Exit Poll 2019 Rajasthan : अगर यह ट्रेंड रहा जारी तो इस बार भाजपा का पलड़ा भारी
एग्जिट पोल 2019 से पहले जानिए राजस्थान में किस पार्टी का पलड़ा भारी, क्या रहा है अब तक हार-जीत का ट्रेंड
Rajasthan News in Hindi जयपुर। लोकसभा चुनाव 2019 में रविवार को अंतिम व 7वें चरण का मतदान हुआ है। इसके बाद एग्जिट पोल के नतीजे आने शुरू हो गए, जो बता रहे हैं कि देश में 'अबकी बार किसकी सरकार' बनने का रुझान है। हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 के मतदाताओं की 'मन की बात' तो 23 मई को मतों की गणना के बाद ही पता चलेगी।
बात अगर 25 लोकसभा सीटों वाले राजस्थान की करें तो यहां बरसों से एक अजब ट्रेंड चला आ रहा है। वो यह कि विधानसभा चुनाव जीतने वाली पार्टी का प्रदर्शन लोकसभा चुनावों में भी अच्छा रहता है। अब देखने वाली बात यह है कि लोकसभा चुनाव 2019 में भी ट्रेंड जारी रहता है या नहीं।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि राजस्थान में कई चुनावों से चला आ रहा अजब ट्रेंड वर्ष 2019 के चुनाव में भी जारी रहेगा ही यह जरूरी नहीं और ना ही वन इंडिया इसका दावा कर रहा है।
विधानसभा चुनाव 2003 vs लोकसभा चुनाव 2004
विधानसभा चुनाव जीतने वालों का लोकसभा चुनावों में पलड़ा भारी रहने का सिलसिला विधानसभा चुनाव 2003 से शुरू हुआ। 2003 में BJP राजस्थान की 200 सीटों में 120 सीट जीतकर सत्ता में आई। वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। उस समय कांग्रेस 153 से गिरकर 56 सीटों पर सिमट गई। फिर लोकसभा चुनाव 2004 हुए। इनमें राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से 21 पर भाजपा के खाते में गई। कांग्रेस महज चार जगह जीत पाई।
विधानसभा
चुनाव
2008
vs
लोकसभा
चुनाव
2009
राजस्थान में हर पांच साल बाद मुख्यमंत्री बदल जाने की परिपाटी है। विधानसभा चुनाव 2008 में भाजपा वापसी नहीं कर सकी। 200 सीटों में से 96 कांग्रेस और 78 भाजपा जीती। कांग्रेस के अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने। अब ये लग रहा था कि लोकसभा चुनाव 2009 में कांग्रेस का पलड़ा भारी रह सकता है। ऐसा ही हुआ। लोकसभा चुनाव 2009 में बाजी पलट गई। भाजपा की बजाय यहां भी कांग्रेस ने बाजी मारी। 25 में से कांग्रेस को 20 और भाजपा चार सीटें मिली। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई।
विधानसभा चुनाव 2013 vs लोकसभा चुनाव -2014
वर्ष 2013 के चुनाव आते आते लोगों में यह परिपाटी खासी चर्चित हो गई थी कि इस बार भी पांच साल बाद सीएम बदल जाएगा और ये ही हुआ। इस बार 200 में से 163 सीट जीतकर भाजपा सत्ता में आई। वसुंधरा राजे ने फिर बागडोर संभाली। कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटें मिली। अब बारी थी लोकसभा चुनाव 2014 की। सबको यही लग रहा था कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीते हैं तो लोकसभा चुनाव में भी कमल खिलेगा। लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया और राजस्थान की सभी 25 सीटें जीत ली।
विधानसभा चुनाव 2018 vs लोकसभा चुनाव -2019
राजस्थान में वर्ष 2003 से 2014 तक के चुनाव में चली आ रही परिपाटी विधानसभा चुनाव 2018 में भी जारी रही। पांच साल बाद राजस्थान के मतदाताओं ने फिर कांग्रेस पर भरोसा जताया। 200 में से 100 सीटें दी। भाजपा 73 सीट ही जीत पाई। पिछले वर्षों की तरह अब बारी लोकसभा चुनाव 2019 की है। इस बार भी राजस्थान में अजब ट्रेंड जारी रहता है या नहीं। इसका पता 23 मई को चल पाएगा।
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