मुख्यमंत्री गहलोत फिर पहुंचे साहू रेस्टोरेंट, जानिए CM क्यों आते हैं यहां कुल्हड़ वाली चाय की चुस्की लेने
जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में चौड़ा रास्ता स्थित साहू रेस्टोरेंट एक बार फिर से चर्चा में है। वजह यह है कि अपने व्यस्त शेड्यूल में से वक्त निकाल सीएम अशोक गहलोत फिर यहां पहुंचे हैं।
मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री गहलोत ने जलदाय मंत्री डॉ बीड़ी कल्ला, मुख्य सचेतक महेश जोशी सहित अन्य नेताओं के साथ साहू रेस्टोरेंट पहुंच कुल्हड़ वाली चाय का आनंद लिया। इसके बाद सीएम गहलोत ने खुद ट्वीट कर जयपुर के फेमस साहू चायवाले की चाय की चुस्की लेने की जानकारी दी। सीएम ने लिखा कि साहू के चाय के स्टाल पर चाय पी, साथ ही बच्चे और लोगों से मुलाकात की। गहलोत इस दौरान स्कूल के बच्चों और लोगों से भी मिले। उन्होंने सब के साथ फोटोज भी खिंचवाई।
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है जब गहलोत साहू रेस्टॉरेंट में चाय पीने पहुंचे हों। पहले ही भी कई बार आ चुके हैं। इससे पहले राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी कई बार यहां चाय पीने पहुंच चुकी हैं। चुनाव प्रचार के दौरान भी कई नेता यहां चाय पीने पहुंचते रहते थे। साथ ही कई स्टार्स भी इस चाय की दुकान पर पहुंच चुके हैं। साहू की चाय के कद्रदानों में धर्मेंद्र, हेमामालिनी, गोविंदा और डैनी जैसी बॉलीवुड की लोकप्रिय हस्तियां भी शामिल हैं।
Had tea at Sahu tea stall, Chaura Rasta, #jaipur...Met children and people here... pic.twitter.com/mYBzAUwmME
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) August 20, 2019
साहू टी स्टॉल की 1964 में रखी नींव
जानकारी के मुताबिक़ जयपुर में साहू टी स्टॉल की नीव 1964 में रखी गई थी। इस टी स्टॉल को शुरू करने वाले लादूराम और उनकी धर्मपत्नी मोती देवी दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी इस छोटी सी टी स्टॉल में बनने वाली चाय के आज भी कद्रदानों की कमी नहीं है। बताते हैं कि शुरुआत में यहां सिगड़ी में चाय बना करती थी। सिगड़ी की मध्यम आंच में सिकती चाय ही इसका आकर्षण हुआ करती थी।
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इसके बाद में लादूराम के तीन पुत्र भंवर, लक्ष्मीनारायण और गणेशराम ने साहू टी स्टाल को चलाने की ज़िम्मेदारी संभाली। अब तीसरी पीढ़ी भी इसी ज़िम्मेदारी को आगे बढ़ा रही है। यहां आने वाले चाय के शौक़ीन कद्रदान बताते हैं इस शॉप में इस्तेमाल होने वाली ताज़ा और अच्छी गुणवत्ता के दूध के साथ ख़ास तरह की चाय पत्ती, मसाले का फ्लेवर और उसकी सिकाई चाय को लाजवाब बना देती है। कई सालों से आज तक वही स्वाद बरकरार है।