मूंगफली बेचने वाले का बेटा बनेगा वैज्ञानिक, सब कह रहे ये है असली 'गुदड़ी का लाल', जानिए कामयाबी का राज
Sikar News, सीकर। राजधानी जयपुर में मूंगफली बेचने वाले घनश्याम दास बागानी की जिंदगी में अब वो दिन दूर नहीं जब इन्हें वैज्ञानिक मोहित के पिता के रूप में भी पहचाना जाएगा। इनका बेटा असली 'गुदड़ी का लाल' निकला है। आर्थिक तंगी और तमाम मुश्किल हालात में पढ़-लिखकर बेटे मोहित ने उम्मीद की किरण जगाई है। सब कुछ उम्मीद के अनुसार रहा तो मोहित बागानी इसरो में बतौर वैज्ञानिक काम करता नजर आ सकता है।
बता दें कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु द्वारा आयोजित किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना (KVPY) फाइनल रिजल्ट में सीकर स्थित आईआईटी जेईई एवं प्री-मेडिकल कोचिंग संस्था पीसीपी के 4 विद्यार्थियों ने ऑल इंडिया जनरल कैटेगरी में टॉप-100 में रैंक हासिल की है।
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अखिल भारतीय स्तर पर दसवीं रैंक
इनमें मोहित बागानी ने अखिल भारतीय स्तर पर सामान्य वर्ग में 10वीं रैंक हासिल की है। मोहित बेहद सामान्य परिवार से है। पिता घनश्याम दास बागानी मूंगफली का ठेला लगाते हैं जबकि मां निजी स्कूल में पढ़ाती है। मोहित की प्रतिभा व उसके परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते सीकर के संस्थान ने इसे निशुल्क पढ़ाया है।
दो साल से परिवार से दूर
बचपन से मोहित का ख्वाब वैज्ञानिक बनने का था। आर्थिक तंगी के बावजूद मोहित ने अपने लक्ष्य पर नजर रखी और पढ़ाई पर मेहनत की। दसवीं में 90.50 प्रतिशत और बारहवीं में 88 प्रतिशत अंक हासिल किए। दसवीं के बाद पीसीपी में तैयारी शुरू कर दी। दो साल से परिवार से दूर रहकर पढ़ाई कर रहा है।
सप्ताह में सिर्फ दो बार करता बात
भविषय में न्यूरोसाइंस में शोध कर पीड़ित मानवता की सेवा करने का ख्वाब देखने वाले मोहित ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता के आशीर्वाद को दिया है। साथ ही मोहित की लगन और मेहनत ने भी इसे मुकाम तक पहुंचा दिया। खास बात यह है कि मोहित परिवार से सप्ताह में सिर्फ दो ही बार बात करता था। इसके अलावा मोबाइल व अन्य गैजेटस से भी दूर रहता था।