राजस्थान: सांभर झील में मेगट्स कीड़े से हुई हजारों प्रवासी पक्षियों की मौत, इसे खाते ही मार गया लकवा
जयपुर। सांभर झील में हजारों पक्षियों की रहस्यमयी ढंग से हुई मौत से पर्दा उठ गया है। पक्षियों की मौत की मेगट्स नाम के कीड़े से फैली एवियन बोटुलिज्म बीमारी को कारण होना माना जा रहा है। गुरुवार को वन विभाग, पशुपालन विभाग, स्थानीय प्रशासन और पक्षी विशेषज्ञों की टीम सांभर झील पहुंची। विशेषज्ञों की जांच पड़ताल में सामने आया है कि पक्षियों में कोई बर्ड फ्लू नहीं फैला था बल्कि मेगट्स कीड़ा की वजह से सांभर झील में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की मौत हुई है।
सांभर झील के अधिकांश पक्षी हैं मांसाहारी
बीकानेर के अपेक्स सेंटर के प्रो.एके कटारिया की मानें तो एवियन बोटुलिज्म बीमारी के कारण सांभर झील बड़ी संख्या में पक्षियों की कब्रगाह बनी है। बीमारी वाला कीड़ा मेगट्स खाने से पक्षियों में लकवे जैसे हालात बन गए। पानी में डूबने और जमीन पर पड़े-पड़े ही पक्षियों ने दम तोड़ दिया। एवियन बोटुलिज्म का जीवाणु फैलने के कारण सभी पक्षियों में यह बीमारी तेजी से फैली, क्योंकि सांभर झील में आने वाले अधिकांश पक्षी मांसाहारी हैं। मेगट्स कीड़ा खाने के बाद पक्षी लकवाग्रस्त हो गए थे।
भोपाल से आएगी विस्तृत रिपोर्ट
सांभर झील में हजारों की पक्षियों की मौत को लेकर राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर के विशेषज्ञों ने एवियन बोट्यूलिज्म की सम्भावना जताई है। राज्य पशुपालन विभाग की टीम ने वहां से सैम्पल लेकर भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग केन्द्र में भेजे गए थे। वहां की रिपोर्ट के अनुसार एवियन फ्लू से संबंधित रिपोर्ट नेगेटिव है। इसलिए फ्लू के संक्रमण का खतरा नहीं है। मौत वास्तविकरणों का पता भोपाल से विस्तृत जांच रिपोर्ट आने के बाद ही चल सकेगा।
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कोर्ट ने लिया प्रसंज्ञान, सीएम ने ली बैठक
पिछले करीब 15 से सांभर झील में पक्षियों की मौत का सिलसिला जारी था, मगर प्रशासन ने इस गंभीरता से ही नहीं लिया था। मामले में हाईकोर्ट के हाईकोर्ट के प्रसंज्ञान लेने के बाद न केवल अधिकरियों व पक्षी विशेषज्ञों की टीम मौके पर पहुंची बल्कि गुरुवार को सीएम अशोक गहलोत ने सांभर झील मामले में बैठक लेकर अधिकारियों को पक्षियों की मौत के कारणों का पता लगकार तत्काल उचित कदम उठाए जाने के कारण निर्देश दिए।
सांभर झील का इतिहास
राजस्थान के जयपुर जिले के सांभर कस्बे में स्थित सांभर झील खारे पानी की सबसे बड़ी झील है। यहां बड़े पैमाने पर नमक का उत्पादन होता है। सांभर झील में पांच नदियों का पानी आकर मिलता है। इनमें मेड़ता, सामोद, मांथा, रूपनगढ़, खारी तथा खंडेला नदी शामिल है। अरावली की पहाड़ियों में 35.5 किलोमीटर लंबी सांभर झील 57 सौ वर्ग फीट में फैली है। यहां पर 25 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी देखे जा सकते हैं। हर साल बड़ी संख्या में यहां पर प्रवासी पक्षी भी आते हैं।
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