जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के आदेश के बार रिहा होते ही फिर गिरफ्तार किया गया अलगाववादी नेता मसर्रत आलम
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के आदेश के बाद अलगाववादी नेता मसर्रत आलम को कठुआ जेल से गुरुवार को रिहा कर दिया गया था। रिहाई के कुछ देर बाद फिर से पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया।
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के आदेश के बाद अलगाववादी नेता मसर्रत आलम को कठुआ जेल से गुरुवार को रिहा कर दिया गया था। रिहाई के कुछ देर बाद फिर से पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। बुधवार को जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने मसर्रत आलम को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था। मसर्रत को वर्ष 2010 में कश्मीर में उत्पात के बाद गिरफ्तार किया गया था। हाई कोर्ट के जस्टिस मुजफ्फर हुसैन अतर ने मसर्रत की गिरफ्तारी को खारिज करते हुए उसे तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। मसर्रत आलम को हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी का करीबी माना जाता है। वर्ष 2010 में घाटी में विरोध प्रदर्शनों के बाद उसे गिरफ्तार किया गया था। उस समय घाटी में 120 लोगों की मौत हो गई थी। जम्मू के पास कठुआ जेल में बंद मसर्रत को पिछले वर्ष अप्रैल में दिवंगत मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के ऐलान के बाद रिहा किया गया था। लेकिन उसे पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट (पीएसए) के तहत फिर गिरफ्तार कर लिया गया था। 17 अप्रैल 2015 में जब वह जेल से बाहर आया तो आते ही उसने श्रीनगर में पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए और भारत विरोधी रैली का आयोजन किया।
18 अप्रैल को उसे फिर से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। पीएसए के तहत किसी भी व्यक्ति को कोर्ट के आदेश के बिना भी छह माह तक हिरासत में रखा जा सकता है। अब तक 34 बार गिरफ्तार आलम को वर्ष 1990 से पीएसए के तहत 34 बार गिरफ्तार किया जा चुका है। श्रीनगर के रहने वाले आलम ने श्रीनगर के एलीट सेसिल एर्ल टिंडल बिस्कोआ स्कूल से पढ़ाई की है। इसके बाद यहीं के श्री प्रताप कॉलेज से पढ़ाई पूरी की। वर्ष 1989 में वह घाटी में जेहादी आंदोलन की ओर आकर्षित हो गया। अक्टूबर 1990 में उसकी पहली गिरफ्तारी हुई। उसे मुश्ताक अहमद भट के साथ काम करने की वजह से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद वर्ष 1997 में वह आजाद हुआ और अपने दादा के कपड़े की दुकान में काम करने लगा। इसके अगले वर्ष वह ग्रेजुएट हो गया। वर्ष 1999 से वह हुर्रियत के साथ जुड़ गया और तब से ही सक्रिय है। मुस्लिम लीग का अध्यक्ष आलम पिछले छह वर्षों से जेल में है। मसर्रत ने भारत के खिलाफ एक गीत भी लिखा जिसके शब्द कुछ इस तरह से हैं, 'भारत का झंडा, दे रगड़ा, भारत का तिरंगा, दे रगड़ा, भारत का नक्शा दे रगड़ा, भारत को रगड़ा दे रगड़ा।' उसके इस गीत को इस फरवरी में जेएनयू में हुए विवाद के दौरान भी कुछ स्टूडेंट्स ने गाया था।