दर्दभरी दास्तां : 2 भाइयों की 9 बेटियां हो गईं बेसहारा, एक भाई को सांप ने डसा और दूसरे को बीमारी लील गई
जयपुर। यह दर्दभरी दास्तां हैं राजस्थान की राजधानी जयपुर से महज 35 दूर किलोमीटर दूर स्थित गांव चाण्डिया के एक परिवार की। दो भाइयों के इस परिवार में 13 बेटियां और एक बेटा है। एक भाई को बीमारी ले गई और दूसरा सर्पदंश का शिकार हो गया। सिर्फ चार बेटियों की शादी हुई है। ऐसे में शेष 9 बेटियां व एक बेटे के सिर से पिता का साया उठ गया।
बता
दें
कि
इस
परिवार
में
बाबूलाल
शर्मा
बड़े
और
रामचरण
छोटे
थे।
आगरा
हाईवे
से
8
किमी
भीतर
दोनों
भाई
खेती
कर
परिवार
पाल
रहे
थे।
बाबूलाल
की
4
बेटियों
की
शादी
हो
चुकी
है।
लेकिन
4
साल
पहले
इस
परिवार
पर
एक-एक
कर
विपदाएं
आने
लगीं।
बाबूलाल
ऐसे
बीमार
हुए
कि
खाट
से
ही
नहीं
उठे।
मौत
उन्हें
ले
गई।
अपने साथ बड़े भाई के परिवार का जिम्मा भी छोटे भाई रामचरण पर आ पड़ा। नियति का आदेश मान उन्होंने खुद की 7 बेटियों सहित बड़े भाई की 2 बेटियों व एक बेटे के पालन-पोषण का जिम्मा बखूबी निभाया। सबकुछ फिर से ठीक-ठाक चलने लगा लेकिन 27 जुलाई 2019 को खेत में काम करते समय रामचरण को सांप ने डस लिया। परिवार का आखिरी सहारा भी छिन गया।
पति की मौत से लगा सदमा
रामचरण की पत्नी मंजूदेवी का रो-रोकर बुरा हाल है। पति की मौत का सदमा तो लगा ही और पहाड़ सी जिम्मेदारी भी आ पड़ी। आंखों में आंसू लिए कहती हैं कि अब बेटियों का क्या होगा। मौत आनी ही थी तो मुुझे आ जाती, पति जिन्दा रहते तो बेटियां यों बेसहारा न होतीं। वहीं, बाबूलाल की पत्नी मन्नादेवी भी देवर की मौत से गहरे सदमे में हैं। कहती हैं, पति की मौत के बाद बच्चों की जिम्मेदारी देवर पर थी।
17 वर्षीय बेटे के कंधे पर जिम्मेदारी
अब पूरा परिवार बेसहारा हो गया है। परिवार का एकमात्र सहारा बाबूलाल का बेटा 17 वर्षीय कृष्ण है। दोनों भाइयों की सबसे छोटी बच्चियोंं को तो इल्म ही नहीं है कि उनके सिर से पिता का साया उठ चुका है। मां जब भी रोती हैं, रामचरण की 5 वर्षीय पुत्री अनु उसके पास पहुंचकर कहती है, मम्मी रो मत... पापा अभी आ जाएंगे। मासूम बच्ची को इतना भान ही नहीं है कि उसके पापा अब कभी नहीं आएंगे। मंजूदेवी कहती हैं, पहले खेती कर पेट पाल रहे थे लेकिन अब पानी की व्यवस्था नहीं है। खेती से कुछ नहीं मिल रहा तो बेटियों का पेट कैसे भरें? सरकार कोई मदद दे तो बेटियों की परवरिश कर पाएंगे।