लालू का गड़बड़झाला: CBI जांच के चंगुल में पश्चिम मध्य रेल जोन भी !
जबलपुर, 23 मई: रेलमंत्री रहते लालू यादव के राज में रेवड़ी की बटी रेलवे ग्रुप डी की नौकरियों का फर्जीवाड़ा जबलपुर में भी हुआ। 2004 में पश्चिम मध्य रेल जोन बना था। उस दौरान जोन के जीएम दीपक गुप्ता का रिटायरमेंट के वक्त विवादों में घिरे थे। उनका सारा भुगतान रोक ड़ोया गया था। जमीन के बदले नौकरी के इस कांड में पमरे में 300 भर्तियों की बात सामने आ रही है। जिसकी जांच के लिए सीबीआई ने इस रेल जोन पर भी अपनी निगाह टेड़ी कर ली है। हालाँकि रेल जोन के अफसर इस मामले में फिलहाल कुछ भी बोलने तैयार नहीं।

जमीन दो, नौकरी लो...लालू यादव के रेल मंत्री रहते राज में जमकर खेला हुआ। जिसकी परते उधडती ही जा रही है। सीबीआई की जांच में लालू यादव के नाम के साथ शुरू हुई लिस्ट बढ़ती ही जा रही है। हर रेल जोन में इस गडबडझाले को लेकर उथल-पुथल मची है। उन लोगो की साँसे सबसे ज्यादा ऊपर नीचे हो रही है, जिन्होंने जुगाड़ लगाकर जमीन के बदले ग्रुप डी की नौकरी हासिल की या फिर अपने चहेतों को नौकरी दिलाई। पश्चिम मध्य रेल जोन जब बना था उस दौरान ऐसी ही कई भर्तियों की चर्चा जोरो पर है। कहा जा रहा है कि लालू समेत जिन 12 लोगो को आरोपी बनाया गया है, उनमें से एक आरोपी पश्चिम मध्य रेल जोन में नौकरी मिली थी। ज्वाइनिंग के करीब 6 महीने बाद ही उस उम्मीदवार का तबादला बिहार कर दिया गया था।

करीब 11 लाख में लिखी साढ़े नौ हजार वर्ग फीट की जमीन
CBI जांच में बताया गया है कि हजारीराय ने महुआबाग़ की 9527 वर्गफीट जमीन 10.83 लाख रुपये लेकर मेसर्स एके इंफोसिस्टम कंपनी के नाम लिख दी थी। जिसके एवज में उसके दो भांजे दिलचंद कुमार की WCR और प्रेमचंद कुमार को पूर्वोत्तर रेलवे कोलकाता में नौकरी दिलाई थी। इसके बाद कंपनी ने अपने सभी अधिकारों के साथ सारी संपत्ति के अधिकार लालू की बेटी मीसा और पत्नी राबडी यादव के नाम कर दिए गए थे।

5 सालों में 300 लोगों को अस्थाई के बाद परमानेंट किया
लालू यादव के कार्यकाल में पश्चिम मध्य रेल जोन करीब 300 भर्ती हुई। 6 से 7 महीने के भीतर सभी को परमानेंट कर उनका तबादला बिहार कर दिया गया। ऐसे में उन लोगो का अधिकांश रिकॉर्ड जबलपुर में भी हो सकता है। 2004 से 2009 के बीच ग्रुप डी भर्ती वाले सभी दस्तावेज खंगाले जा रहे है। जिससे रेल जोन में हडकंप मचा है। उस वक्त जोन के जीएम रहे दीपक गुप्ता पर अनुशासन और अपीलीय नियम के तहत कार्यवाही चर्चाओं में थी।