Rajasthan में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर हवा में लट्ठ चला रहा कांग्रेस हाईकमान, जानिए पूरा मामला
राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कांग्रेस हाईकमान हवा में लट्ठ चला रहा है। प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को तमाम दावों के बावजूद कांग्रेस हाईकमान राजस्थान के मसले को लेकर बेबस साबित हो रहा है।
Rajasthan को लेकर कांग्रेस का हाईकमान की प्रदेश ने नेतृत्व संकट के मुद्दे पर अंदाज और अनुमान लगाता प्रतीत हो रहा है। जो संकट राज्य में पार्टी तथा सरकार दोनों को ही अपनी गिरफ्त में लिए हुए हैं। बहुत सारे वरिष्ठ नेता इस मामले में अपनी अनभिज्ञता और असहायता जताते हुए अपने हाथ खड़े कर चुके हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब इस अव्यवस्था के समाधान की बारी आती है तो गांधी परिवार भी स्वयं को पूरी तरह किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में पाता है। एआईसीसी के नवनियुक्त महासचिव और प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा जो इस पद पर नियुक्त होने के बाद बड़े दृढ़ संकल्प एवं जोश के साथ राजस्थान आए थे। उन्होंने दावे के साथ कहा था कि वह इस प्रकरण का समाधान 9 दिन में कर देंगे। लेकिन उनके इस बयान के बाद ही उनकी बेचारगी उस समय दिखाई दे गई। जब उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी पंजाब के मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। लेकिन उन्हें उपमुख्यमंत्री के रूप में समायोजित होना पड़ा।
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पार्टी में कड़ा संदेश नहीं दे पाए सुखजिंदर सिंह रंधावा
सुखजिंदर सिंह रंधावा अगर अपने स्वयं के मुद्दों को नहीं संभाल सके तो वह पार्टी के मुद्दों को कैसे संभाल लेंगे। अशोक गहलोत ने राहुल गांधी से बजट प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा था और अब उन्होंने विधानसभा का सत्र बुला लिया है। सियासी गलियारों में इसके मायने निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि क्या बजट सत्र के बाद मुख्यमंत्री अपने पद से हट जाएंगे। कांग्रेस हाईकमान क्या आईसीसी के पूर्ण सत्र के बाद 24 से 26 फरवरी के आयोजन तक राजस्थान में परिवर्तन करने की प्रतिज्ञा करेगा। रायपुर में आयोजित एआईसीसी के पूर्ण सत्र में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए हुए मल्लिकार्जुन खड़गे के चुनाव की अभिपुष्टि करेगा तथा इसी सत्र में कांग्रेस समिति के चुनाव भी होंगे। इसके बाद एआईसीसी तथा कुछ राज्यों में पार्टी के पुनर्गठन की प्रक्रिया संपन्न हो सकती है।
प्रदेश में बदलाव से बढ़ सकता है सियासी संकट
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के मुताबिक पार्टी नेतृत्व एआईसीसी के अधिवेशन के बाद भी गोल पोस्ट को आगे खिसकाते रहना चाहता है। क्योंकि नेतृत्व को डर है कि अगर अशोक गहलोत को हटाया गया तथा सचिन पायलट को उनकी जगह राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया तो गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश करेंगे। सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नापसंदीदा व्यक्ति हैं तथा वे इस बात को साफ साफ कह चुके हैं कि वह पायलट को कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। सूत्रों का कहना है कि गहलोत कांग्रेस तथा गांधी परिवार को बहुत बड़ा फंड देते हैं। इसलिए उन्हें अशोक गहलोत को हटाने में मुश्किल आ रही है। जबकि वे इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि गहलोत के नेतृत्व में पार्टी पर्याप्त सीटें नहीं जीत सकती है। अशोक गहलोत का चेहरा पार्टी को जीत नहीं दिला सकता है।
कांग्रेस हाईकमान संशय की स्थिति में
सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी की तरह और भी बहुत से नेतागण अशोक गहलोत से अनुग्रहित तथा उनके प्रति कृतज्ञ है। क्योंकि गहलोत पूरी उदारता के साथ उनकी जरूरतों तथा हितों का ख्याल रखते हैं। ऐसे परिदृश्य में यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है कि नेतृत्व अशोक गहलोत से अनुग्रहित होने तथा सचिन पायलट के किए गए वादों को पूरा करने, नेतृत्व परिवर्तन करने और उन्हें मुखिया बनाने के बीच अंधेरों में फंसा हुआ और जब तब कुछ टटोलता हुआ प्रतीत हो रहा है।