राजस्थान : 5 शिक्षकों ने की पेशकश-'बनाओ कोरोना की दवा, परीक्षण के लिए चाहो तो हमारे जीवंत शरीर ले लो'
जयपुर। दुनियाभर में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। 27 लाख 90 हजार से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। भारत समेत तमाम देश कोरोना की दवा के लिए शोध में जुटे हैं। इस बीच राजस्थान के पांच शिक्षक सामने आए हैं, जिन्होंने कोरोना शोध के लिए जरूरत पड़ने पर अपना जीवंत शरीर देने को तैयार हैं।
बता दें कि कोरोना वायरस पर शोध या इसके टीके के परीक्षण के लिए खुद का जीवंत शरीर देने वाले शिक्षक राजस्थान के अजमेर, चित्तौड़गढ़ और सीकर के रहने वाले हैं। इनमें दो महिला शिक्षिक भी शामिल हैं।
सीएम-चिकित्सा मंत्री को लिखे पत्र
पांचों शिक्षकों ने बाकायदा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा को पत्र लिखकर इच्छा जताई है कि प्रदेश के वैज्ञानिकों, डॉक्टरों को कोरोना का तोड़ निकालने के लिए मानव शरीर की आवश्यकता है तो वह इस महामारी से लोगों की जान बचाने के लिए खुद की जीवंत देह देने को तैयार हैं।
ये 5 शिक्षक आए आगे
1. दिनेश वैष्णव, शिक्षक, राउप्रावि केकड़ी, अजमेर
2.
शेखर
अडूस्या,
राप्रावि
डोया
का
खेड़ा,
मसूदा,
अजमेर
3.
धर्मचंद
आचार्य,
प्रबोधक,
राउप्रावि,
फलौदी
रघुनाथपुरा,
चित्तौड़गढ़
4.
सरोज
लोयल,
शिक्षिका,
जिला
शिक्षा
एवं
प्रशिक्षण
संस्थान
(डाइट),
सीकर
5.
कृष्णा
देवी,
प्रधानाचार्य,
राउमावि,
कंचनपुरा,
श्रीमाधोपुर,
सीकर
कोविड-19 का आयुर्वेदिक उपचार की तलाश
मीडिया के हवाले से खबर है कि भारत सरकार की फार्माकोपिया समिति के पूर्व सदस्य एवं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केएन द्विवेदी ने कहा है कि आज दुनिया कोविड का उपचार तलाश रही है। हमें भी अपने परंपरागत चिकित्सा का इस्तेमाल करना चाहिए। इसीलिए फीफाट्रोल पर मानव ट्रायल करके कोरोना वायरस का आयुर्वेदिक उपचार पता करने की योजना है।
आयुष मंत्रालय को भेजा प्रस्ताव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कोरोना के इलाज में आयुर्वेदिव दवा फीफाट्रोल की उपयोगिता की खोज की योजना बनाई है। यह दवा डेंगू के इलाज में कारगर साबित हो चुकी है। इस संबंध में उन्होंने आयुष मंत्रालय की गठित टास्क फोर्स को प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव में लिखा है कि फीफाट्रोल 13 जड़ी बूटियों से तैयार एक एंटी माइकोबियल औषधीय फार्मूला है जिसमें शामिल पांच प्रमुख बूटियों में सुदर्शन वटी, संजीवनी वटी, गोदांती भस्म, त्रिपुवन कीर्ति रस तथा मत्युंजय रस शामिल हैं, जबकि आठ औषधों के अंश मिलाये गये हैं जिनमें तुलसी, कुटकी, चिरयात्रा, मोथा गिलोय, दारुहल्दी, करंज तथा अप्पामार्ग शामिल हैं।
एम्स ने भी किया अध्ययन
इतना ही नहीं फीफाट्रोल पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भी इस पर अध्ययन कर चुका है जिसमें यह दवा आयुर्वेद एंटीबॉयोटिक्स के रूप में साबित हुई है। शोध के दौरान बैक्टीरिया संक्रमण रोकने में यह कारगर मिली इसीलिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने में यह सहायक है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस को लेकर आयुर्वेद का ट्रायल दुनिया में कहीं नहीं हुआ है। भारत में यह अनूठा प्रयोग किया जाएगा।
राजस्थान में कोरोना वायरस की स्थिति
बता दें कि राजस्थान में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है।प्रदेश के 26 जिले कोविड-19 की चपेट में हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से 25 अप्रैल सुबह नौ बजे जारी रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 2059 हो गई है। 25 नए केस शनिवार को सामने आए हैं। अब तक कोरोना के कारण 32 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना के 493 मरीज ठीक हो चुके हैं।
तीन दिन का वेतन भी दे चुका हूं
शिक्षक दिनेश वैष्णव ने बताया कि अपने तीन दिन का वेतन दे चुका है। इसके अलावा अगर देश के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को कोरोना वायरस के टीके और वैक्सीन के लिए मानव शरीर की आवश्यकता हो तो मैं अपना जीवंत शरीर देने को तैयार हूं। मानव कल्याण की दिशा में अगर मुझे यह मौका मिलता है तो मैं खुद को भाग्यशाली समझूंगा।
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