RAS अफसर ने अनजान कॉल पर 544 किमी दूर भारत-पाक बार्डर तक महिला को पहुंचाई मदद
जयपुर। कोरोना संक्रमण के दौरान कई अफसर अपने काम करने के तरीके से अनूठी मिसाल भी पेश कर रहे हैं। ऐसे ही आरएएस अधिकारी हैं महेन्द्र प्रताप सिंह भाटी। राजस्थान की राजधानी जयपुर में परिवहन मुख्यालय में पदस्थापित उपायुक्त महेन्द्र प्रताप सिंह भाटी ने एक अनजान फोन कॉल के आधार पर भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के गांव में बैठी महिला तक मदद पहुंचा दी। जयपुर से इस गांव की दूरी करीब 544 किलोमीटर है।
बाड़मेर से जयपुर फोन आया
हुआ यूं कि 12 अप्रैल को महेन्द्र प्रताप सिंह भाटी के पास अनजान व्यक्ति का फोन आया, जो बाड़मेर जिले के गडरारोड़ तहसील की एक छोटी सी ढ़ाणी से बोल रहा था। उसने भाटी को बताया कि उसकी पत्नी को ब्रेस्ट कैंसर है। बायोप्सी लॉकडाउन से पहले करवाई थी, लेकिन रिपोर्ट आज आई है। डॉक्टर्स का कहना है कि जल्द ही सर्जरी या कीमो थैरेपी करवानी पड़ेगी वरना कैंसर तेजी से फैलेगा। जोधपुर जाकर इलाज करवाना है, लेकिन लॉकडाउन चल रहा है। ऐसे में क्या करें और कैसे जाएं ? आप मदद कीजिए। अनजान शख्स को भाटी के नंबर उनकी फेसबुक से मिले थे।
तहसीलदार की मदद से पहुंचाया अस्पताल
इस पर भाटी ने इस अनजान व्यक्ति को मदद का भरोसा दिलाया। उसके बाद उन्होंने अपने स्तर पर जोधपुर एम्स के मुख्य प्रशासक एनआर विश्नोई और डिप्टी सुप्रीडेंट डॉ. नवीन दत्त से बात करके उन्हें महिला के इलाज के लिए राजी किया, क्योंकि कोविड-19 के चलते एम्स में सिर्फ आपातकालीन केस लेने का ही प्रोटोकॉल है। लेकिन मानवता के नाते एम्स प्रबंधन इलाज के लिए तैयार हो गया। उसके बाद महेन्द्र सिंह भाटी ने एसडीएम शिव प्रताप सिंह की मदद से तहसीलदार के माध्यम से महिला, उसके परिजन, वाहन और वाहन चालक का पास बनवाया।
महिला के घर भेजी गाड़ी
मंगलवार को बाड़मेर डीटीओ ने ढ़ाणी में महिला के घर वाहन भिजवाया और उसे जोधपुर पहुंचाया। जोधपुर एम्स में भाटी के कहने पर पहले से ही आरटीओ इंस्पेक्टर अपनी टीम के साथ मौजूद थे। उन्होंने फटाफट अस्पताल की सारी औपचारिकताएं पूरी करके महिला का इलाज शुरू करवाया। एम्स के 4 डॉक्टर्स के बोर्ड ने महिला की कीमोथैरिपी की। बोर्ड ने संतोष जताया कि महिला का इलाज समय से शुरू हो गया. वरना बहुत देर हो सकती थी।
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