IAS Joga ram : बिना कोचिंग अफसर बने जोगाराम दो दिन पुराने अखबारों व रेडियो सुनकर करते थे तैयारी
नई दिल्ली। राजस्थान सरकार ने मंगलवार रात 7 आईएएस अधिकारियों के तबादले किए हैं। भरतपुर जिला कलक्टर आईएएस जोगाराम जांगिड़ को जयपुर जिला कलक्टर लगाया है। राजस्थान के बेहद शांत अफसरों में शुमार आईएएस जोगाराम की जीवनी प्रेरणादायक है। संघर्ष की मिसाल और बुलंद हौसलों की ऊँची उड़ान है, जो बयां करती है कि मुश्किल हालात में भी जोश और जुनून के बूते इंसान कामयाबी की सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ सकता है।
आईएएस जोगाराम को जयपुर जिला कलक्टर लगाए जाने के मौके पर वन इंडिया हिंदी से खास बातचीत में इनके छोटे भाई नाथूराम जांगिड़ ने बताई जोगाराम की सफलता के पीछे के संघर्ष की वो कहानी, जो हर किसी को आगे बढ़ने और कुछ कर दिखाने को प्रेरित करती है।
बाड़मेर के गांव गंगाला के रहने वाले हैं जोगाराम
राजस्थान के सरहदी इलाके बाड़मेर जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर महज 52 सौ की आबादी वाली ग्राम पंचायत गंगाला के सरपंच एवं जिला सरपंच संघ बाड़मेर के उपाध्यक्ष नाथूराम जांगिड़ बताते हैं कि 17 जनवरी 1981 को अर्जुनराम जांगिड़ की पहली संतान के रूप में जोगाराम का जन्म हुआ। जोगाराम जांगिड़ की दिलचस्पी फर्नीचर के पुस्तैनी काम की बजाय किताबों में थी। नतीजा यह रहा कि बेहद पिछड़े इलाके गंगाला के जोगाराम ने जयपुर जिला कलक्टर तक का सफर तय कर लिया।
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जोगाराम कलक्टर बनने से पहले थे ग्राम सेवक
जोगाराम ने गांव गंगाला और बाड़मेर के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की। 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वर्ष 1999 में जोगाराम की सबसे पहले ग्राम सेवक के रूप में सरकारी नौकरी लगी। पोस्टिंग अपनी ही पंचायत समिति की सेतरउ गांव में मिली। ग्राम सेवक बनने के बाद भी जोगाराम ने पढ़ाई नहीं छोड़ी और कॉलेज की पढ़ाई स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में पूरी की।
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जोगाराम बिना कोचिंग के बने आईएएस अधिकारी
नाथूराम जांगिड़ के अनुसार बाड़मेर जिले में करीब पांच साल ग्राम सेवक रहने के दौरान जोगाराम ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। खास बात है कि जोगाराम ने कोई कोचिंग नहीं की। बाड़मेर में ही रहकर किताबों, पुस्तकालय, अखबारों और रेडियो पर बीबीसी सुनकर तैयारी की। वर्ष 2005 में 62वीं रैंक पर इनका आईएएस में चयन हुआ।
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जयपुर कलक्टर जोगाराम का परिवार
जोगाराम पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। दो छोटे भाई व दो बहन हैं। छोटा भाई शंकर जांगिड़ का 2013 में आईआरएस में चयन हुआ। मझले भाई नाथूराम गांव के सरपंच हैं। वर्ष 2001 में बाड़मेर की चौहटन पंचायत समिति के गांव घोनिया की मोहरी देवी से जोगाराम की शादी हुई। इनका बेटा अमृत 11वीं कक्षा और बेटी शीतल प्रथम वर्ष में जयपुर में अध्ययनरत हैं।
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बाड़मेर से आईएएस बनने वाले जोगाराम दूसरे शख्स
नाथूराम जांगिड़ बताते हैं कि उनके भाई जोगाराम वर्ष 2005 में बाड़मेर जिले से आईएएस बनने वाले दूसरे शख्स हैं। इनसे पहले बाड़मेर से ललित पंवार आईएएस बने। उस समय गांव गंगाला के कई लोगों को तो पता तक नहीं था कि भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी आईएएस होता क्या है। तब कई लोग तो यही समझते थे कि जोगाराम का ग्राम सेवक पद से अफसर के पद पर प्रमोशन हुआ है।
जोगाराम व उनके गांव से जुड़ी कुछ खास बातें
- आईएएस बनने के बाद भी जोगाराम का अपनी जड़ों से गहरा जुड़ाव है। घर-परिवार में शादी-विवाह के साथ-साथ जागरण तक कार्यक्रम में जोगाराम शिकरत करते हैं।
- जोगाराम का गांव गंगाला बेहद पिछड़ा हुआ है। अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इनके भाई नाथूराम सरपंच बनने के बाद वर्ष 2017 में गांव गंगाला में मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंची।
-
जिस
समय
जोगाराम
प्रतियोगी
परीक्षाओं
की
तैयारी
करते
थे।
तब
इनके
गांव
में
अखबार
दो
दिन
बाद
और
रोजगार
समाचार
सात
दिन
बाद
पहुंचा
करते
थे।
-भारत-पाकिस्तान
बॉर्डर
से
60
किलोमीटर
दूर
बसे
गांव
गंगाला
में
तब
एक
ही
बस
चला
करती
थी,
जो
सिर्फ
बाड़मेर
तक
आती-जाती
थी।
-जोगाराम
जब
आईएएस
बने
तब
उनकी
पहली
बार
फुल
साइज
की
तस्वीर
खींची
गई।
इससे
पहले
परीक्षाओं
के
फार्म
पर
लगाने
के
लिए
पासपोर्ट
साइज
की
फोटो
खिंचवाई
थी।
-वर्ष
2001
में
जोगाराम
की
शादी
में
भी
कोई
फोटोग्राफी
नहीं
हुई
थी।
गांव
में
शादियों
में
फोटोग्राफी
का
माहौल
ही
नहीं
था।
-जोगाराम
भरतपुर,
दौसा,
कोटा
और
झुंझुनूं
के
जिला
कलेक्टर
समेत
राजस्थान
की
नौकरशादी
में
कई
महत्वपूर्ण
पदों
पर
रह
चुके
हैं।