जयपुर न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

Gurjar Andolan : राजस्थान में रेल पटरियों पर गुर्जरों का कब्जा, बैंसला ने बताया-कब होगा खत्म आंदोलन?

Google Oneindia News

भरतपुर। राजस्थान में आरक्षण के लिए गुर्जर फिर आंदोलन की राह पर हैं। प्रदेश के भरतपुर जिले की बयाना तहसील के गांव पीलूपुरा में एक नवंबर से शुरू हुआ गुर्जर आंदोलन दूसरे दिन सोमवार को भी जारी रहा। यहां बड़ी संख्या में गुर्जर समाज के लोग रेल पटरियों पर कब्जा जमाए बैठे हैं।

Recommended Video

Rajasthan में आरक्षण को लेकर गुर्जरों का आंदोलन,रेल पटरियों पर बैठे,कई ट्रेनें रद्द | वनइंडिया हिंदी
गुर्जरों ने रेल पटरियों पर गुजारी रात

गुर्जरों ने रेल पटरियों पर गुजारी रात

गुर्जरों ने रविवार की रात भी पटरियों पर ही गुजारी है। यहीं पर भोजन व चाय-नाश्ते की व्यवस्था कर रखी है। गुर्जरों द्वारा पटरियों पर डेरा डाले जाने दिल्ली-मुम्बई के बीच रेल यातायात बंद हो गया है। रविवार से इस मार्ग की कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है जबकि कुछ ट्रेनों को मार्ग परिवर्तित करके चलाया जा रहा है। पीलूपुरा में रेलवे ट्रेक पर 400 से ज्यादा गुर्जर मौजूद बताए जा रहे हैं।

14 साल में सातवीं बार गुर्जर आंदोलन

बता दें कि गुर्जर आंदोलन 2020 का नेतृत्व भी गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ही कर रहे हैं। इन्हीं के नेतृत्व में बीते 14 साल में राजस्थान में पहले भी छह बार आंदोलन हो चुके हैं। गुर्जर व राजस्थान सरकार के बीच आमने-सामने की लड़ाई में 72 लोग जान भी गंवा चुके हैं। अब 2020 में सातवीं बार गुर्जर आंदोलन हो रहा है।

मांगें माने जाने के बाद उठेंगे पटरियों से-बैंसला

मांगें माने जाने के बाद उठेंगे पटरियों से-बैंसला

इधर, न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने स्पष्ट किया है कि राजस्थान सरकार को गुर्जर आरक्षण से जुड़ी मांगों को जितना जल्द हो सके मानना चाहिए, क्योंकि मांगें पूरी नहीं होने तक हम गुर्जर आंदोलन जारी रखेंगे।

पहले दौर की वार्ता में नहीं बनी सहमति

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजस्थान गुर्जर आंदोलन 2020 में गुर्जर इस बात पर अड़े हुए हैं कि वे वार्ता के लिए सरकार के पास नहीं जाएंगे। अब जो भी वार्ता होगी वो बयाना स्थित पीलूपुरा में धरना स्थल पर होगी। रविवार को राजस्थान सरकार की ओर से गुर्जरों से बातचीत करने के लिए खेल मंत्री अशोक चांदना आए थे, मगर पहले दौर की यह वार्ता विफल रही।

 रेल पटरियों के साथ-साथ सड़क पर भी जाम

रेल पटरियों के साथ-साथ सड़क पर भी जाम

खबर यह भी है कि गुर्जरों ने राजस्थान में रेल यातायात के साथ-साथ बसों के संचालन को भी प्रभावित कर रखा है। पीलूपुरा में रेलवे ट्रेक पर कब्जा कर रखा है। वहीं, बयाना-हिंडौन में सड़क मार्ग भी जाम कर रखा है। यहां सड़क पर झाड़ियां व पत्थर डालकर रास्ता बंद किया हुआ है। ऐसे में करौली रोडवेज बस डिपो से बसों का संचालन बंद है।

