यह है भारत का ऐसा गांव, जहां हर घर से एक व्यक्ति सरकारी नौकरी में, 4 युवा ले आए बदलाव
धनबाद। क्या आपकी नजर में ऐसा कोई गांव है, जहां हर घर से कोई न कोई सरकारी नौकरी में हो? यदि ऐसे किसी गांव के बारे में आपको नहीं पता तो आज जान लीजिए। झारखंड के धनबाद में बलियापुर प्रखंड की प्रधानखंता पंचायत में एक गांव है- छाताकुल्ही।

यह ऐसा गांव है जहां से एक साथ 30 युवकों की रेलवे में विभिन्न पदों पर नौकरी लगी। उसके बाद तो यहां युवाओं में ललक ऐसी बढ़ी कि सैकड़ों सरकारी नौकरियां लग गईं। यह सब हुआ इंद्रजीत महतो, राजू महतो, कमल महतो और अमलेश महतो नाम के 4 युवाओं के सपने के बूते। कुछ बरस पहले उन्होंने ठान लिया था- 'पढ़-लिख कर सरकारी नौकरी करना'। अब उनके बने ग्रुप से करीब 400 स्टूडेंट्स जुड़े हैं। उनके गांव की लिटरेसी रेट (साक्षरता दर) 16 वर्षों में 20% से बढ़कर 85% तक पहुंच गई है।

आज छाताकुल्ही ऐसा गांव है, जहां हर परिवार का एक सदस्य सरकारी नौकरी में है। बताया जाता है कि, यह करीब 250 घरों का गांव है और यहां से 250 लोगों की विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी लग चुकी है। छाताकुल्ही के इंद्रजीत बताते हैं कि, यहां बुजुर्गों का मूल पेशा खेती-बाड़ी और गाय-बकरियां पालना रहा है। सरकारी कारिंदे भी गांव नहीं आते थे।

ज़मीन
पर
जन्नत
का
अनुभव
कराती
है
घरों
पर
हुई
ये
पेंटिंग,
तस्वीरें
देख
आपको
भी
करेगा
घूमने
का
मन
इंद्रजीत समेत 4 युवाओं ने तब ये सपना देखा कि, वे पढ़ाई-लिखाई के बूते ही अपने गांव की तस्वीर बदल देंगे। इसके लिए पहले उन्होंने सेल्फ स्टडी शुरू की उसके बाद खुद नौकरी लगे। फिर अन्य युवाओं को भी साथ ले लिया। सरकारी नौकरियां लगने पर भी यहां के युवाओं का गांव से मोहभंग नहीं हुआ। वे इलाके को हरा-भरा रखने में भी योगदान देते हैं।