राजस्थान की गहलोत सरकार ने 200 से ज्यादा मृतक आश्रितों को देगी नौकरी, 20 से अटके मामलों का निस्तारण
जयपुर। सरकारी सिस्टम में कायदे-कानून की पालना जरूरी है, लेकिन मानवीय संवेदना इनसे ऊपर हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मृत आश्रितों को नियुक्ति के मामले में ऐसी ही उदारता दिखाई कि 21 से 27 साल बाद नौकरी मिल रही है. राज्य कर्मचारी की सरकारी नौकरी के दौरान मृत्यु होने पर आश्रित को नौकरी देने का प्रावधान है. इसके लिए कर्मचारी की मृत्यु के बद एक निश्चित अवधि में नियुक्ति के लिए आवेदन करना होता है.

नियमों में प्रावधान है कि मृतक आश्रित ने 90 दिन की अवधि में आवेदन नहीं किया तो वह नियुक्ति की पात्रता से बाहर हो जाता है. इसी तरह नियुक्ति के लिए मृतक आश्रित की उम्र 18 से 33 साल होना जरूरी है हालांकि किन्हीं विशेष परिस्थियों के कारण मुख्यमंत्री चाहे तो आवेदन की समयावधि तथा आश्रित की उम्र के मामलें में शिथिलन दे सकती है. लेकिन ऐसा पहली बार देखा गया है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कर्मचारी की मौत 27 साल बाद आवेदन करने पर भी उसके आश्रित को नौकरी के लिए शिथिलन दिया है.
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मुख्य बिंदु
- होमगार्ड के तीन मृतकों के आश्रितों को आवेदन में शिथिलन देने पर सीएम अशोक गहलोत ने सहमति दी.
- पिछली भाजपा सरकार में शिथिलन देने से इनकार किया जा चुका था.
- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पारिवारिक हालात को देखते हुए उदारता दिखाई.
- मुख्यमंत्री की सहमति के बाद गृह विभाग ने होमगार्ड विभाग को फाइल भेजी.
- अब तीनों कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी मिल सकेगी.
- होमगार्ड कर्मचारी प्रवीण लता शर्मा की 28 जुलाई 1993 को मृत्यु हुई थी.
- इसके बाद नियमानुसार 90 दिन में अनुकम्पात्मक नियुक्ति के लिए आवेदन किया जाना चाहिए.
- नियुक्ति के लिए 24 फरवरी 2015 को अर्थात 21 वर्ष 3 महीने 26 दिन की देरी से आवेदन किया गया.
- आश्रित विशाल शर्मा का जन्म 28 अक्टूबर 1987 एवं बालिग 28 अक्टूबर 2005 को हुआ.
- विशाल ने बालिग होने के 9 साल 5 महीने 10 दिन बाद आवेदन किया.
- इसी तरह होमगार्डकर्मी बाबूलाल भार्गव की मृत्यु 21 नवम्बर 1986 को हुई.
- आश्रित ने 26 जुलाई 2014 को अर्थात 27 साल 5 महीने 5 दिन विलम्ब से आवेदन किया.
- आश्रित अमृतलाल भार्गव का जन्म 18 जुलाई 1986 और बालिग हुआ 18 जुलाई 2004.
-पिछली भाजपा सरकार ने दोनों की मामलों में प्रकरणों को प्रस्ताव स्वीकार योग्य नहीं बताते हुए खारिज कर दिया था.
- इसके बाद अब मामला फिर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंचा तो उन्होंने इन प्रकरणों में शिथिलता दे दी.