सोनभद्र ही नहीं भारत की ये नदी भी उगलती है सोना, कोई नहीं समझ पा रहा क्या है रहस्य?
झारखंड। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में सोने की खदान का पता चला है। देशभर में उत्तर प्रदेश की इस जगह की चर्चा होने लगी है। सोनभद्र के हरदी क्षेत्र में 646.15 किलोग्राम सोने का भंडार और सोन पहाड़ी में 2943.25 टन सोने का भंडार का पता चला है। सोनभद्र की पहाड़ियों में सोना मौजूद होने की पुष्टि साल 2012 में हो गई थी। हालांकि, इस दिशा में अब तक काम शुरू नहीं हुआ था। अब यूपी सरकार ने तेजी दिखाते हुए सोने के ब्लॉक के आवंटन के संबंध में प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस खोज के बाद लोगों में चर्चा होने लगी है कि भारत में आखिर और कहां-कहां ऐसे रहस्य चिपे हैं। हम आपको देश में मौजूद एक ऐसी नदी के बारे में बता रहे हैं जो सोना उगलती है। हालांकि, आज तक यह रहस्य सुलझ नहीं पाया कि नदी में आखिर कहां से सोने के कण आते हैं।
नदी की रेत से निकलता है सोना
झारखंड में रत्नगर्भा नाम की जगह है जहां स्वर्णरेखा नाम की नदी बहती है। इस नदी की रेत से सालों से सोना निकाला जा रहा है। यह नदी झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ इलाकों में बहती है। बंगाल में इसे सुबर्णरेखा के नाम से भी पुकारते हैं। नदियों के आसपास रहने वाले लोग इसी नदी के भरोसे अपनी आजीविका भी चला रहे हैं। ये नदी आज भी एक रहस्य है, क्योंकि यह कोई नहीं जानता कि आखिर ये सोना कहां से आता है।
रानी चुआं से निकलती है स्वर्णरेखा नदी
स्वर्णरेखा नदी रांची से 16 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित नगड़ी गांव में रानी चुआं नाम की जगह से निकलती है। झारखंड में बहते हुए यह ओडिशा, पश्चिम बंगाल से होते हुए बालेश्वर नाम की जगह पर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इस नदी की लंबाई 474 किलोमीटर है।
करकरी नदी से बहकर स्वर्णरेखा में पहुंचते हैं सोने के कण
स्वर्णरेखा और उसकी सहायक नदी करकरी की रेत में सोने के कण पाए जाते हैं। जानकार कहते हैं कि स्वर्णरेखा में सोने के कण, करकरी नदी से ही बहकर पहुंचते हैं। करकरी नदी की लंबाई केवल 37 किलोमीटर है। यह एक छोटी नदी है। आज तक यह रहस्य सुलझ नहीं पाया कि इन दोनों नदियों में आखिर कहां से सोने के कण आते हैं? बताया ये भी जाता है कि बहुत सी सरकारी मशीनों ने नदी में से सोने के कण निकाले और पता लगाने की कोशिश की, लेकिन अब तक नदी में मौजूद सोने के कणों को लेकर कोई वजह पता नहीं चल पाई है।
आदिवासी इसी से चलाते हैं अजीविका
बताया जाता है कि झारखंड में तमाड़ और सारंडा जैसी जगहों पर नदी के पानी में स्थानीय आदिवासी, रेत को छानकर सोने के कण जमा करने का काम करते हैं। एक व्यक्ति महीने में 60-80 सोने के कण निकाल पाता है। इन कणों का आकार चावल के दाने या उससे थोड़ा बड़ा होता है। यहां के आदिवासी बारिश के मौसम को छोड़कर पूरे साल ये काम करते हैं और इसी से अपनी अजीविका चलाते हैं।
सोनभद्र में सोने का भंडार
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में सोने का 3000 हजार टन से ज्यादे का भंडार मिला है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के सर्वे में सोनभद्र की पहाड़ियों में गोल्ड के अलावा अन्य खनिज के भी भारी मात्रा में दबे होने की संभावना व्यक्त की गई है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में मौजूदा समय में भारत के पास करीब 626 टन सोने का भंडार है। इस लिहाज से सोनभद्र में मिला सोने का भंडार करीब 5 गुना ज्यादा है।
कितने किलोमीटर लंबी है सोनभद्र की वो चट्टान, जिसमें से निकलेगा करोड़ों का सोना