MGNREGA JHARKHAND: रोजगार की पकड़ी रफ्तार, मजदूरी बढ़ी तो बदला जीवन
रांची: झारखंड सरकार ने मनरेगा मजदूरी दर में जो बढ़ोतरी का फैसला किया है, जिससे मजदूरों का जीवन भी बेहतर हुआ है और उन्हें ज्यादा स्वाभिमान के साथ जीने का अवसर भी प्राप्त हो रहा है। बीते ढाई वर्षों के कार्यकाल में ही हेमंत सोरेन सरकार ने गरीबों को रोजगार बढ़ाने पर जिस तरह से फोकस किया है, उसके परिणाम कोविड महामारी से लेकर आजतक देखने को मिल रहे हैं। कोविड महामारी के वक्त से ही सोरेन सरकार ने राज्य के मजदूरों के लिए झारखंड सरकार का दिल और खजाना दोनों खोलकर रख दिया है।
झारखंड
सरकार
ने
मनरेगा
मजदूरी
बढ़ाई
झारखंड
की
हेमंत
सोरेन
सरकार
गरीबों
को
जरूरत
के
मुताबिक
रोजगार
उपलब्ध
करवाकर
उनका
स्वाभिमान
से
भरपूर
जीवन
सुनिश्चित
करने
के
संकल्प
को
पूरा
करने
का
काम
कर
रही
है।
पहले
कोविड
महामारी
के
दौरान
सोरेन
सरकार
ने
लाखों
मजदूरों
को
सहारा
देने
का
काम
किया
और
अब
मनरेगा
के
तहत
मिलने
वाली
उनकी
मजदूरी
को
भी
27
रुपये
बढ़ा
दिया
है।
अब
मनरेगा
मजूदरों
को
210
रुपये
की
जगह
237
रुपये
दिए
जाएंगे।
बढ़ती
महंगाई
के
बीच
27
रुपये
मजदूरी
बढ़ने
से
मनरेगा
मजदूरों
का
जीवन
थोड़ा
आसान
जरूर
हो
सकता
है।
ढाई
साल
में
2460.36
लाख
मानव
दिवसों
का
सृजन
मनरेगा
योजना
के
प्रति
हेमंत
सोरेन
सरकार
कितनी
समर्पित
है,
इसका
अंदाजा
इसी
आंकड़े
से
देखकर
लगाया
जा
सकता
है
कि
महज
ढाई
सालों
में
ही
इसने
2460.36
लाख
मानव
दिवसों
का
सृजन
किया
है।
इसके
तहत
वर्ष
2020-21
में
1176.1
लाख
और
वित्तीय
वर्ष
2021-22
में
1132.49
लाख
मानव
दिवस
का
सृजन
हुआ
है;
और
बाकी
चालू
वित्तीय
वर्ष
2022-23
में
मानव
दिवस
का
सृजन
हुआ
है।
गौरतलब
है
कि
राज्य
में
मनरेगा
कर्मी
की
ओर
से
भी
वेतन
वृद्धि
की
मांग
की
जा
रही
थी
और
प्रदेश
सरकार
ने
उसपर
भी
मुहर
लगाने
का
काम
किया
है।
कोडरमा
में
700
एकड़
में
फलदार
वृक्ष
लगेंगे
झारखंड
में
महात्मा
गांधी
नरेगा
के
तहत
फलदार
पेड़ों
को
लगाने
का
भी
काम
चल
रहा
है।
इसी
कड़ी
में
अकेले
कोडरमा
में
इस
स्कीम
के
तहत
ही
700
एकड़
में
फलदार
वृक्ष
लगाए
जाने
का
काम
शुरू
किया
गया
है।
राज्य
सरकार
के
प्रयासों
का
ही
परिणाम
है
कि
बीते
ढाई
साल
में
राज्य
के
24
जिलों
में
67,000
एकड़
जमीन
पर
75
लाख
फलदार
पौधे
लगाए
जा
चुके
हैं।
इस
योजना
से
77,000
लोगों
को
लाभ
मिला
है।
इससे पहले राज्य सरकार यह भी तयकर चुकी है कि अलग-अलग प्रखंडों में परती जमीन की एक सूची तैयार की जाएगी और फिर मनरेगा के माध्यम से इन परती जमीन की सूरत बदले जाने को लेकर विशेष योजना तैयार करके उसपर काम किया जाना है।