Jabalpur News: सजा की मूल तारीख से मानी जाएगी संसोधित सजा, पेंशन मामले में हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश
जबलपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में व्यवस्था दी कि जिस तारीख को मूल दंड दिया गया, संशोधित दंड भी उसी तारीख से माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को पेंशन के एरियर्स का भी ब्याज सहित भुगतान किया जाए।
Important order of jabalpur High Court:पेंशन के एक मामले में मप्र हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश दिया है। मामला यूनियन बैंक के रिटायर्ड मैनेजर की अनिवार्य सेवानिवृत्ति मामले में निर्देश दिए है कि सजा वाली तारीख से ही संसोधित सजा लागू होगी। साथ ही उसी समय से पेंशन का ब्याज समेत भुगतान करना होगा। दरअसल 2009 में बैंक के मैनेजर को लोन के प्रकरण में बर्खास्त किया गया था।
एमपी के जबलपुर हाईकोर्ट में यूनियन बैंक से अनिवार्य रूप से सेवानिवृत सीनियर मैनेजर अरविन्द जैन ने याचिका दायर की थी। लोन के एक प्रकरण में अनियमिताओं के आरोप में बैंक ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। अपील भी खारिज हो गई थी। जिसके बाद बैंक के सीनियर ऑफिसर के समक्ष दया अपील प्रस्तुत की गई। जिस पर उनकी सजा में संसोधन हुआ। अनिवार्य सेवानिवृत्ति में तब्दील बर्खास्तगी की सजा के बाद जैन ने पेंशन के लिए आवेदन दिया। जिसे निरस्त कर दिया गया। कोर्ट में दायर याचिका में बताया गया कि सरकार की ओर से 1995 से 2010 के बीच अनिवार्य सेवानिवृत्त हुए लोगों के लिए पेंशन के दूसरे विकल्प की योजना लाई गई थी। उसके बाबजूद पेंशन का उन्हें लाभ नहीं दिया जा रहा है। जबकि बर्खास्तगी 2009 में हुई थी, फिर 2018 में सजा संसोधित हुई।
अधिवक्ता मिश्रा ने याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी कि मूल रूप से बर्खास्तगी की सजा 3 दिसम्बर 2009 को दी गई, इसे 2018 में अनिवार्य सेवानिवृत्ति के रूप संसोधित किया गया। हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों और अन्य जजमेंट पर गौर करते हुए आदेश दिया कि मूल दंड जिस तारीख को दिया गया, संसोधित सजा भी तभी से मानी जाएगी। लिहाजा याचिकाकर्ता को ब्याज समेत पेंशन एरियर्स का भुगतान किया जाए। बताया गया कि अरविंद जैन जब यूनियन बैंक कई एक शाखा के मैनेजर थे, तब लोन के प्रकरण में हुई अनियमितताओं को लेकर दोषी माना गया था और बर्खास्त कर दिया गया था।