J&K: पुलिस मेडल से हटाई गई शेख अब्दुल्ला की तस्वीर, NC ने क्या कहा ? जानिए
श्रीनगर, 24 मई: जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने सोमवार को वीरता और सराहनीय सेवाओं के लिए दिए जाने वाले पुलिस मेडल से पूर्व मुख्यमंत्री (जम्मू-कश्मीर के पहले चुने हुए प्रधानमंत्री) और नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला की उभरी हुई छवि हटाने का आदेश जारी किया है। पुलिस पदक पर उनकी तस्वीर की जगह अब 'राष्ट्रीय प्रतीक' के इस्तेमाल का फैसला किया गया है। इससे पहले जनवरी, 2020 में इस पदक का नाम बदल दिया गया था, जिसपर उनके लिए शेर-ए-कश्मीर लिखा जाता था। लेकिन, जम्मू-कश्मीर यूटी प्रशासन के इस फैसले पर राज्य की राजनीति गर्म हो गई है।
पुलिस
मेडल
से
हटाई
गई
शेख
अब्दुल्ला
की
तस्वीर
जम्मू-कश्मीर
यूटी
प्रशासन
ने
वीरता
और
सराहनीय
सेवाओं
के
लिए
दिए
जाने
वाले
पुलिस
मेडल
से
शेख
अब्दुल्ला
की
उकेरी
गई
तस्वीर
हटाने
का
फैसला
लिया
है।
जम्मू-कश्मीर
पुलिस
के
मेडल
में
अब
प्रदेश
के
पूर्व
मुख्यमंत्री
की
तस्वीर
की
जगह
'राष्ट्रीय
प्रतीक'
चिन्ह
का
उपयोग
किया
जाएगा।
जनवरी,
2020
में
यूटी
प्रशासन
ने
वीरता
के
लिए
दिए
जाने
वाले
पुलिस
मेडल
से
शेर-ए-कश्मीर
(शेख
अब्दुल्ला
के
लिए
इस्तेमाल
होता
था)
पुलिस
मेडल
का
नाम
बदलकर
वीरता
के
लिए
जम्मू
और
कश्मीर
पुलिस
मेडल
और
सराहनीय
सेवा
के
लिए
दिया
जाने
वाला
शेर-ए-कश्मीर
मेडल
का
नाम
सराहनीय
सेवा
के
लिए
जम्मू
और
कश्मीर
पुलिस
मेडल
कर
दिया
था।
जम्मू-कश्मीर गृह विभाग के ताजा आदेश के मुताबिक, 'पदक के एक तरफ उभरा हुआ शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला को भारत सरकार के राष्ट्रीय प्रतीक से बदल दिया जाएगा और दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रतीक की जगह जम्मू और कश्मीर अंकित किया जाएगा।' लेकिन, जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस फैसले की नेशनल कांफ्रेंस के साथ-साथ पीडीपी ने भी कड़ी आलोचना की है। गौरतलब है कि शेख अब्दुल्ला पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला के पिता और उमर अब्दुल्ला के दादा थे।
जम्मू-कश्मीर में भाजपा-विरोधी राजनीतिक पार्टियों ने कहा है कि शेख की तस्वीर हटाने और पुलिस मेडल का नाम बदल देने से उनके योगदान और ऐतिहासिक महत्त्व को नहीं मिटाया जा सकेगा। सीपीएम के मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने ट्वीट किया है, 'नाम बदलकर इतिहास को फिर से लिखने का बीजेपी का पैंग्लोसियन नजरिया उसके संकीर्ण सांप्रदायिक एजेंडे में मदद कर सकता है, लेकिन यह अपनी जटिलता को इतिहास से दूर नहीं कर सकता। नाम बदलने जैसे कार्यों से आप शेर-ए-कश्मीर के योगदान और ऐतिहासिक महत्त्व को मिटा नहीं सकते।'
उधर नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी डार का कहना है कि नाम बदल देने से कुछ नहीं बदलेगा। शेख अब्दुला ने जम्मू-कश्मीर के लिए काफी संघर्ष किया था। उन्होंने जनता के लिए लड़ाई लड़ी। इस इतिहास को कोई बदल नहीं सकता। एजेंसी के मुताबिक पार्टी ने यह भी आरोप लगाया है कि हमारे प्रतीक और पहचान को खत्म करने की कोशिश हो रही है। (तस्वीर सौजन्य: ट्विटर वीडियो से)