Rajasthan : आखिर शराब की एक दुकान की अरबों में बोली लगाकर क्यों मुकर रहे लोग, जानिए असली वजह?
जयपुर। राजस्थान में अब शराब की दुकानें 'किस्मत वालों' की नहीं बल्कि 'पैसों वालों' की हैं। मतलब शराब के ठेकों के नए मालिक अब लॉटरी की बजाय नीलामी से हो तय हो रहे हैं। वो भी घर बैठे-बैठे ऑनलाइन बोली लगाकर। हालांकि एक दुकान के लिए अरबों रुपयों की बोली लगाकर लोग राशि जमा करवाने से मुकर भी रहे हैं।
ई-ऑक्शन ने रुपयों से भरी सरकारी की झोली
राजस्थान में शराब के ठेकों की ई-ऑक्शन का पहला चरण 10 व 11 मार्च को पूरा हो चुका है। अगला चरण 17 व 19 मार्च को है। अब तक नीलाम हुई शराब की दुकानों ने राजस्थान सरकार की झोली रुपयों से भर दी है।
राजस्थान में शराब की कुल 7665 दुकानें
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त (नीति) उदयपुर राजस्थान सीआर देवासी बताते हैं कि प्रदेश में शराब की कुल 7 हजार 665 दुकानें हैं। इनमें से 5 हजार 822 दुकानों की लॉटरी निकाली जा चुकी है। शेष दुकान की नीलामी अगले चरणों में होगी।
2500 करोड़ का राजस्व अधिक मिला
देवासी कहते हैं कि ई-ऑक्शन के जरिए आबकारी विभाग ने सभी 7665 दुकानों से करीब साढ़े सात हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की उम्मीद लगाई थी। उसकी तुलना में सिर्फ 5 हजार 822 दुकानों के लिए ही 10 हजार 50 करोड़ की बोली गई दी गई है, जो करीब ढाई हजार करोड़ रुपए अधिक है।
हनुमानगढ़ में 510 करोड़ की सबसे बड़ी बोली
राजस्थान में शराब की दुकान की सबसे बड़ी बोली हनुमानगढ़ जिले के नोहर के खुईया, मिनाकदेसर गांव में शराब की एक दुकान के लिए देवरानी-जेठानी ने बोली लगाई। सुबह से रात दो बजे तक जारी रही बोली की राशि 72 लाख 65 हजार रुपए से 5 अरब 10 करोड़ 10 लाख 15 हजार 400 रुपए तक पहुंच गई थी। सबसे बड़ी बोली लगाकर किरण कंवर ने बाजी मारी थी। हालांकि बाद में किरण पैसे जमा करवाने से मुकर गई।
सीकर में 151 करोड़ की बोली लगी
राजस्थान में शराब की दुकान के लिए दूसरी सबसे बड़ी बोली सीकर जिले के पलसाना में 151 करोड़ रुपए की लगी। आबकारी विभाग ने बोली लगाने वाले आवेदन रणजीत सिंह सेवदा को राशि जमा करवाने के लिए कहा तो वह भी मुकर गया।
अब पैसे वाले ही हैं ठेकों की दौड़ में
झुंझुनूं के रिटायर्ड जिला आबकारी अधिकारी नूर मोहम्मद बताते हैं कि इसमें कोई शक नहीं है कि शराब की दुकानों की नीलामी में सिर्फ पैसे वाले हिस्सा ले रहे हैं। जबकि लॉटरी में कम पैसों वाले भी भाग्य आजमाते थे, जिसकी आवेदन शुल्क तीस हजार रुपए तक थी।
डेढ़ लाख में छूट जाता है करोड़ों वालों का पीछा
नूर मोहम्मद के अनुसार अब नीलामी में 30 से 50 हजार रुपए तक आवेदन शुल्क और एक लाख रुपए अमानत राशि जमा करवानी होती है। किसी अन्य के दुकान आवंटित ना हो। इसलिए लोग नीलामी में बोली लगाते रहते हैं। लाखों से शुरू हुई बोली करोड़ों व अरबों तक पहुंच जाती है। फिर ये मुकर जाते हैं तो करीब डेढ़ लाख रुपए जब्त करवा देते हैं।
मुकर जाने पर क्या कार्रवाई?
नीलामी में शराब की दुकान छूटने पर तीन दिन में बोली की राशि जमा करवानी होती है। राशि जमा नहीं करवाने पर अमानत राशि जब्त करने के साथ-साथ आवेदन को तीन साल तक के नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेने से ब्लैक लिस्टेड किया जाता है। ऐसे में लोग ब्लैक लिस्टेड हो जात हैं और अगली बार की नीलामी में किसी और के नाम से आवेदन कर देते हैं।
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