भारत की पूर्ण स्वदेशी COVAXIN को जिम्बाब्वे ने दी मंजूरी, अफ्रीकी महाद्वीप का पहला देश
हरारे। कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ पूर्ण रूप से भारत में निर्मित कोवैक्सीन को जिम्बाब्वे ने उपयोग की अनुमति दे दी है। जिम्बाब्वे में स्थित भारतीय दूतावास ने इस बारे में जानकारी दी है। इसके साथ ही भारतीय कोवैक्सीन को अनुमति देने वाला जिंबाब्वे अफ्रीका का पहला देश बन गया है।
तीसरे चरण के परीक्षण के नतीजे जारी
राजधानी हरारे स्थित भारतीय दूतावास ने ट्वीट कर लिखा "जिम्बाब्वे ने भारत की स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन के उपयोग की मंजूरी दी है। ऐसा करने वाला अफ्रीका का पहला देश बन गया है। इसे जल्द ही जिम्बाब्वे में प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है।"
कोवैक्सीन का निर्माण हैदराबाद स्थित कंपनी भारत बॉयोटेक और इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने मिलकर किया है। जिम्बाब्वे में ये मंजूरी ऐसे समय में सामने आई है जब एक दिन पहले ही भारत बॉयोटेक ने तीसरे चरण के परीक्षण के नतीजे जारी करते हुए जानकारी दी थी कि कोवैक्सीन 81 प्रतिशत प्रभावी है।
70 फीसदी प्रभावी है ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन
इसके पहले जब जनवरी में भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन के साथ कोवैक्सीन के देश में आपात इस्तेमाल की अनुमति दी थी उस समय इसे लेकर कई सवाल खड़े किए गए थे। कहा गया कि वैक्सीन को बिना तीसरे चरण का ट्रायल पूरा किए बिना ही आपात उपयोग की अनुमति दे दी गई। इसके पहले पिछले साल के आखिर में ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को तीसरे चरण के परीक्षण के बाद 70 फीसदी प्रभावी पाया गया है। ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को भारत की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बना रही है जो वैक्सीन की डोज के हिसाब से विश्व की सबसे बड़ी निर्माता कंपनी है।
पीएम मोदी ने भी ली है कोवैक्सीन की डोज
सोमवार को जब देश में कोरोना वायरस वैक्सीन की दूसरी डोज दी जा रही थी उसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 वैक्सीन की पहली डोज ली। खास बात यह थी कि प्रधानमंत्री को जो वैक्सीन दी गई वह भारत बॉयोटेक से निर्मित कोवैक्सीन ही थी। पीएम मोदी का ये कदम कोवैक्सीन को लेकर उत्पन्न को रही शंकाओं के निवारण के लिए भी था। उन्हें 28 दिन बाद दूसरे डोज दी जाएगी।
अपनी 'वैक्सीन मैत्री' पहल के तहत भारत अब तक कई देशों को कोविड वैक्सीन की डोज भेज चुका है। हालांकि भारत से जो डोड भेजी जा रही है वह सीरम इंस्टीट्यूट में बन रही कोविशील्ड के हैं। पिछले महीने भारत बायोटेक ने 40 से अधिक देशों में कोवाक्सिन के लिए मंजूरी मांगी थी। अब तीसरे चरण के ट्रायल नतीजे आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही कई देश जिम्बाब्वे के नक्शेकदम पर चलते हुए कोवैक्सीन के लिए ऑर्डर करेंगे।