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Article 370 हटने के 23 महीने बाद कहां खड़ा है जम्मू और कश्मीर ? जानिए

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श्रीनगर, 20 जून: जम्मू और कश्मीर से विशेष दर्जा खत्म होने के लगभग दो साल बाद बड़ी राजनीतिक चर्चा की प्रक्रिया शुरू हुई है। 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वहां के बड़े सियासी नेताओं के साथ बैठक की तैयारी है। इस बैठक को लेकर तरह-तरह की अटकलें पिछले कई दिनों से चल रही हैं। यहां तक दावा किया जा रहा था कि हो सकता है कि केंद्र सरकार का अगल कदम जम्मू और कश्मीर को अलग करना हो। इसके लिए बंगाल और असम से चुनाव करवा कर वापस लौटे अर्द्धसैनिक बलों को लेकर भी शिगूफा छोड़ा जा रहा था। लेकिन, उस अटकल पर विराम लग चुका है और खुद फारूक अब्दुल्ला जैसे नेता भी इस बात को बकवास कह चुके हैं। आइए जानते हैं कि आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद प्रदेश में अबतक क्या सियासी बदलाव आया है और आगे क्या होने की संभावना बन रही है।

आर्टिकल 370 हटने के बाद कहां खड़ा है जम्मू और कश्मीर ?

आर्टिकल 370 हटने के बाद कहां खड़ा है जम्मू और कश्मीर ?

जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म हुए करीब दो साल पूरे होने वाले हैं। करीब 4 महीने बाद (31 अक्टूबर, 2019) जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिले भी दो साल गुजर जाएंगे। अगर इस दौरान जम्मू-कश्मीर में कोई बड़ी राजनीतिक गतिविधि हुई है तो वह है पिछले साल दिसंबर में हुआ डीडीसी (डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल) का चुनाव। इस चुनाव में गुपकर गठबंधन के नाम से चर्चित पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकर डिक्लरेशन (पीएजीडी) को बड़ी जीत मिली थी। जबकि, वोट शेयर के मामले में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। यह गठबंधन जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा छीने जाने के खिलाफ कई दलों ने मिलकर बनाया है, जिसमें से दो पार्टियां अब निकल भी चुकी हैं। बहरहाल नेशनल कांफ्रेस के नेता फारूक अब्दुल्ला इसकी अगुवाई कर रहे हैं और पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती इसकी प्रमुख नेता हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक का एजेंडा क्या है ?

प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक का एजेंडा क्या है ?

5 अगस्त, 2019 के केंद्र सरकार के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा की व्यवस्था वाला राज्य केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है, जिसमें अभी चुनी हुई सरकार नहीं है। जम्मू-कश्मीर अभी इसलिए सुर्खियों में है, क्योंकि आर्टिकल-370 खत्म होने के बाद वहां की मुख्यधारा की पार्टियों के बड़े नेताओं के साथ इसी हफ्ते 24 जून को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत की तैयारी है। इसके कयास कई दिनों से लगाए जा रहे थे, लेकिन अब यह बात आधिकारिक तौर पर पक्की हो चुकी है। इसके लिए राज्य के सभी राजनीतिक दलों के 14 बड़े नेताओं को बुलावा भेजा गया है। लेकिन, बैठक के एजेंडे को लेकर अभी भी तरह-तरह के कयास लग रहे हैं। एक है जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा दिया जाना और दूसरा परिसीमन की प्रक्रिया को लेकर आम सहमति बनाना, जिससे कि विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ हो सके। वैसे मोदी सरकार पहले यह कह चुकी है कि सही वक्त पर इसे राज्य का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन वह सही समय अभी है या नहीं यह साफ नहीं है। कुल मिलाकर इस हाई-प्रोफाइल बैठक का सबसे बड़ा एजेंडा विधानसभा चुनाव कराने को लेकर ही लग रही है, ताकि प्रदेश में राजनीतिक प्रक्रिया को थोड़ी और गति मिल सके।

आर्टिकल 370 हटने के बाद क्या हुआ ?

आर्टिकल 370 हटने के बाद क्या हुआ ?

5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को संविधान के आर्टिकल 370 के तहत मिला विशेषाधिकार का दर्जा खत्म कर दिया। इस संविधान संशोधन की प्रक्रिया को केंद्र सरकार ने संसद की दोनों सदनों से दो-तिहाई बहुमत से पारित कराया था। इस विशेषाधिकार के तहत जम्मू-कश्मीर के पास अपना एक अलग संविधान और राज्य का अलग झंडा भी था। केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र में सत्ता में आने पर संविधान की इस धारा को खत्म करने का वादा किया गया था, जिसकी व्यवस्था संविधान में अस्थाई तौर पर ही की गई थी। इस ऐतिहासिक फैसले से एक रात पहले ही फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत जम्मू-कश्मीर के तमाम बड़े नेताओं को नजरबंद कर लिया गया था। मोबाइल फोन, टेलीफोन और इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई थीं। लेकिन, धीरे-धीरे हालात सामान्य होने के साथ उन सबको फिर से बहाल कर दिया गया। कई महीनों की नजरबंदी के बाद पिछले साल सारे बड़े नेताओं की रिहाई भी हो गई। फिर नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, सीपीआई, सीपीएम और कांग्रेस के अलावा कुछ और दलों ने 15 अक्टूबर, 2020 को गुपकर गठबंधन की स्थापना की, जिसका मूल लक्ष्य आर्टिकल 370 की वापसी है। हालांकि, बाद में कांग्रेस और पीपुल्स कांफ्रेंस इससे बाहर हो गई।

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जम्मू और कश्मीर में कब होंगे चुनाव ?

जम्मू और कश्मीर में कब होंगे चुनाव ?

जम्मू और कश्मीर में तीन साल से चुनी हुई सरकार नहीं है। 2018 के जून में महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली पीडीपी सरकार से बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया था। जिसके बाद वहां राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। 31 अक्टूबर, 2019 से वह केंद्र शासित प्रदेश बना और वहां का शासन लेफ्टिनेंट गवर्नर के हाथों में चला गया और अभी मनोज सिन्हा वहां के उपराज्यपाल हैं। अगर, 24 जून की बैठक में केंद्र सरकार परिसीमन की प्रक्रिया और चुनाव को लेकर सहमति बनाने में सफल रही तो राज्य में इसकी प्रक्रिया भी जल्द शुरू हो सकती है।

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English summary
After the removal of Article 370, DDC elections have been held in Jammu and Kashmir and the central government is preparing to hold assembly elections with the consent of all parties
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