इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे : जिस्म बेचकर चूल्हा जलता था, कोरोना संकट में अब उसे भी छूना गुनाह हो गया
जयपुर। कोरोना संकट में सेक्स वर्कर्स के सामने भी मुसीबतें खड़ी हो रही हैं। कोरोना महामारी के डर से सेक्स वर्कर्स के पास ग्राहक नहीं आ रहे हैं। इस वजह से दो वक्त का खाना जुटा पाना भी मुश्किल हो गया है। आज हम आपको इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे पर राजधानी की राजधानी जयपुर जिला मुख्यालय से 70 किलो मीटर दूर नरेना के रेड लाइट एरिया की कहानी बताने जा रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से इनका रोजगार छीन गया है।
भूखे मरने की नौबत आई
इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स मनाने का उद्देश्य यौनकर्मियों के अधिकारों के बारे में लोगों को जागरूक करना है ताकि यौनकर्मी समाज में सम्मान की जिंदगी जी सकें। सेक्स वर्कर्स अपना यौन शोषण कराकर जीवनयापन करती हैं, लेकिन इन दिनों कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से आजीविका के साधन की कमी हो गई है और सेक्स वर्कर्स भुखमरी की कगार पर आ गई हैं। शारीरिक दूरी ने उनका जीवन मुश्किल कर दिया है।
अपने गृह राज्यों को लौट गईं सेक्स वर्कर्स
नरेना रेड लाइट एरिया की कई महिलाओं ने बताया कि करीब 60 फीसदी से ज्यादा सेक्स वर्कर्स अपने गृह राज्यों को लौट गई हैं। कोरोना महामारी के डर से ग्राहकों ने सेक्स वर्कर्स से दूरी बना ली है। इस वजह से उनके हाथ में पैसा नहीं आ रहा है। फिलहाल सेक्स वर्कर्स सरकार द्वारा वितरित किए जा रहे भोजन के पैकेट पर निर्भर हैं। ना उनको सरकार की ओर से किसी प्रकार की आर्थिक मदद मिली ना ही भामाशाहों ने सहायता की है।
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सरकारी मदद नहीं मिल रही
दलाल ने बताया कि कोरोना महामारी में जीना मुश्किल हो गया है। सरकारी मदद का प्रयास करते हैं। जिम्मेदारी अधिकारी कर्मचारी सिर्फ दस्तावेज देखते हैं। मदद नहीं करवा रहे। महाराष्ट्र से यहां आई सेक्स वर्कर ने बताया कि इन दिनों भूखे मरने की नौबत आ गई है। कोरोना संकट के बीच ना ग्राहक आ रहे और ना ही सरकारी स्तर पर कोई मदद की जा रही है।
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