शी जिनपिंग का तिब्बत दौरा भारत के लिए है खतरा, अमेरिकी सांसद ने क्यों किया आगाह ? जानिए
वॉशिंगटन, 27 जुलाई: एक प्रभावशाली अमेरिकी सांसद ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के हालिया तिब्बत दौरे को भारत के लिए खतरा बताया है। उन्होंने इसके लिए अमेरिका के जो बाइडेन प्रशासन की भी खिंचाई की है। जिनपिंग पिछले हफ्ते ही अचानक तीन दिवसीय दौर पर तिब्बत के निंग्ची पहुंच गए थे। यह इलाका अरुणाचल प्रदेश की सीमा से बिल्कुल सटा हुआ है। जिनपिंग चीन की सत्ताधारी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के महासचिव भी हैं। इसलिए, उनका यह दौरा राजनयिक तौर पर सामान्य चश्मे से नहीं देखा जा सकता। तिब्बत में उन्होंने तिब्बत मिलिट्री कमांड के बड़े अधिकारियों से भी मुलाकात की थी और इलाके में चीन की ओर से चल रहे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का भी जायजा लिया था।
भारत को धमकाने के लिए तिब्बत गया चीनी तानाशाह-अमेरिकी सांसद
फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में रिपब्लिकन पार्टी के सांसद डेविन न्यून्स ने कहा है,'पिछले हफ्ते ही चीन के तानाशाह शी जिनपिंग भारत की सीमा के पास तिब्बत में जीत के दावे कर रहा था। 30 सालों में यह पहली बार था....मेरा मानना है कि एक चीनी तानाशाह तिब्बत गया था, और भारत को धमकी भी दे रहा था कि एक अरब से अधिक लोगों वाला जो परमाणु शक्ति भी है; भारत को धमका रहा था कि वह एक बहुत बड़ा वॉटर प्रोजेक्ट बनाने जा रहा है, संभत: भारत के पानी को रोकने के लिए।' बता दें कि जो आशंका अमेरिकी सांसद अब जता रहे हैं, इसका शक काफी वक्त से जाहिर किया जा रहा है।
चीन पर अमेरिकी सांसद ने बाइडेन सरकार को भी लताड़ा
निंग्ची यात्रा के दौरान जिनपिंग ब्रह्मपुत्र नदी के बेसिन में इकोलॉजिकल संरक्षण का जायजा लेने के लिए न्यांग रिवर ब्रिज तक भी गए थे। तिब्बती भाषा में ब्रह्मपुत्र को यारलुंग जांगबो कहते हैं। चीन ने इसी साल ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर एक विशाल डैम बनाने की योजना को भी मंजूरी दी है, जो मौजूदा 14वीं पंचवर्षीय योजना में ही तैयार होनी है। चीन का यह मंसूबा भारत और बांग्लादेश के लिए चिंताजनक है। जिनपिंग के इस इरादे को भांपते हुए ही अमेरिकी सांसद ने जो बाइडेन प्रशासन की खिंचाई की है। उन्होंने कहा है कि वॉशिंगटन में आप चाहे जो भी प्रोपेगेंडा कर लें, लेकिन 'सच्चाई है कि चीन का मार्च शुरू है और बाइडेन प्रशासन ने वो जो करना चाहे उन्हें वह करने के लिए छोड़ दिया है।'
लद्दाख में टकराव के बीच जिनपिंग ने की ये हरकत
दरअसल, शी जिनपिंग का यह अघोषित तिब्बत दौरा ऐसे वक्त में हुआ है, जब पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिक कई मोर्चों पर अभी भी तनाव की स्थिति में हैं। यही नहीं बीच-बीच में चीन भारत के अभिन्न हिस्से अरुणाचल प्रदेश को भी दक्षिण तिब्बत का हिस्सा कहकर शिगूफा छोड़ने की कोशिश करता रहता है। जबकि, भारत उसके दावों को हमेशा से खारिज कर चुका है। तिब्बत पर चीन के 'अवैध' कब्जे के चलते भारत और चीन एक-दूसरे से 3,488 किलो मीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से विभाजित हैं।