शी जिनपिंग को चीन में भी घिरने का लग रहा है खतरा, AI को लेकर आई बड़ी रिपोर्ट
नई दिल्ली- चीन ने पूरी दुनिया को कोरोना की चपेट में लाने के बाद भारतीय उपमहाद्वीप के कई देशों को बेवजह सैन्य टकराहटों में उलझाकर रख दिया है। भारत के साथ लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक उसने स्थिति लगातार विस्फोटक बनाकर रख दी है। पिछले चार-पांच महीनों में उसने उकसावे वाली कोई कसर नहीं छोड़ी है। म्यामांर और दक्षिण चीन सागर में अलग आतंक मचा रखा है। लेकिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को इतने भर से भी सुकून नहीं है। वह अपने मुल्क के एक-एक नागरिक की खुफियारी करवाने की मुहिम में जुट गए हैं। उन्हें डर है कि कहीं उनके खिलाफ घर में ही तो बगावत का झंडा ना बुलंद हो जाए। वह हर विरोधी को विरोध से पहले ही पकड़ लेने के इरादे से विज्ञान का इस्तेमाल कर रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से रियल-टाइम बेसिस पर चीन की करीब डेढ़ अरब आबादी पर एक साथ नजर रखना चाहते हैं।
शी जिनपिंग को चीन में भी घिरने का लग रहा है खतरा
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत समेत पूरी दुनिया के लिए परेशानियां पैदा करने की कोशिशें की हैं, लेकिन एक अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट से लगता है कि अपनी करतूतों के चलते वो अपने देश में भी चैन की नींद नहीं सो पा रहे हैं। अमेरिका के अटलांटिक पब्लिकेशन में छपी एक लेख में दावा किया गया है कि जिनपिंग चीन पर पूरी तरह से एक तानाशाह की तरह का कंट्रोल चाह रहे हैं, जिसके लिए वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल की कोशिश कर रहे हैं। अटलांटिक पब्लिकेशन के मुताबिक, 'समाज पर डिजिटल सिस्टम के जरिए पूर्ण नियंत्रण रखने और रियल टाइम बेसिस पर प्रचलित अल्गोरिद्म के जरिए संभावित असंतोष की पहचान और निगरानी की जाती है। वैसे चीन पहले से ही करोड़ों कैमरे लगवा चुका है, चीन सरकार को भरोसा है कि जल्द ही खास सार्वजनिक स्थलों का पूरा वीडियो कवरेज हासिल कर लिया जाएगा।'
एआई के जरिए चीन के हर एक नागरिक पर जिनपिंग की होगी नजर
लेखक रॉस एंडरसन अपनी लेख में आगे लिखते हैं कि 'समय के साथ इससे बहुत बड़े पैमाने पर विभिन्न स्रोतों से जुटाए गए आंकड़ों को एकसाथ मिलाकर उनका सटीक विश्लेषण किया जा सकेगा, मसलन- यात्रा का विवरण, दोस्त और संबंधित लोगों के बारे, पढ़ने की आदतें, खरीदारी आदि के माध्यम से। इसके जरिए किसी भी राजनीतिक विरोध के शुरू होने से पहले ही उसका अनुमान लगाया जा सकेगा।' जानकारों को लगता है कि शी जिनपिंग की 2030 तक चीन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सर्वश्रेष्ठ बनाने की महत्वाकांक्षा है, लेकिन, उससे भी काफी पहले वह देश की करीब डेढ़ अरब आबादी पर अभूतपूर्व राजनीतिक पकड़ बना लेंगे।
बहुत ही खतरनाक है जिनपिंग का मंसूबा
अमेरिकी पब्लिकेशन ने लिखा है कि चीन के लिए खुफियागीरी करवाना कोई नया काम नहीं है। 2008 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक से पहले उसने देश के इंटरनेट पर एक नए स्तर का कंट्रोल स्थापित कर लिया था। कोविड-19 के समय उन्हें (जिनपिंग) संवेदनशील निजी डेटा के लिए प्राइवेट कंपनियों के भरोसे रहना पड़ा। लेकिन, वह यह सब चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के पास स्थायी तौर पर जुटाना चाहते हैं। लेकिन, सबसे बड़ी बात की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बदौलत वह सबसे दमनकारी अधिनायकवादी हथियार प्राप्त करना चाहते हैं, ताकि उन्हें माओत्से तुंग की तरह विरोधियों की सूचना जुटाने के लिए कैडरों की जरूरत ना पड़े, बल्कि यह सबकुछ उन्हें एक जगह मिल जाएगी।
यह प्रयोग भी मुस्लिम आबादी पर ही करेंगे जिनपिंग
एंडरसन लिखते हैं कि जिनपिंग को इसके लिए चीन के कई महत्वपूर्ण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप्स मिल भी गए हैं और इसके लिए उन्होंने कॉमर्शियल सहयोगियों को भी खोज निकाला है। जबकि शिंजियांग प्रांत की अल्पसंख्यक मुस्लिम (उइगर) आबादी के रूप में उनके इस प्रयोग के लिए जनसंख्या तो पहले से ही मौजूद है।
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