राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार भीख के लिए कटोरे थामने वाले हाथों को दे रही रोजगार
जयपुर। जो हाथ कल तक पेट भरने के लिए फैलाए जाते थे, वो हाथ आज रोजगार सीखने के लिए चल रहे हैं। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने यह बड़ा फैसला लेते हुए कौशल विकास विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी है। इसके बाद 'भोर योजना' के माध्यम से भिक्षावृत्ति में लिप्त लोगों के सपने को उड़ान मिलने जा रही है, जो चेहरे चौराहों पर हाथ फैलाकर मजबूरी में पेट पालने की जद्दोजहद में जुटे थे। वो चेहरे अब आपको किसी होटल, रेस्टोरेंट या फिर अपना काम करते देखने को मिलेंगे।
राजस्थान की गहलोत सरकार ने भिक्षावृति में लिप्त लोगों को हुनरमंद करने की ठानी है, जिसके लिए कौशल विकास विभाग को जिम्मा दिया गया है। जगतपुरा में फिलहाल ऐसे लोगों को क्लास लगाकर सामान्य नॉलेज दिया जा रहा है, जिसके बाद उनकी रूचि के अनुसार काम में भी तराशा जाएगा। फिलहाल दो बैच में लगभग 40 लोग यहां पर लाए गए हैं। कैरम में गोटियों से खेलते मध्यप्रदेश के बिंटू ने बताया कि गांव में जमीन जायदाद, परिवार सबकुछ है, लेकिन सिर से साया उठा, तो रोजगार के लिए 12 साल की उम्र में घर से काम के लिए निकल गया।
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लॉक डाउन से पहले तो काम-काज ठीक चल रहा था, लेकिन उसके बाद स्थिति ये बनी कि चौराहे तक आना पड़ गया, क्योंकि पेट भूखा नहीं रह सकता। उधर, हरियाणा के सुरेंद्र सिंह, राजस्थान के बूंदी से राजेंद्र कुमार, धौलपुर के बसेड़ी निवासी मोनू को अब सरकार की इस योजना से काफी उम्मीदे हैं, जो कि किस्मत की मार से अब नए रास्ते पर चल रहे हैं।
कौशल विकास और उद्यमिता विभाग के सचिव नीरज के पवन का कहना है कि सरकार की ये पहल लोगों को कौशल देने और रोजगार देने की है। ऐसे में यह प्रयास सार्थक होंगे इस तरह की उम्मीदें हैं। लूडो गैम में हाथ आजमा रहे, तुलसीदास अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव में भी जीत की ओर से देख रहे हैं। हालांकि तुलसीदास की किस्मत 2004 के बाद बदली। इससे पहले मैकेनिकल की पोस्ट पर काम भी कर चुके हैं। तब तुलसीदास को 16 हजार महिने की पगार ले रहे थे, लेकिन परिवार की परेशानी से काम क्या छूटा, परिवार का साथ भी छूट गया।
अब 16 साल हो गए हैं। तुलसीदास को पता है कि उसका परिवार, अहमदाबाद में रहता है, लेकिन मजबूरी ऐसी कि बात करने तक का मन नहीं कर रहा। हां, लेकिन अब जिंदगी को नई, उम्मीद की किरण नजर आई, तो तुलसीदास अब अपने पैरों पर खड़े होकर, परिवार की सुध लेने की बात भी कह रहे हैं।
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