सचिन पायलट के लिए आसान नहीं है मुख्यमंत्री पद की राह, गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो आएगी यह मुश्किलें
जयपुर, 23 सितंबर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के फैसले के बाद प्रदेश में मुख्यमंत्री पद को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। इसी बीच मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार सचिन पायलट ने पार्टी के विधायकों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद पायलट ने जयपुर पहुंचते ही राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के दावेदार सीपी जोशी से मुलाकात की। अशोक गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भी सचिन पायलट के लिए राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने की राह आसान नहीं है। अशोक गहलोत अपने उत्तराधिकारी के तौर पर चहेते के नेता को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। इसके लिए गहलोत ने सोनिया गांधी से सीपी जोशी के नाम की सिफारिश भी की है। मुख्यमंत्री पद को लेकर सचिन पायलट के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हुई है। गहलोत किसी सूरत में पायलट को राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं देखना चाहते हैं। सचिन पायलट अभी मुख्यमंत्री नहीं बन पाए तो उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
मुख्यमंत्री पद के लिए लॉबिंग शुरू
अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान का मुख्यमंत्री पद छोड़ेंगे। मुख्यमंत्री पद को लेकर प्रदेश में अभी से सियासत गर्म हो गई है। सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री के लिए लॉबिंग करना शुरू कर दिया है। पार्टी की मुखिया सोनिया गांधी से मुलाकात करने के बाद पायलट ने जयपुर पहुंचते ही विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से तकरीबन एक घंटे तक मुलाकात की। सचिन पायलट विधानसभा सत्र में भी शामिल हुए। इस दौरान पायलट ने विधायकों से बातचीत की। अशोक गहलोत ने भी जयपुर पहुंचते ही सभी मंत्रियों को अपने आवास पर बुला लिया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी विधायकों से बात कर अपने चहेते व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाना चाहेंगे।
गहलोत नहीं चाहते पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री बने
राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान सरकार बनने के साथ ही शुरू हो गई थी। कांग्रेस आलाकमान ने ऐन वक्त पर पायलट की जगह अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया था। इसे लेकर सचिन पायलट की नाराजगी थी। दो साल पहले सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी। हालांकि आलाकमान की समझाइश इसके बाद में पायलट वापस पार्टी में लौट आए थे। लेकिन दोनों नेताओं के बीच खटास बरकरार है। अशोक गहलोत ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की सूरत में कांग्रेस आलाकमान के सामने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर सीपी जोशी का नाम रखा है।
सचिन पायलट की बगावत का दिखेगा असर
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाने के बाद राजस्थान में होने वाले फेरबदल में सचिन बगावत का असर भी दिखेगा। गहलोत पायलट को मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। इसी के तहत वे आलाकमान के सामने पायलट की बगावत का तर्क भी रख सकते हैं। सचिन पायलट ने 2020 में अपनी ही सरकार के खिलाफ अपने समर्थित विधायकों को साथ लेकर बगावत कर दी थी। इस बगावत के बाद पायलट पार्टी में तो लौट आए। लेकिन बागी होने का ठप्पा उन पर लग गया। इसे अशोक गहलोत पूरी तरह से भुलाने की कोशिश करेंगे।
सीपी जोशी और ममता भूपेश के नाम की भी चर्चा
राजस्थान में आगामी दिनों में होने वाले फेरबदल में मुख्यमंत्री के तौर पर सचिन पायलट का नाम सबसे आगे और मजबूत है। लेकिन उनके साथ अशोक गहलोत के उत्तराधिकारी के तौर पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के नाम की भी चर्चा है। 2008 के विधानसभा चुनाव में नाथद्वारा सीट से एक वोट से चुनाव हारने पर सीपी जोशी राजस्थान के मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे। सीपी जोशी राहुल गांधी के भी करीबी माने जाते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी उनके नाम के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। वही दलित नेता के तौर पर गहलोत सरकार की मंत्री ममता भूपेश के नाम की भी चर्चा की जा रही है।