(Gurjar Aandolan 2006) : गुर्जर आंदोलन की शुरुआत

(Gurjar Aandolan 2006) : गुर्जर आंदोलन की शुरुआत

वर्ष 2006 से देश में आरक्षण की चिंगारी तो आजादी के बाद से ही सुलग रही है, मगर राजस्थान में गुर्जर आंदोलन की चिंगारी सबसे पहले वर्ष 2006 में भड़की। तब से लेकर अब तक रह-रहकर छह बार बड़े आंदोलन हो चुके हैं। इस दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों की सरकार रही, मगर किसी सरकार से गुर्जर आरक्षण आंदोलन की समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकला। वर्ष 2006 में एसटी में शामिल करने की मांग को लेकर पहली बार गुर्जर राजस्थान के हिंडौन में सड़कों व रेल पटरियों पर उतरे थे। गुर्जर आंदोलन 2006 के बाद तत्कालीन भाजपा सरकार महज एक कमेटी बना सकी, जिसका भी कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला।

(Gurjar Aandolan 2007) : दूसरी बार में 28 लोग मारे गए

(Gurjar Aandolan 2007) : दूसरी बार में 28 लोग मारे गए

वर्ष 2006 में हिंडौन में रेल पटरियां उखाड़ने वाले गुर्जर कमेटी बनने के बाद कुछ समय के लिए शांत जरूर हुए थे, मगर चुप नहीं बैठे और 21 मई 2007 फिर आंदोलन का ऐलान कर दिया। गुर्जर आंदोलन 2007 के लिए पीपलखेड़ा पाटोली को चुना गया। यहां से होकर गुजरने वाले राजमार्ग को जाम कर दिया। इस आंदोलन में 28 लोग मारे गए थे। फिर चौपड़ा कमेटी बनी, जिसने अपनी रिपोर्ट में गुर्जरों को एसटी आरक्षण के दर्ज के लायक ही नहीं माना था।

(Gurjar Aandolan 2008) : तीसरा बार में बढ़ा मौतों का आकड़ा

(Gurjar Aandolan 2008) : तीसरा बार में बढ़ा मौतों का आकड़ा

पीपलखेड़ा पाटोली में गुर्जर आंदोलन किए जाने के सालभर बाद ही गुर्जरों ने फिर ताल ठोकी। सरकार से आमने-सामने की लड़ाई का ऐलान कर 23 मार्च 2008 को भरतपुर के बयाना में पीलु का पुरा ट्रैक पर ट्रेनें रोकी। सात आंदोलनकारियों को पुलिस फायरिंग में जान गंवानी पड़ी। सात मौतों के बाद गुर्जरों ने दौसा जिले के सिंंकदरा चौराहे पर हाईवे को जाम कर दिया। नतीजा यहां भी 23 लोग मारे गए और गुर्जर आंदोलन 2008 तक मौतों का आंकड़ा 28 से बढ़कर 58 हो गया, जो अब तक 72 तक पहुंच चुका है।

पीलु का पुरा के बाद मकसूदनपुरा में पड़ाव

पीलु का पुरा के बाद मकसूदनपुरा में पड़ाव

वर्ष 2008 के बाद दो बार और गुर्जर आंदोलन हुआ। 24 दिसम्बर 2010 और 21 मई 2015 में है। गुर्जर आंदोलन 2010 (Gurjar Aandolan 2010) और गुर्जर आंदोलन 2015 (Gurjar Aandolan 2015) हुआ। दोनों ही बार में मुख्य केन्द्र राजस्थान के भरतपुर जिले की बयाना तहसील का गांव पीलु का पुरा रहा। यहां पर आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जरों ने रेल रोकी और महापड़ाव डाला। तब जाकर पांच प्रतिशत आरक्षण का समझौता हुआ। मिला एक प्रतिशत, क्योंकि इससे ज्यादा देने पर कुल आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा हो रहा था।

<strong>राजस्थान के </strong><strong>गुर्जर आंदोलन का इतिहास </strong>राजस्थान के गुर्जर आंदोलन का इतिहास

Comments
English summary
gurjar movement continue in Bharatpur Rajasthan Gurjar agitation latest update
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X