राजस्थान के ग्रामीणों ने पक्षियों के लिए बनाए खास 'स्विमिंग पूल', देशभर से लोग जुड़े, तस्वीरें वायरल
जयपुर। इन दिनों पूरा राजस्थान मानसून 2020 का इंतजार कर रहा है। प्रदेश भीषण गर्मी की चपेट में है। बीते सप्ताह ही राजस्थान के चूरू का अधिकतम तापमान 50 डिग्री को छूकर आया है।
बाड़मेर में बारिश न के बराबर
राजस्थान में बढ़ते तापमान और गर्म हवाओं से न केवल आमजन बल्कि पशु-पक्षी भी बेहाल हैं। बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत सरहदी जिले बाड़मेर, जैसलमेर में है। क्योंकि प्रदेश का यह इलाका न्यून वर्षा वाला है। यहां भूजल स्तर भी काफी नीचे है। यहां नदी और झीलों का तो कोई नामों-निशां तक नहीं है।
इस तरह तैयार होता है बर्डबाथ
ऐसे में बाड़मेर जिले के लोगों में इस साल पक्षियों के लिए अनूठा स्विमिंग पूल बनाने का चलन शुरू हुआ है। इसमें तेल-घी के खाली टिन (पीपे) को काटकर उसके चारों तरफ दाना और बीच में पानी रखा जा रहा है, जिससे पक्षियों को दाना-पानी एक साथ मिल सकें। चिड़ियां और अन्य कई छोटे पक्षियों के लिए यह व्यवस्था किसी स्विमिंग पूल से कम नहीं। इन्हें पानी में नहाते भी देखा जा सकता है।
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ऐसे शुरू हुआ चलन
भारतीय वन सेवा के अधिकारी प्रवीण कस्वां को बाड़मेर के ग्रामीण अंचल की एक तस्वीर मिली, जो पक्षियों के इस अनूठे स्वीमिंग पूल की थी। कस्वां को यह आइडिया बेहद यूनिक लगा। उन्होंने 23 मई 2020 को अपने ट्विटर हैंडल पर फोटो शेयर करते हुए लोगों से भी इस तरह के प्रयास करने की अपील की।
कई जिलों के लोग जुड़े
भारतीय वन सेवा के अधिकारी प्रवीण कस्वां के उस ट्वीट का पॉजिटिव रेस्पांस देखने को मिला। न केवल बाड़मेर के दांता, महाबार, मीठड़ा, सनावड़ा, उण्डखा, बायतु में यह चलन शुरू हो गया बल्कि बीकानेर और अन्य जिलों से भी तेल-घी के खाली पीपे का इस तरह के उपयोग की तस्वीरें सामने आने लगीं।
अन्य राज्यों के लोग भी हुए प्रेरित
मीडिया से बातचीत में प्रवीण कस्वां कहते हैं कि पक्षियों के लिए बनाए अनूठ स्वीमिंग पूल वाले ट्वीट ने दिल जीत लिया। बाड़मेर, राजस्थान ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों के लोग भी ऐसा करने को प्रेरित हुए हैं। लोग अपने-अपने हिसाब से पक्षियों के लिए इस तरह से दाना-पानी की व्यवस्था कर रहे हैं और तस्वीरें भी शेयर कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ का इंजीनियर भी हुआ प्रेरित
छत्तीसगढ़ रायपुर के मैकेनिकल इंजीनियर स्वराज विश्वकुमार ने प्रवीण कस्वां के ट्वीट के जवाब में पीपे से खुद के द्वारा बनाए गए बर्थबाथ की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि वाकई मैं यह बहुत प्रेरित करने वाला काम है। आपके ट्वीट से प्रेरित होकर मैंने भी अपने यहां ये बनाया है।
खाली पीपों का ऐसे कर रहे उपयोग
प्रवीण कस्वां बताते हैं कि लोग तेल व घी के खाली पीपों को बीच में से चारों तरफ से काट लेते हैं। फिर उसे तार या रस्सी से बांध देते हैं ताकि कटा हुआ हिस्सा नीचे नहीं गिरे। उस हिस्से में पक्षियों के लिए दाना रखा जाता है। पीपे के पैंदे वाले हिस्सा में पानी भरा जाता है। फिर उसे किसी से पेड़ से बांध देते हैं ताकि पांच-छह पक्षी एक साथ बेखौफ होकर दाना-पानी कर सकें।
दुकानदार ने 500 पीपे तैयार किए
आईएफएस अधिकारी प्रवीण कस्वां का ट्वीट अखबारों की भी सुर्खियां बना। उसी से प्रेरित होकर बीकानेर के एक दुकानदार और उसके यहां काम करने वालों ने 500 पीपे पक्षियों के लिए तैयार किए। उन्होंने न केवल सार्वजनिक स्थलों पर लगाए बल्कि लोगों को फ्री में वितरित भी किए।
पुणे के विशाल को भी मिला आइडिया
आईएफएस अधिकारी प्रवीण कस्वां के ट्वीट के रिप्लाई में पुणे के विशाल वाडकर लिखते हैं कि रोजाना हर सुबह पक्षियों की चहचाहट सुनता हूं। बहुत अच्छी लगती है, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि पक्षियों को शहर में दाना-पानी कहां मिलेगा। कस्वां सर की पोस्ट देखने के बाद आइडिया आया कि क्यों ना मैं खुद ही इस तरह से पक्षियों को दाना-पानी उपलब्ध करवा सकता हूं। घर में पड़े पुराने पीपे लिए और चाकू की मदद से काटकर महज चार घंटे में इसे तैयार कर लिया। इसके अलावा पक्षियों के पीने और नहाने के इस पानी में मच्छर नहीं पनपे इसके लिए मैंने पानी में गप्पी मछलियों को छोड़ा है।
गुजरात कच्छ से भी आई तस्वीर
प्रवीण कस्वां कहते हैं कि सोशल मीडिया से न केवल इंसान बल्कि जीव जन्तुओं की जिंदगी में बदलाव आ सकता है। गुजरात के कच्छ के एक ग्रामीण ने खाली पीपे का इस्तेमाल पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था के लिए किया है और तस्वीर शेयर की है। दो दिन में देशभर से लोग प्रेरित हुए हैं। राजीव गोयल और रमेश भाम्भू ने भी इस आइडिए को अपनाया है।