यमन की छाती पर बैठकर मौत का नंगा नाच करता सऊदी अरब
सना। पश्चिमी एशिया का सबसे गरीब और मानवीय संकट से जूझता यमन में युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। सऊदी और उनकी गठबंधन वाली सेना ने यमन ने पिछले दो सप्ताह में जबरदस्त कहर बरपाया हुआ है। यमन के सादह प्रांत में सऊदी अरब ने मिसाइल लॉन्च कर एक स्कूल बस को उड़ा दिया। गुरुवार को हुए इस हमले में कुल 51 लोगों की मौत हुई और करीब 80 लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए, इस अटैक में ज्यादातर बच्चों की मौत हुई है। करीब तीन साल पहले यमन में हुति विद्रोहियों से लड़ने के लिए सऊदी सेना ने यमन में एंट्री की थी, जिसमें अब तक 10 हजार से भी ज्यादा निर्दोष मारे जा चुके हैं।
यमन की सुनने वाला कोई नहीं?
हैरान करने वाली बात यह है कि आए दिन सऊदी और उनके गठबंधन वाले देशों के हमलों का शिकार होने वाले यमन की सुनने वाला कोई नहीं दिखाई दे रहा है। यमन में सऊदी अरब के अत्याचार पर यूएन समुदाय सिर्फ आलोचना करने का काम कर रहा है और हमलों उसी गति से जारी है। उधर अमेरिका और यूरोप जैसे बड़े देशों ने खाड़ी देश सऊदी से इतनी गहरी दोस्ती बना ली है कि उनके नरंसहार के आगे सभी ने आंखों पर पट्टी बांध दी है। अमेरिका और यूरोप के बड़े देश जो बात-बात पर दूसरे देशों के खिलाफ प्रतिबंधों की बात करते हैं, वे इस तेल संपन्न मुल्क के आगे अपनी जबान तक नहीं खोल पा रहे हैं।
हुति विद्रोहियों से लड़ने के लिए सऊदी अरब की सेना ने यमन में डाला डेरा
सऊदी पर कोई दबाव नहीं
यमन में मार्च 2015 से चल रहे सऊदी अरब के विध्वंसकारी रवैये को रोकने के लिए अब तक किसी भी देश ने जरुरत तक नहीं समझी है और ना ही इस विनाशकारी अभियान को रोकने के लिए किसी भी प्रकार का गंभीर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया गया है। सादह प्रांत में स्कूल बस में जो मासूम बच्चे मिसाइल अटैक में मारे गए, उस पर सऊदी ने बड़े ही बेशर्मी से इस 'एक वैध सैन्य कार्रवाई' बताते हुए कह दिया कि उनका निशाना बच्चे नहीं थे। एक साथ 30 स्कूली बच्चों की जिंदगियां लील करने वाले सऊदी को एक पल के लिए इसका दुख तक नहीं हुआ।
सऊदी की गोद में जाकर बैठा यमनी राष्ट्रपति
सऊदी का मानना है कि यमन में जो शिया हुति विद्रोही है, उनको ईरान से समर्थन मिल रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि यमन के राष्ट्रपति अबदल-रब मंसूर अल-हादी तो पिछले साल फरवरी (2014 में तख्तापलट के बाद) में ही अपने देश को छोड़ कर सऊदी चले गए थे और तभी से वे अपने परिवार के साथ वहां आराम से अपनी जनता को सऊदी मिसाइलों के नीचे मरते हुए देख रहे हैं। हालांकि, राष्ट्रपति हादी का बीच में एक दो बार जमीर जगा भी था और उन्होंने यमन वापस जाने के लिए सऊदी किंग से गुहार भी लगाई थी, लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया गया।
शिया-सुन्नी की लड़ाई में यमन बर्बादी की ओर
यमन में तीन सालों से युद्ध चल रहा है और सऊदी व यूएई ने मिलकर जमकर बमबारी की है, लेकिन विद्रोहियों ने सना समेत कई बड़े जगहों पर अपना कब्जा और ज्यादा गहरा कर लिया है। एक तरफ अमेरिका है जो सऊदी को खुल्लेआम सपोर्ट कर रहा है, तो वहीं दूसरे बड़े मुल्क सिर्फ यमन में खूनखराबे पर सिर्फ आलोचना करने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और राज्य की आक्रामक विदेश नीति से यमन और खाड़ी के हालात और ज्यादा बद से बदतर हो जाएंगे। इस शिया-सुन्नी और पावर की लड़ाई में स्थिति और ज्यादा बिगड़ेगी। यमन में जो वर्तमान हालात पैदा हो रहे हैं, उससे ऐसा दूर-दूर तक नहीं लग रहा कि सऊदी क्राउन प्रिंस यमेनी सरकार और विद्रोहियों के बीच बातचीत प्रस्ताव रखकर निपटारे के लिए दबाव डालेंगे।
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