जयपुर में फंसे बिहार के मजदूरों की दास्तां, आरोप-'हमारी कोई नहीं ले रहा सुध', खाने के लिए भी छीना-झपटी
जयपुर। कोरोना वायरस का कहर थमने का नहीं ले रहा है। राजस्थान में 20 मई तक कोरोना के 5906 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं। लॉकडाउन-4.0 के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं। अकेले जयपुर में करीब 8 हजार प्रवासी मजदूरों ने एक स्कूल में डेरा डाल रखा है। इनमें दो हजार मजदूर यूपी और छह हजार मजदूर बिहार के हैं। इनमें वो मजदूर भी शामिल हैं, जो महाराष्ट्र और गुजरात में काम करते थे। लॉकडाउन के चलते वहां से पैदल ही अपने घरों की ओर पलायन कर रहे थे। फिलहाल इन्हें स्कूल में टेंट लगाकर रोका गया है। सरकार की ओर से इनके लिए भोजन-पानी की व्यवस्था की जा रही है।
यूपी के मजदूरों के लिए 30 बसों की व्यवस्था
बिहार के मजदूरों का आरोप है कि यूपी के मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था की जा रही है, मगर बिहार के मजदूरों की कोई सुध नहीं ले रहा है। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने यूपी के मजदूरों की घर वापसी के लिए 30 बसों का इंतजाम किया है।
सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं
बिहार के मजदूरों ने आरोप ने लगाया कि उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। भीषण गर्मी में वे टेंट के नीचे रहने को मजबूर हैं। मजदूरों के लिए कोई सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था भी नहीं की जा रही है। इससे कोरोना वायरस का संक्रमण फैलना का डर है।
भोजन के लिए झीनाझपटी
स्कूल में टेंट लगाकर ठहराए गए मजदूरों के लिए समय समय भोजन की गाड़ी आ रही है। अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि भोजन की गाड़ी आते ही भूखे प्यासे मजदूर उस पर टूट पड़ते हैं। भोजन के पैकेट पर मजदूरों में झीनाझपटी भी हो रही है।
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