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दूदा राम हुड्डा : 14 साल में 14 बार लगी सरकारी नौकरी, गरीबी के कारण शिक्षकों ने उठाया पढ़ाई का खर्च

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जयपुर। बहुत कम ऐसे लोग होते हैं, जो जिंदगी में पहली बार लगी सरकारी नौकरी को ठुकरा दें। बल्कि अधिकांश तो अपनी पहली ही सरकारी नौकरी में पूरी जिंदगी खपा देते हैं, मगर इस मामले में राजस्थान के दूदा राम हुड्डा की कहानी सबसे जुदा है। दूदा राम हुड्डा के बुलंद हौसलों और आत्मविश्वास का अंदाजा इससे लगा सकते हो कि इन्होंने अपनी शुरुआती तीन सरकारी नौकरियां तो ज्वाइन तक नहीं की और फिर 14 साल में 14 बार सरकारी नौकरी लगकर दिखाया। अफसर बनने का ख्वाब पूरा करके ही माने।

दूदा राम हुड्डा आरएएस का साक्षात्मकार

दूदा राम हुड्डा आरएएस का साक्षात्मकार

दूदा राम हुड्डा मूलरूप से राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर के धोरीमन्ना उपखंड की अरणियाली ग्राम पंचायत के गांव रामपुरा के रहने वाले हैं। वर्तमान में जालौर जिले के चितलवाना में उपखंड ​अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। वन इंडिया हिंदी से बातचीत में दुदाराम ने बताई अपनी सफलता की पूरी कहानी।

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दूदा राम की सरकारी नौकरियां

दूदा राम की सरकारी नौकरियां

1. वर्ष 2003 में इंडियन नेवी

2. वर्ष 2004 में राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल
3. वर्ष 2006 में दिल्ली सरकार में तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर चयन।
4. वर्ष 2007 में राजस्थान तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में चयन।
5. वर्ष 2008 में ग्राम सेवक
6. वर्ष 2008 में राजस्थान पुलिस में उप निरीक्षक
7. वर्ष 2009 में पटवारी
8. वर्ष 2010 में दिल्ली पुलिस उप निरीक्षक में चयन।
9. वर्ष 2012 में द्वितीय श्रेणी (अंग्रेजी विषय) में 453वीं रैंक पर चयन।
10. वर्ष 2012 में प्रधानाध्यापक परीक्षा में 403वीं रैंक पर चयन।
11. वर्ष 2012 में आरएएस एलाइड सर्विस में अंतिम चयन।
12. वर्ष 2013 में अंग्रेजी व्याख्याता पद पर 398वीं रैंक पर चयन।
13. वर्ष 2013 में आरएएस एलाइड सर्विस में अंतिम चयन।
14. वर्ष 2017 में आरएएस परीक्षा में 21वीं रैंक पर चयन।

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कौन-कौनसी नौकरी ज्वाइन की

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दूदा राम हुड्डा बताते हैं कि उन्होंने शुरुआत की तीन नौकरियां तो ज्वाइन ही नहीं की। इंडियन नेवी, राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल व दिल्ली सरकार में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में चयन होने के बावजूद यहां ज्वाइन नहीं किया। वर्ष 2007 में राजस्थान में तृतीय श्रेणी शिक्षक के रूप में पहली बार सरकारी नौकरी ज्वाइन की। इसके बाद ग्राम सेवक, राजस्थान पुलिस उप निरीक्षक, पटवारी, दिल्ली पुलिस उप निरीक्षक में भी चयन हुआ, मगर ज्वाइन नहीं किया। दूसरी बार सिर्फ वर्ष 2012 में अंग्रेजी विषय के ​द्वितीय श्रेणी शिक्षक के रूप में ज्वाइन किया। इसके बाद आरएएस एलाइड, अंग्रेजी व्याख्याता की नौकरी में भी कार्यभार ज्वाइन नहीं किया। अंतिम और तीसरी बार वर्ष 2016 आरएएस परीक्षा में चयनित किया। वर्तमान में बतौर आरएएस ही कार्यरत हैं।

 ज्वाइन ही नहीं करना था तो क्यों दी परीक्षा?

ज्वाइन ही नहीं करना था तो क्यों दी परीक्षा?

