Gurjar Aandolan 2020 : राजस्थान में महापंचायत शुरू, जानिए आखिर बार-बार क्यों होता है गुर्जर आंदोलन?
भरतपुर। राजस्थान के भरतपुर जिले की बयाना तहसील के पीलूपुरा के पास गांव अड्डा में शनिवार सुबह 11 बजे से गुर्जरों की महापंचायत शुरू हो चुकी है। आरक्षण को लेकर आंदोलनरत गुर्जरों की महापंचायत में सुबह से समाज के लोग बड़ी संख्या में पहुंचने शुरू हो गए थे।
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पीलूपुरा में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
भरतपुर जिला प्रशासन ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजार किए हैं। गुर्जरों की महापंचायत में 20 हजार लोगों के पहुंचने का दावा किया जा रहा है। वहीं, प्रशासन का मानना है कि महज 5 हजार लोग जुटेंगे। गुर्जरों की महापंचायत को देखते हुए भरतपुर के बयाना, भुसावर, वैर व रूपवास आदि में 16 अक्टूबर रात 12 बजे से 17 अक्टूबर रात 12 तक के लिए इंटरनेट सेवाएं सुबह से बंद कर दी गई है। महापंचायत स्थल के आस-पास छह एएसपी, 12 डीएसपी समेत करीब 21 सौ पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
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पूर्व में भी हो चुके हैं गुर्जर आंदोलन
राजस्थान के गांव अड्डा में 17 अक्टूबर को हो रही गुर्जरों की महापंचायत सातवें गुर्जर आरक्षण आंदोलन में बदलेगी या नहीं। यह स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है, मगर पूर्व में इसी तरह से महापंचायतें करके गुर्जर वर्ष 2006, 2007, 2008, 2010, 2015 और 2019 में छह बार आंदोलन कर चुके हैं। इन आंदोलनों में गुर्जर समाज के 72 लोग मारे गए थे। सभी आंदोलन गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में किए गए हैं। गुर्जर आरक्षण व आंदोलन से जुड़ी कई मांगों को बार-बार आंदोलन करते हैं।

ये हैं गुर्जरों की 6 प्रमुख मांगें
1. आरक्षण को केंद्र की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
2. बैकलॉग की भर्तियां निकालने व प्रक्रियाधीन भर्तियों में पूरे 5 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाए।
3.एमबीसी कोटे से भर्ती हुए 1252 कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
4. गुर्जर आरक्षण आंदोलन के शहीदों के परिजनों को नौकरी व मुआवजा दिया जाए।
5. गुर्जर आंदोलन के दौरान लगाए गए मुकदमों को वापस लिया जाए।
6. राजस्थान में देवनारायण योजना लागू की जाए।

महापंचायत के लिए पीलूपुरा को क्यों चुनते हैं गुर्जर
भरतपुर जिले की बयाना तहसील का पीलूपुरा राजस्थान गुर्जर आरक्षण आंदोलन का केंद्र बिन्दू कहा जा सकता है। पूर्व में भी वर्ष 2008, 2010 व 2015 में गुर्जर आंदोलन शुरुआत पीलूपुरा से ही हुई थी। गुर्जर आंदोलन के आगाज के लिए पीलूपुरा को चुनने की वजह यह है कि यह गुर्जर बाहुल्य इलाका है। यहां आंदोलन करने वालों को राशन की उपलब्ध आसानी से हो जाती है। यहां 80 से ज्यादा गांव गुर्जरों के हैं।