सचिन प्रसाद बिधूड़ी कैसे बने सचिन पायलट, अब कांग्रेस का जहाज डूबोएंगे या होगी क्रैश लैंडिंग?
जयपुर। जुलाई 2020 में राजस्थान की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट बगावत कर बैठे हैं। मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश के कमलनाथ की तर्ज पर राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार गिरेगी या इस सियासी भंवर से निकलने में सफल हो पाएगी। यह तस्वीर अभी धुंधली है।
राजस्थान का राजनीतिक घटनाक्रम जिस तेजी से बदल रहा है। उससे कुछ कहा नहीं जा सकता कि सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के सत्ता रूपी इस जहाज का डूबो देंगे या फिर खुद पायलट की ही क्रैश लैंडिंग होगी।
राजस्थान में विधायकों की बाड़ाबंदी
फिलहाल जयपुर में कांग्रेस विधायकों की होटलों में बाड़ाबंदी का खेल शुरू हो गया है। राजस्थान विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की मांग भी उठने लगी है। राजस्थान के इस सियासी संकट के बीच जानिए आखिर उत्तर प्रदेश के रहने वाले 44 वर्षीय सचिन पायलट की राजस्थान की राजनीति में कैसे एंट्री हुई और वे सचिन प्रसाद सिंह बिधूड़ी से कैसे सचिन पायलट बने।
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यूपी के गांव वैदपुरा के रहने वाला है सचिन पायलट का परिवार
मीडिया की खबरों के अनुसार सचिन को पायलट नाम मिलने की कहानी की शुरुआत उनके पिता से हुई। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के छोटे से गांव वैदपुरा में गुर्जर किसान परिवार में 10 फरवरी 1945 को राजेश्वर प्रसाद सिंह बिधूड़ी (बाद में राजेश पायलट) का जन्म हुआ। पिता की मौत के बाद वे अपने चचेरे भाई के साथ दिल्ली आ गए।
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यहां पर उन्होंने चाचा की डेयरी में मवेशियों की देखभाल की और लुटियंस दिल्ली के पॉश इलाके के बंगलों में दूध बेचने जाया करते थे। चाचा के पास रहते हुए उन्होंने ग्रेजुएशन पूरी की और 29 अक्टूबर 1966 को भारतीय वायुसेना में लड़ाकू विमान के पायलट बने। फिर स्क्वाड्रन लीडर ऑफिसर पद पर पदोन्नत भी हुए।
संजय गांधी से दोस्ती के बाद कांग्रेस में एंट्री
कांग्रेस के संजय गांधी को हवाई जहाजों का काफी शौक था। इसी के चलते राजेश्वर प्रसाद सिंह बिधूड़ी की संजय गांधी से दोस्ती हुई और फिर वे कांग्रेस परिवार के नजदीक आ गए। कहते हैं इंदिरा गांधी को राजस्थान की भरतपुर लोकसभा सीट से गुर्जर उम्मीदवार की तलाश थी। संजय गांधी ने राजेश्वर का नाम सुझा दिया। इंदिरा गांधी को राजेश्वर प्रसाद सिंह बिधूड़ी नाम लम्बा लगता था। इसलिए वे उन्हें राजेश पायलट के नाम से बुलाती थीं। यहीं से राजेश्वर को नया नाम राजेश पायलट मिल गया।
भरतपुर से लोकसभा चुनाव जीता
लोकसभा चुनाव 1980 में राजस्थान के भरतपुर सीट से पर्चा दाखिल करते समय उन्होंने इंदिरा गांधी और स्थानीय कार्यकर्ताओं के कहने पर शपथ पत्र में राजेश्वर प्रसाद सिंह बिधूड़ी की बजाय राजेश पायलट ही लिखा। भरतपुर सीट से अपना पहला चुनाव जीता। फिर वे राजस्थान की दौसा सीट से चुनाव लड़ने लगे। 1991-93 में संचार मंत्री, 1993-95 में आतंरिक सुरक्षा मंत्री और 1995 में जमीन यातायात मंत्री भी रहे। वर्ष 2000 में उनकी जयपुर में मौत हो गई। उनके नाम पर भारत सरकार ने स्टाम्प भी जारी किया था।
सचिन पायलट ने 2004 में की थी लव मैरिज
राजेश पायलट ने रमा पायलट से शादी की थी। 7 सितम्बर 1977 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में इनके घर बेटे सचिन प्रसाद बिधूड़ी का जन्म हुआ। सचिन को राजनीति के साथ-साथ पायलट नाम पिता से विरासत में मिला। पिता की मौत के बाद वर्ष 2004 में सचिन पायलट ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुला की बेटी सारा अब्दुला से प्रेम विवाह किया। इनके दो बेटे हैं आर्यन व विहान। शादी के बाद सचिन राजस्थान की राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय हो गए थे। पिता की ही सीट दौसा से लोकसभा चुनाव 2004 में भाग्य आजमाया।
26 साल के सांसद बनकर बनाया था रिकॉर्ड
सचिन पायलट ने लोकसभा चुनाव 2004 में अपने पहले ही चुनाव में जीत दर्ज कर 26 साल की उम्र में देश के सबसे युवा सांसद बनने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। इसके बाद लोकसभा चुनाव 2009 में राजस्थान की अजमेर सीट से भाजपा की किरण माहेश्वरी को हराया। सचिन पायलट वर्तमान में राजस्थान के टोंक से विधायक, उप मुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष हैं। खास बात है कि सचिन पायलट अक्सर अपने पिता की तरह लाल रंग की चूनड़ी का साफा पहनते हैं और ‘राम-राम सा' संबोधन से लोगों से जुड़ते हैं। पिता की तर्ज पर सचिन भी अपने नाम के आगे पायलट लगाते हैं।
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