राजस्थान : मॉडिफाइड लॉकडाउन में मास्क नहीं लगाने पर हो सकती है एक साल की सजा
जयपुर। राजस्थान में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार तेजी से बढ़ता जा रहा है। 20 अप्रैल 2020 को दोपहर दो बजे तक कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 1535 तक पहुंच गई हैं। एक ही दिन में कोरोना के 57 नए केस सामने आए हैं।
राजस्थान सरकार बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है। प्रदेश के सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है और अब मास्क लगाना भी अनिवार्य कर दिया है। बिना मास्क पहने घूमने पर एक वर्ष की सजा और जुर्माना अथवा दोनों हो सकती है। कोरोना संकट के चलते आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत बिना मास्क पहने घूमना दंडनीय अपराध माना जाएगा।
Tejasvi rana IAS : ये हैं वो आईएएस जिन्होंने लॉकडाउन में कटवाया MLA की गाड़ी का चालान
बता दें कि कोरोना संकट के चलते देश में लागू लॉकडाउन की अवधि तीन मई तक बढ़ा दी गई है। वहीं, राजस्थान में 20 अप्रैल के बाद से मॉडिफाइड लॉकडाउन लागू किया गया है, जिसमें चुनिंदा दुकानों, संस्थानों आदि को छूट गई है। इस अवधि की खास बात है कि इसमें मास्क लगाना अनिवार्य किया गया है ताकि बढ़ते कोरोना संक्रमण को रोका जा सके।
राजस्थान : 26 जिलों में फैला कोरोना, 24 लोगों की मौत, नवजात बच्ची समेत 1495 लोग कोरोना पॉजिटिव
राजस्थान मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को आदेशों की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि प्रदेश में 20 अप्रैल से 3 मई तक लागू मॉडिफाइड लॉकडाउन के तहत मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है। सभी जिला कलेक्टरों, एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, सब इंस्पेक्टर, पुलिस, रेवेन्यू इंस्पेक्टर, सफाई निरीक्षक से आदेशों की सख्ती से पालना करवाएं और इस कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही बरती न जाए.
वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के दौरान प्रदेशवासियों से मास्क पहनने की सार्वजनिक अपील की है। राज्य के आपदा एवं प्रबंधन विभाग ने मुख्यमंत्री की अपील को कानूनी जामा पहनाते हुए जमीनी धरातल पर उतार दिया है। अब यदि मॉडिफाइड लोकडाउन के तहत कोई व्यक्ति मास्क पहने घूमता है तो इसे दंडनीय अपराध माना जाएगा। कानून के तहत सजा दी जाएगी।
आपदा से निपटने के लिए 2005 में बना था कानून
आपदा प्रबंधन अधिनियम को दिसंबर, 2005 में लागू किया गया. ये एक राष्ट्रीय कानून है. जिसका इस्तेमाल केंद्र सरकार करती है, ताकि किसी आपदा से निपटने के लिए एक देशव्यापी योजना बनाई जा सके. इस एक्ट के दूसरे भाग के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के गठन का प्रवधान है. जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है.