दूदा राम हुड्डा कहते हैं कि अक्सर उनसे लोग सवाल करते हैं कि जब ज्वाइन ही नहीं करना था तो प्रतियोगी परीक्षाएं ही क्यों देते थे। 14 बार सरकारी नौकरियों में चयन हुआ। ज्वाइन सिर्फ तीन जगह किया। इस पर दूदा राम का जवाब होता है कि 'मेरा लक्ष्य आरएएस अधिकारी बनना था। इसलिए मैं प्रतियोगी परीक्षाओं के फार्म भरता और परीक्षा देता था कि मुझे अपनी तैयारी का पता लग सके और कमियों को मैं दूर कर सकूं। आरएएस बनने का सपना पूरा हो गया तो मेरी प्रतियोगी परीक्षाएं देने का सिलसिला और तैयारी भी थम गई।'

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परिवार में इकलौते शिक्षित

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दूदा राम हुड्डा चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। भाई-बहन कभी स्कूल नहीं गए। माता मीरा देवी व पिता अचलाराम भी अनपढ़ हैं। पिता खेती करते हैं। दूदा राम अपने परिवार में इकलौते पढ़े-लिखे शख्स हैं। वर्ष 2010 में इनकी शादी रुकमा देवी के साथ हो गई थी। शादी के बाद भी ये तैयारी करते रहे और सरकारी नौकरियां लगते रहे। पिता करते थे। परिवार के आर्थिक हालात अच्छ नहीं थे। दूदा राम की पढ़ाई में उसके शिक्षकों ने आर्थिक मदद की। शिक्षकों ने फीस, किताब व कॉपियों का खर्च उठाया। दसवीं तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से की। फिर 11वीं के बाद की पढ़ाई बाड़मेर से की। साथ ही ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने लगे।

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इन युवाओं की स्टोरी भी दूदा राम से मिलती जुलती

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प्रेमसुख डेलू, श्याम सुंदर बिश्नोई, राकेश कुमार और महेंद्र कुमार। ये वो युवा हैं, जिनकी सक्सेस स्टोरी भी दूदा राम की स्टोरी से मिलती जुलती है। हालांकि इनमें सबसे अधिक सरकारी नौकरी लगने में बाजी दूदा राम ने मारी है। वहीं, प्रेमसुख डेलू ने तो पटवारी से आईपीएस तक का सफर तय कर ​लिया।

प्रेमसुख डेलू आईपीएस, गुजरात

प्रेमसुख डेलू आईपीएस, गुजरात

राजस्थान के बीकानेर जिले की नोखा तहसील के गांव रासीसर के प्रेमसुख डेलू की जिंदगी मेहनत, संघर्ष और कामयाबी की मिसाल है। 3 अप्रेल 1988 को जन्मे प्रेमसुख डेलू को अगस्त 2020 में अहमदाबाद डीसीपी जोन-7 के पद पर नियुक्त किया गया है।

गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी प्रेमसुख डेलू वो शख्स हैं, जिन्होंने महज 6 साल में 12 बार सरकारी नौकरी लगकर दिखाया है। वर्ष 2010 में पटवारी से शुरू हुआ इनका सरकारी नौकरी लगने का सिलसिला सिविल सेवा परीक्षा 2015 ने 170वीं रैंक हासिल कर आईपीएस बनने तक जारी रहा।

श्याम सुंदर बिश्नोई, चित्तौड़गढ़ एसडीएम

श्याम सुंदर बिश्नोई, चित्तौड़गढ़ एसडीएम

श्याम सुंदर बिश्नोई राजस्थान के बीकानेर जिले के खाजूवाला के गुलुवाली गांव के रहने वाले हैं। वर्तमान में चित्तौड़गढ़ में एसडीएम के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। श्याम सुंदर बिश्नोई 1. कांस्टेबल सीआईडी (राजस्थान पुलिस) 2. पटवारी, राजस्व मंडल 3. शिक्षक ग्रेड तृतीय (सामाजिक विज्ञान) 4. शिक्षक ग्रेड द्वितीय (अंग्रेजी) 5. सब इंस्पेक्टर, राजस्थान पुलिस 6. अधिशासी अभियंता, नगर पालिका 7. स्कूल व्याख्याता (भूगोल) 8. जिला परिवहन अधिकारी (डीटीओ) 9. ग्राम सेवक 10.कॉपरेटिव इंस्पेक्टर 11. असिस्टेंट प्रोफेसर (कॉलेज शिक्षा) 12. आरएएस अधिकारी आदि पदों पर सरकारी नौकरी लग चुके हैं।

राकेश कुमार व महेंद्र कुमार, किरडोली सीकर

राकेश कुमार व महेंद्र कुमार, किरडोली सीकर

राजस्थान के सीकर जिले के गांव किरडोली के राकेश कुमार व उसके छोटे भाई महेंद्र कुमार की सक्सेस स्टोरी प्रेरित करने वाली है। किसान मोतीलाल तानाण के इन होनहार बेटों में राकेश कुमार 11 बार और महेंद्र कुमार छह बार सरकारी नौकरी लग चुका है। इन्होंने भी कई नौकरियां ज्वाइन तक नहीं की। राकेश व महेन्द्र के पिता मोतीलाल 8वीं पास हैं। लंबे समय से टैम्पू चलाते थे। वर्तमान में खेतीबाड़ी करते हैं। मां कमला देवी पढ़ी-लिखी नहीं हैं। हाउस वाइफ हैं।

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English summary
DoodaRam Hudda Chitalwana SDM 14 times government job in 14 years
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