अब कोई भी बस सकता है कश्मीर में, सबसे पहले बिहार के इस IAS ने बनवाया डोमासाइल
जम्मू। देश के उत्तरी राज्य जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी किए जाने के बाद से अन्य राज्यों के लोगों का वहां बसना आसान हो गया है। ऐसे पहले व्यक्ति बने हैं बिहार के रहने वाले एक आईएएस अधिकारी, जिनका नाम है- नवीन चौधरी। जिन्हें जम्मू-कश्मीर का पहला डोमिसाइल सर्टिफिकेट दिया गया है।
370 खत्म होने के बाद कश्मीर में बसने वाला पहला शख्स
नवीन चौधरी दूसरे राज्य से आने वाले ऐसे पहले नौकरशाह हैं, जिन्हें जम्मू-कश्मीर राज्य का स्थायी निवासी बनाया गया है। बता दें कि, नवीन मूलत: बिहार के दरभंगा जिले के हायाघाट प्रखंड के मझौलिया निवासी हैं। इन दिनों वह जम्मू-कश्मीर सरकार के कृषि विभाग में कमिश्नर सेक्रेटरी पद पर तैनात हैं। पिछले करीब 26 सालों से वो जम्मू में रह रहे हैं। अब अधिकारिक तौर पर जम्मू के निवासी हो गए हैं।
जम्मू में बसने वाले पहले आईएएस भी बन गए
नवीन के मुताबिक, जम्मू संभाग के बाहु तहसील के तहसीलदार डॉ. रोहित शर्मा ने 24 जून को उन्हें डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी किया। इसी के साथ वह जम्मू-कश्मीर का डोमिसाइल लेने वाले देश के पहले आईएएस अधिकारी बन गए। वो कहते हैं- 'जम्मू कश्मीर भी अब देश के अन्य राज्यों जैसा ही है, तो मैंने जम्मू के बाहू तहसीलदार कार्यालय में डोमिसाइल सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई किया। जिसके बाद गुरुवार को बाहू तहसील के तहसीलदार रोहित शर्मा ने वो जारी भी कर दिया।'
रह चुके हैं महबूबा मुफ्ती के प्रधान सचिव
नवीन चौधरी 1994 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। जम्मू-कश्मीर में वह कृषि, पशुपालन एवं तकनीकी शिक्षा समेत कई अन्य महत्वपूर्ण विभागों में प्रधान सचिव के पद पर रहे हैं। वर्ष 2012 में वह राज्यपाल के प्रधान सचिव, जम्मू श्राइन बोर्ड के सीईओ समेत वित्त सचिव व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के भी प्रधान सचिव रह चुके हैं।
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बेटे के बारे में क्या कहते हैं माता-पिता?
नवीन के पिता देवकांत चौधरी एवं मां वैदेही चौधरी बताती हैं- ''नवीन का जन्म 12 अप्रैल 1968 को हुआ था। बचपन से ही वो कुशाग्र बुद्धि का था। प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही बेसिक स्कूल मझौलिया से हुई। माध्यमिक शिक्षा ललितेश्वर मधुसूदन उच्च विद्यालय, आनंदपुर से पूरी हुई। उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए पटना भेज दिया गया। पटना यूनिर्विसटी से नवीन ने अर्थशास्त्र से स्नातक (प्रतिष्ठा) पास की।'
25 की उम्र में आईएएस बने, 26 साल जम्मू में बीते
वर्ष 1994 में नवीन ने 25 वर्ष की उम्र में भारतीय प्रशासनिक सेवा में 68वां स्थान प्राप्त किया। तब उन्हें जम्मू-कश्मीर कैडर मिला। तब से ही वह जम्मू-कश्मीर में रहकर विभिन्न विभागों में सेवा देते आ रहे हैं। नवीन की शादी बिहार के ही समस्तीपुर जिला स्थित सरायरंजन प्रखंड के लगुनिया गांव में हुई। अब उनके दो पुत्र आयुष्मान एवं हर्षवर्धन अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं।
यहां इतने रम गए कि कश्मीरियों जैसे ही बन गए
नवीन की मानें तो जम्मू-कश्मीर के नागरिकों की सेवा में वो इतने रम गए कि यहीं के होकर रह गए। बिहार में रहने वाले उनके सगे संबंधी और सहपाठियों को बड़ा मलाल होता है। कईयों से बरसों से मुलाकात नहीं हुई। नवीन के एक बैचमेट एवं पड़ोसी शिवानंद चौधरी कहते हैं- ''नवीन डेढ़ साल पहले गांव आए थे, तब हमसे मिले। वो बिहार आते हैं तो हम गांववालों को बड़ी खुशी होती है।'
इस तरह आसान हुई जम्मू में बसने की राह
नवीन को जम्मू से जो डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी हुआ है, वो जम्मू-कश्मीर ग्रांट डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रोसिजर) रूल्स-2020 के नियम-5 के तहत जारी किया गया है। मोदी सरकार द्वारा कदम उठाए जाने के बाद इस कानून को हाल ही में जम्मू-कश्मीर में लागू कराया गया था। इसलिए, कश्मीर के कई स्थानीय संगठनों ने विरोध भी किया था। मगर, राज्य के इस अधिवास कानून को केंद्र सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। राज्य में अभी राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है।