जयपुर: भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर ने अशोक गहलोत पर साधा निशाना, बोले कुंठित है गहलोत
जयपुर। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर जयपुर में मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं पोस्टर की राजनीति करने वाला नहीं हूं। अब पार्टी में धीरे धीरे जो हो रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे इसके बारे में कहते हुए कोई संकोच नहीं है। पार्टी के कार्यक्रम भी व्यक्ति केंद्रित हो रहे हैं, व्यक्ति के अनुसार कार्यक्रम हो रहे हैं। यह पार्टी के लिए ठीक नहीं है। पार्टी के कार्यक्रम पार्टी के अनुसार होने चाहिए।
राजस्थान में अभी कई जगहों पर जाना शेष
जोधपुर में पिछले दिनों गृहमंत्री अतिम शाह की रैली में शामिल नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उस दौरान मैं गांव में था और मेरा जन्मदिन भी था। मुझे निमंत्रण भी था और जन्मदिन में आसपास के जिलों के बहुत से कार्यकर्ता वहां गए थे। इस कारण मेरा वहां जाना नहीं हुआ। माथुर ने कहा कि निश्चित रूप से पार्टी जो भी काम देती है तो बाहर भी जाना पड़ता है। राजस्थान में अभी कई जगहों पर जाना शेष है और अब राजस्थान में बहुत आना-जाना होगा। लोगों की अपेक्षा है कि कई जगहों पर मैं आऊं और हो सकता है कि आने वाले दिनों में लगभग आधे से ज्यादा जिलों में जाऊंगा।
सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आपस की लड़ाई में कुंठा झलक रही
भाजपा नेता ओम माथुर ने राजस्थान सीएम अशोक गहलोत को लेकर कहा कि मैं गहलोत को कॉलेज के समय से जानता हूं। मुझे लग रहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत कहीं ना कहीं कुंठित हैं। जिस प्रकार की वाणी का उपयोग बार बार कर रहे हैं। यह पहली बार नहीं जिस तरह से यह प्रेस को धमकी हैं। ये राजस्थान में पहला उदाहरण है कि मुख्यमंत्री को नोटिस मिला है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो प्रेस को चौथा स्तम्भ मानते हैं। वहीं, दूसरी और उसे धमकाने का काम कर रहे हैं। कुल मिलाकर उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आपस की लड़ाई में कहीं न कहीं कुंठा झलक रही है। एक बार नहीं कई बार देखने को मिला है।
गहलोत को लग रहा है कि कहीं न कहीं उनकी नांव भी खतरे में
गहलोत इन वर्षों में अपनी मार्यादाएं भूलकर बाते कर रहे हैं। वे राज्य के मुख्यमंत्री हैं। मर्यादा रखनी चाहिए। मीडिया को धमकी दुर्भाग्य पूर्ण है। मुख्यमंत्री गहलोत को समझना चाहिए। वो प्रदेश के मुखियां हैं और जतना ने उन्हें चुनकर भेजा है। वो जनता के दुख-सुख में खड़े रहें। किसी की खबर छपे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। ये धमकाने का विषय कहा से आ गया है। उन्होंने कहा कि गहलोत को लग रहा है कि कहीं न कहीं उनकी नांव भी खतरे में है।
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