चीन के मुसलमान बच्चों को नहीं पहना सकेंगे 'धार्मिक ड्रेस', धार्मिक शिक्षा भी बैन
चीन। चीन नें मुस्लिम बहुल झिंजियांग प्रांत के लिए धार्मिक अधिकारों से जुड़े नए कानूनों की घोषणा की है। अब इस प्रांत में माता-पिता अपने बच्चों को किसी धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए नहीं कह पाएंगे।
चीन के झिंजियांग प्रांत में चीन की ज्यादातर मुस्लिम आबादी रहती है। प्रांत में रहने वाले उइगुर मुसलमानों लंबे समय से चीन की सरकार से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं।
झिंजियांग से मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों के हनन का आरोप चीन पर लगता रहा है। इस क्षेत्र मे चीनी नीतियों के खिलाफ लड़ने वालों पर सरकार कार्रवाई करती रही है। इस क्षेत्र में हालिया सालों में सैकड़ों लोगों की जान चीनी सुरक्षा बलों से टकरावों में गई हैं।
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नहीं पहन सकेंगे धार्मिक दिखने वाले कपड़े
अब चीन की सरकार मुस्लिम बहुल झिंजियांग के लिए एक और नया कानून लेकर आई है। नए नियम के मुताबिक कोई भी अभिभावक या संगठन बच्चों को धर्म के बारे में नहीं बताएगा और ना ही उसे किसी धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने को मजबूर करेगा।
ये नियम स्कूलों में भी जारी होंगे, किसी भी स्कूल में टीचर धर्म से संबंधित कोई क्रियाकलाप नहीं कर सकेगा। साथ ही बिना सरकारी अनुमति के चल रहे मुस्लिम मदरसों पर भी चीन की सरकार शिकंजा कसेगी।
धार्मिक मामलों को लकर बनाए गए नए नियम 1 नवंबर से लागू हो जाएंगे। इन नियमों के लागू होने के बाद इस धार्मिक दिखने वाले लिबास और कोई सिंबल (टोपी आदि) बच्चे नहीं पहनेंगे।
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कोई भी संगठन या अभिभावक इन नियमों के खिलाफ जाएंगे तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। झिंजियांग प्रांत में सरकार मर्दों के दाढ़ी रखने और औरतों के बुर्का और हिजाब पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुकी है।
बच्चों को चरमपंथ से दूर रखने की कोशिश
बताया जा रहा है कि बच्चों को चरमपंथ से दूर रखने के लिए ऐसा किया गया है। सरकार ने कहा है कि सभी अपने बच्चों को ऐसा स्कूल और माहौल से दूर रखें, जो उनको चरमपंथ की तरफ ले जाए।
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उईगुर मुसलमान अपने ऊपर लगाई गई सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक बंदिशों के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहते हैं, जिनको चीन बेरहमी से कुचलता रहा है।
झिंजियांग के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर इलहाम तोहती को 2014 में तीन की सरकार ने अलगाववादी कहते हुए जेल में डाल दिया था। इलहाम को हाल ही में मानवधिकारों के लिए लड़ने के लिए अवार्ड मिला है।