता से उन नंबरों पर संपर्क करने की कोशिश की जो उन्होंने दिए थे, लेकिन काफी कोशिशों के बावजूद उनसे संपर्क नहीं किया जा सका।' जब तीन दिनों तक इंतजार करने के बाद भी उसके माता-पिता नहीं लौटे तो अस्पताल प्रशासन ने रांची प्रशासन की इजाजत लेकर रोहित बेड़िया से उसके अंतिम संस्कार की गुजारिश की, जिसके लिए वह बिना वक्त गंवाए तैयार हो गए। बता दें कि झारखंड में कड़े लॉकडाउन के बावजूद संक्रमण बढ़ने का सिलसिला लगातार जारी है और अभी भी वहां41,386 ऐक्टिव केस हैं। शनिवार को भी वहां 3,157 नए केस सामने आए थे और 65 लोगों की मौत दर्ज की गई थी। (तस्वीरें- सांकेतिक)

Comments
English summary
A ward boy of the Rajendra Institute of Medical Science, Ranchi, performed the last rites of a two-year-old child, because parents turn their backs
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X