Jabalpur News: बहुत हो गया फर्जीवाड़ा, अब नहीं चलेगी मनमानी, हॉस्पिटल मालिकों को कलेक्टर की दो टूक
जबलपुर, 30 अगस्त: पहले न्यू लाईफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भीषण अग्निकांड फिर सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल की आड़ में करोड़ों का फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य महकमे की पोल खुल गई हैं। अग्निकांड के लिए बनाई गई जांच कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है। इसके साथ ही स्वास्थ्य योजनाओं के नाम प्राइवेट अस्पतालों में चल रही धांधली से स्थानीय प्रशासन के होश उड़े हुए है। जबलपुर कलेक्टर डा. इलैयाराजा टी. ने चेतावनी दी है कि अब ये गड़बड़झाला किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
डॉ. अश्वनी पाठक फर्जीवाड़ा से किरकिरी
एमपी के जबलपुर में 'होटल में अस्पताल' के साथ आयुष्मान योजना फर्जीवाड़ा उजागर होने से प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर कई सवाल उठ रहे है। जबलपुर कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी. ने भी ऐसे कृत्य को बेहद गंभीर माना हैं। आम जनता की सेहत से खिलवाड़ और जरुरतमंद पात्र लोगों की शासकीय योजनाओं का हक़ जिस तरह से डकारा जा रहा है, उस पर कई सवाल उठ रहे है। जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसे बड़े खेल नामुमकिन है। यही वजह से कि सरकार की पहले भी किरकिरी हुई और अभी भी हो रही है।
प्राइवेट नर्सिंग होम और अस्पताल संचालकों की बैठक
तमाम तरह की गड़बड़ियाँ सामने आने के बाद एक बार कलेक्टर ने जिले के निजी नर्सिंग होम और अस्पताल संचालकों की बैठक की। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में सुरक्षा संबंधी मापदंडों में कमी किसी भी हालत में स्वीकार नहीं होगी। जांच में पाई गई खामियां पता लगने के बाबजूद भी यदि अस्पताल संचालक अपना ढर्रे में सुधार नहीं लाएंगे, तो उन पर कार्रवाई में अब ज़रा भी देरी नहीं लगाई जाएगी। आपको बता दें कि पिछले दिनों अस्पतालों के निरीक्षण में लगभग आधा सैकड़ा हॉस्पिटल में फायर सेफ्टी और कई तरह की कमियां सामने आई है।
नहीं चलेगी प्रोविजनल फायर NOC
अस्थाई फायर एनओसी और सुरक्षा संबंधी कमियों को दूर करने में निजी अस्पतालों द्वारा बरती जा रही ढिलाई पर कलेक्टर ने नाराजगी व्यक्त की। प्रशासन इस मामले में सख्त है और किसी तरह की ढिलाई स्वीकार नहीं करेगा। कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि प्रोविजनल फायर एनओसी के आधार पर किसी भी निजी अस्पताल का संचालन नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने शासन के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि, निजी अस्पतालों को टेम्परेरी फायर एनओसी प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रिकल सेफ्टी आडिट कराना जरूरी है। टेम्परेरी फायर एनओसी के आवेदन तभी स्वीकार किए जाएंगे, जब आवेदन के साथ इलेक्ट्रिकल सेफ्टी आडिट की रिपोर्ट संलग्न होगी।
जांच के बाद ही मिलेगी टेम्परेरी एनओसी
कलेक्टर ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की टीम द्वारा निजी अस्पतालों के निरीक्षण में पाई गई कमियों से अस्पताल संचालकों को अवगत करा दिया गया है। उन्हें नोटिस भी जारी किए गए हैं। अस्पताल संचालकों को इन कमियों को जितनी जल्दी हो सके दूर करना होगा। कमियों के दूर हो जाने के बाद एक बार फिर अस्पतालों का निरीक्षण होगा और संतुष्ट होने के बाद ही उन्हें टेम्परेरी फायर एनओसी जारी की जाएगी।
आयुष्मान कार्ड से फर्जीवाड़े पर भी चर्चा
बैठक में आयुष्मान कार्ड धारियों को फर्जी मरीज बनाकर भर्ती करने के मामले में निजी अस्पताल के खिलाफ जारी कार्रवाई का भी जिक्र किया गया। कलेक्टर ने कहा कि सभी निजी अस्पतालों को इसे गंभीरता से लेना होगा। इस तरह की स्थिति न बने, इसके लिए सचेत रहना होगा। उन्होंने आयुष्मान योजना को शासन की महत्वपूर्ण योजना बताते हुए कहा कि निजी अस्पताल आयुष्मान कार्ड धारियों को उपचार के लिए भर्ती करने से मना नहीं कर सकते। इसके साथ ही फर्जी मरीजों को भर्ती कर कमाई करने वाले अस्पतालों पर FIR दर्ज होगी।
दोबारा हादसा न हो इसलिए सख्ती
कलेक्टर ने बैठक में साफ किया कि प्रशासन चाहता है कि दुबारा कोई हादसा न हो। इसके लिए प्रशासन हर कीमत पर सतर्कता बरतेगा। यह निजी अस्पतालों की भी जिम्मेदारी है कि व्यवस्था को बेहतर बनाने में वे स्वयं आगे आएं, ताकि मरीजों को बेहतर ईलाज को साथ-साथ सुरक्षित वातावरण भी उपलब्ध कराया जा सके।
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