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जानिए उस शख्‍स के बारे में जो चीन की हर 'कारस्‍तानी' के बारे में दुनिया को बताता है

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बीजिंग। 15 जून को गलवान घाटी घटना के बाद से आप हर कहीं एक शख्‍स का नाम हर जगह पढ़ रहे होंगे और उनके जरिए चीन की तरफ से आने वाले बयानों के बारे में जान रहे होंगे। यह शख्‍स कोई और नहीं है बल्कि चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता के झाओ लिजियान हैं। झाओ यूं तो कोरोना वायरस महामारी के समय से ही सक्रिय हैं लेकिन पिछले करीब 10 दिन से उनकी सक्रियता काफी बढ़ गई है। झाओ के बारे में जानना इसलिए भी बहुत जरूरी हो गया है क्‍योंकि पिछले दिनों भारत के हर जर्नलिस्‍ट को अपने ट्विटर हैंडल से ब्‍लॉक कर दिया है।

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विदेश मंत्रालय के 31वें प्रवक्‍ता

विदेश मंत्रालय के 31वें प्रवक्‍ता

सन् 1983 में चीन के विदेश मंत्रालय में प्रवक्‍ता का पद बनाया गया था। झाओ इस मंत्रालय के 31वें प्रवक्‍ता हैं। साल 1996 में उन्‍होंने विदेश मंत्रालय में एशियाई मामलों के विभाग को ज्‍वॉइन किया और एशिया में खासतौर पर अपनी सेवाएं दी हैं। 10 नवंबर 1972 को चीन के हुबेई में जन्‍में झाओ को उस समय से लोकप्रियता मिलनी शुरू हो गई थी जब वह पाकिस्‍तान में पोस्‍टेड थे। ट्विटर पर काफी सक्रिय हैं और यह बात भी दिलचस्‍प है कि ट्विटर चीन में ब्‍लॉक है। झाओ को चीन में 'वोल्‍फ वॉरियर्स' राजनयिकों की पीढ़ी का नया राजनयिक माना करार दिया जाता है।

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झाओ ने चीन के गलवाने दावे पर दिया बयान

झाओ ने चीन के गलवाने दावे पर दिया बयान

यह झाओ ही थे जिन्‍होंने पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के गलवान पर दावे को सार्वजनिक किया था। झाओ ने 17 जून को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा था, 'गलवान घाटी हमेशा से ही चीन की संप्रभुता में आता था। भारत की सीमा पर तैनात जवानों ने इसमें उलटफेर की है और हमारे बॉर्डर प्रोटोकॉल्‍स का गंभीर उल्‍लंघन किया है जो सीमा से जुड़े मुद्दों पर है और जिन पर हम कमांडर लेवल वार्ता के दौरान निष्‍कर्ष पर पहुंचे थे। उन्‍होंने आगे कहा, 'हम भारत से कहेंगे वह अपने जवानों को गंभीरता के साथ अनुशासन में रहने के लिए कहे, पहले बाधा डालने वाली और भड़काऊ गतिविधियों को बंद करे, चीन के साथ आए और सही रास्‍ते पर वापस आकर इस मसले को बातचीत के जरिए सुलझाए।'

2019 तक पाकिस्‍तान में थी तैनाती

2019 तक पाकिस्‍तान में थी तैनाती

झाओ ने साल 2005 में उन्‍होंने कोरिया डेवलपमेंट इंस्‍टीट्यूट से पब्लिक पॉलिसी में मास्‍टर्स डिग्री ली थी। साल 2009 में उन्‍हें अमेरिकी राजधानी वॉशिंगटन डीसी स्थित चीनी दूतावास में सचिव का पद मिला। साल 2013 में उन्‍हें फिर एशियाई मामलों के विभाग में वापस बुला लिया गया। साल 2015 से अगस्‍त 2019 तक वह इस्‍लामाबाद में चीनी काउंसलर और मिनिस्‍टर काउंसलर के तौर पर तैनात थे। उनके कार्यकाल के दौरान ट्विटर पर वह आधिकारिक हैंडल के लिए मोहम्‍मद लिजियान झाओ नाम का प्रयोग करते थे।

साल 2017 में नाम से हटाया मोहम्‍मद

साल 2017 में नाम से हटाया मोहम्‍मद

साल 2017 में उन्‍होंने नाम से मोहम्‍मद हटा दिया। यह फैसला उन्‍होंने तब लिया जब चीन ने शिनजियांग में कई इस्‍लामिक नामों को बैन कर दिया था। झाओ अक्‍सर अपने ट्विटर हैंडल का प्रयोग अमेरिका की आलोचना करने के लिए करते आ रहे हैं। जुलाई 2019 में वह ट्विटर पर पूर्व अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा की राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) सुसैन राइस के साथ उलझ गए थे। राइस ने शिनजियांग में उइगर मुसलमानों को लेकर ट्वीट की और लिजियान को 'रंगभेदी' करार दिया। इस विवाद के बाद झाओ का कद चीन की सरकार में काफी बढ़ गया था और उन्‍हें प्रमोट करके विदेश मंत्रालय में प्रवक्‍ता का पद सौंप दिया गया।

कोरोना वायरस के लिए अमेरिका को बताया जिम्‍मेदार

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मार्च माह में बीजिंग में कोरोना वायरस पर एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस हुई। इस प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में झाओ ने कहा कि अभी तक इस निष्‍कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है कि कोरोना वायरस का ओरिजिन क्‍या है और यह कहां से निकला, इस बात की जांच जारी है। वहीं ट्विटर पर झाओ ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपेयो की उस समय आलोचन की जब कोरोना वायरस को वुहान वायरस कहकर संबोधित किया गया। इसके बाद 12 मार्च को झाओ ने पहले इंग्लिश और फिर चीनी भाषा में ट्वीट किए। इन ट्वीट्स में उन्‍होंने अमेरिकी सेना पर आरोप लगाया कि वह वायरस को वुहान लेकर आई थी। अमेरिकी प्रशासन ने झाओ ने पारदर्शिता बरतने और मरीजों के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की बात कही।

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English summary
Zhao Lijian: Know the Chinese diplomat a spokesperson of foreign Ministry.
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