IPL 2020: कभी गोलगप्पे बेचा करते थे धोनी को हाथ जोड़कर नमस्कार करने वाले भदोही के 'यशस्वी', जानिए खास बातें
भदोही। दौलत-शौहरत के रण आईपीएल 2020 का खूबसूरत आगाज 19 सितंबर से हो चुका है, क्रिकेट प्रेमियों ने इसका जोरदार स्वागत किया है, जिसका साक्षात उदाहरण है वो विश्व रिकॉर्ड, जो कि सिने दर्शकों ने बनाया है, जी हां, इस सीजन के पहले मैच, जो कि चेन्नई सुपर किंग्स और मुंबई इंडियंस के बीच हुआ था, को 20 करोड़ लोगों ने देखा, जो कि अपने आप में एक बेहद खास बात है।
सोशल मीडिया पर छाए राजस्थान रॉयल्स
फिलहाल मंगलवार की शाम राजस्थान रॉयल्स के नाम रही, मालूम हो कि राजस्थान रॉयल्स ने आईपीएल सीजन-13 के चौथे मैच में चेन्नई सुपर किंग्स(सीएसके) को 16 रन से हराकर एक रोमांचक जीत दर्ज की और इसी वजह से राजस्थान रॉयल्स इस वक्त सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं।
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यशस्वी जायसवाल ने किया धोनी को हाथ जोड़कर नमस्कार
लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा इस टीम के सबसे युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल की हो रही है, जिनका कल आईपीएल का पहला मैच था, हालांकि उनका डेब्यू मैच उम्मीद के हिसाब से अच्छा नहीं रहा और वो मात्र 6 रन बनाकर पवेलियन लौट गए लेकिन इसके बावजूद वो चर्चा का विषय हैं, दरअसल यूपी के भदोही ( संत रविदास नगर) के रहने वाले यशस्वी जायसवाल तभी से ही चर्चित हैं, जब से उन्हें राजस्थान रॉयल्स ने अपनी टीम के लिए खरीदा था।
— Dhoni Fan (@mscsk7) September 22, 2020 |
यशस्वी का वीडियो हुआ वायरल
दरअसल यशस्वी जायसवाल कल टॉस के दौरान मैदान पर थे और उनकी टीम के कैप्टन स्टीव स्मिथ और चेन्नई के कैप्टन के बीच टॉस होने जा रहा था, तभी यशस्वी की नजर धोनी पर पड़ी और उन्होंने हाथ जोड़कर चेन्नई के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को नमस्कार किया, जो कि कैमरे में कैद हो गया, यशस्वी का यूं धोनी के सामने हाथ जोड़ना उनके मन में भारत के सबसे सफलतम कप्तानों में से एक रहे माही के सम्मान को प्रकट कर गया और इसी वजह से वो अब सशल मीडिया पर लोगों के बीच चर्चा का विषय हैं।
11 साल की उम्र में मुंबई आए थे यशस्वी
आपको बता दें यशस्वी का यहां तक का सफर काफी संघर्षों से गुजरा है, भदोही में उनके पिता भूपेंद्र की छोटी सी पेंट की दुकान है, आर्थिक हालात अच्छे ना होने के बावजूद भूपेंद्र जायसवाल ने अपने बेटे को कभी क्रिकेट खेलने से रोका नहीं, वो बताते हैं कि बचपन से ही यशस्वी में क्रिकेटर बनने का जुनून था। 11 साल की उम्र में उन्होंने पिता से मुंबई जाने की जिद की थी तो उन्होंने उसे नहीं रोका और मुंबई के वर्ली इलाके में रहने वाले एक रिश्तेदार यहां भेज दिया। यशस्वी 5-6 महीना वहीं रहे। वह यहां से आजाद मैदान में प्रैक्टिस करने जाते थे लेकिन, रिश्तेदार के घर पर यशस्वी काफी दिनों तक नहीं रह सकते थे।
मैदान के बाहर गोलगप्पे बेचा करते थे यशस्वी
फिर उनके रिश्तेदार ही उन्हें आजाद ग्राउंड के ग्राउंडमैन सुलेमान के पास ले गए और फिर यशस्वी वहीं पर सुलेमान के ही साथ रहने लगे, वो सुलेमान के साथ करीब तीन साल तक टेंट में रहे और क्रिकेट के दांवपेच सीखे लेकिन ये तीन साल बहुत कष्ट से गुजरे।
'नहीं पापा, बिना कुछ बने मैं वापस नहीं आऊंगा'
भूपेंद्र ने कहा कि मैंने कई बार कहा कि वापस आ जाओ, तो वो बोलता था कि नहीं पापा, बिना कुछ बने मैं वापस नहीं आऊंगा। इन तीन सालों में यशस्वी ने आजाद मैदान के बाहर गोलगप्पे बेचे, एक दूध वाले के यहां काम किया, जिसके लिए वह उसे रोजाना 20 रुपए देता था।
ज्वाला सिंह से हुई मुलाकात और पलट गई किस्मत
लेकिन हालात ने करवट ली और यशस्वी की मुलाकात आजाद ग्राउंड में चल रहे एक मैच के दौरान कोच ज्वाला सिंह से हुई, जिनकी शांताक्रूज में एकेडमी है। वह यशस्वी के खेल से प्रभावित हुए। उन्होंने उससे पूछा-कोच कौन है तुम्हारा? यशस्वी ने जवाब दिया कोई नहीं, मैं बड़ों को देखकर सीखता हूं, ज्वाला सिंह को यशस्वी का खेल काफी पसंद आया और उसके बाद वो उसके कोच बन गए और यहां से यशस्वी के जीवन में नया मोड़ आया।
राजस्थान ने 2.4 करोड़ रुपये में खरीदा है यशस्वी को
यशस्वी का चयन अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए हुआ, जहां उन्होंने 6 पारियों में 5 हाफ सेंचुरी लगाई थीं। इसके बाद विजय हजारे ट्रॉफी में वह लिस्ट ए क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज भी बने। उन्होंने मुंबई के लिए 203 रनों की पारी खेली थी और फिर आईपीएल की नीलामी में उन्हें राजस्थान ने 2.4 करोड़ रुपये में खरीदा था।