‘हमने अपने बेटे को दफनाया और आगे बढ़ गये’, भूख-प्यास से मरते सोमालिया की रूलाने वाली कहानी
विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुसार, पूर्वी अफ्रीका स्थिति ये देश सोमालिया, पिछले चार दशकों में सबसे खराब सूखे की स्थिति से गुजर रहा है, जिसने अफ्रीका के हॉर्न में जीवन को संकट में डाल दिया है।
मोगादिशू, जून 12: बारिश नहीं होने से फसल खराब हो चुकी है और पानी नहीं होने के चलते बगरियां मर चुकी हैं और हिर्सियो मोहम्मद दक्षिण पश्चिम सोमालिया स्थिति अपने घर को अपने बच्चों के साथ छोड़ जीवन बचाने के लिए पलायन कर चुकी है। हिर्सियो मोहम्मद के आठ बच्चे हैं, जिनमें से तीन बच्चों के पैरों में चप्पल नहीं है, लेकिन उन्हें कितने दिनों के बाद नया ठिकाना मिलेगा, कहा नहीं जा सकता। आसमान में खौलता सूरज जमीन को जला रहा है और बच्चों के पांव पर फफोले आ चुके हैं। ये सोमिलिया की स्थिति है।
सोमालिया की रूलाने वाली कहानी
हिर्सियो मोहम्मद का साढ़े तीन साल का बेटा भोजन और पानी के लिए बेजार होकर रोए जा रहा है, लेकिन रास्ते में कोई ऐसा नहीं मिला, जो भीख में भी सही, एक घूंट पानी दे, या उसके बच्चे को थोड़ा खाना खिला थे। हिर्सियो मोहम्मद बताती है, "हमने उसे दफनाया, और चलते रहे।" इंडियन एक्सप्रेस में छपी हिर्सियो मोहम्मद को लेकर रिपोर्ट रूलाने वाली है। हिर्सियो मोहम्मद बताती है, कि वे चार दिनों के बाद डुलो शहर में एक सहायता शिविर में पहुंचे, लेकिन उनकी कुपोषित 8 साल की बेटी हबीबा को जल्द ही खांसी हो गई और वो मर गई। पिछले महीने अपने अस्थायी तंबू में बैठी हिर्सियो मोहम्मद अपनी ढाई साल की बेटी मरियम को गोद में लेकर बोलीं, ''इस सूखे ने हमें खत्म कर दिया है।''
सोमालिया में खतरनाक स्थिति
विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुसार, पूर्वी अफ्रीका स्थिति ये देश सोमालिया, पिछले चार दशकों में सबसे खराब सूखे की स्थिति से गुजर रहा है, जिसने अफ्रीका के हॉर्न में जीवन को संकट में डाल रहा है। केन्या, इथियोपिया और सोमालिया में 2 करोड़ लोग भीषण भूखमरी का सामना कर रहे हैं। स्थिति तो पहले से ही खराब थी, लेकिन यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने विकराल स्थिति को अब बेकाबू कर दिया है। यूक्रेनी गेहूं पर निर्भर रहने वाले सोमालिया में गेहूं की आपूर्ति रूक चुकी है और और ईंधन, भोजन और उर्वरक की कीमतों में तेजी से लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। (तस्वीर- @UN Assistance Mission in Somalia)
भूख से कांप रहा अफ्रीका
पूरे अफ्रीका में भूख का खतरा इतना विकट है, कि पिछले हफ्ते, अफ्रीकी संघ के प्रमुख, सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी साल ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन के अनाज और उर्वरक के निर्यात पर नाकाबंदी हटाने की अपील की। चोरी किए गए यूक्रेनी गेहूं को अफ्रीकी देशों को बेचने के रूसी प्रयासों के बारे में यहां तक कि अमेरिकी राजनयिकों ने चेतावनी भी दी, लेकिन गेहूं की आपूर्ति शुरू नहीं हुई है। सबसे विनाशकारी संकट सोमालिया में सामने आ रहा है, जहां देश के अनुमानित एक करोड़ 60 लाख लोगों में से लगभग 70 लाख लोगों को भोजन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। यूनिसेफ द्वारा प्रबंधित एक डेटाबेस के अनुसार, जनवरी से अब तक कम से कम 448 बच्चे गंभीर कुपोषण से मर चुके हैं। (तस्वीर- @UN Assistance Mission in Somalia)
आर्थिक मदद मिलना हुआ मुश्किल
पहले कोविड संकट और फिर यूक्रेन युद्ध, यूनाइटेड नेशंस की वित्तीय ट्रैकिंग सेवा के मुताबिक, केंद्रित सहायता दाताओं ने सोमालिया के लिए आवश्यक 1.46 अरब डॉलर में से केवल 18 प्रतिशत ही दिया। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के विश्व खाद्य कार्यक्रम के सोमालिया देश के निदेशक एल-खिदिर दलौम ने कहा कि, 'यह दुनिया को एक मोरल और इथिकल दुविधा में डाल देगा'। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में अब्दी लतीफ दाहिर ने अपने लेख में लिखा है, कि सोमालिया में भीषण अकाल की वजह से नदियां पूरी तरह से सूख चुकी हैं, कुओं में पानी नहीं है, लिहाजा पालतू जानवरों का सफाया हो रहा है। सैकड़ों हजारों की तादाद में परिवार देश के अलग अलग हिस्सों से पलायन कर रहे हैं। सोमालिया में सैकड़ों मील तक गधों या बसों के सहारे अपने अपने क्षेत्र को छोड़ते लोग काफी आसानी से दिख जाएंगे, जिन्हें आपातकाली स्तर पर पानी और भोजन और दवा चाहिए। (पीटीआई)
अस्पतालों की स्थिति भी खराब
हिर्सियो मोहम्मद अपने बच्चों को लेकर राजधानी मोगादिशू में आती है और फिर उसने कुपोषित बच्चों को बेनादिर अस्पताल में भर्ती किया जाता है, जो सोमालिया का एकमात्र बच्चों के लिए बचा ठीक-ठाक अस्पताल है। बच्चों के शरीर में मांस सूख चूके हैं और हड्डियों को आंखों से ही गिना जा सकता है। शरीर अपने प्राकृतिक रंगों को खो चुका है। अस्पताल में कई और बच्चे दिखते हैं, जो खसरे जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं, जिन्हें नाक की नलियों के जरिए खिलाया जा रहा है। बच्चों को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत है। बच्चों की माएं अस्पताल की गलियारों में बैठी रहती हैं, जो खुद स्थिति से लड़ते लड़ते हड्डी हो चुकी हैं, फिर भी बच्चे कपोषण से सही हो जाएं, इसलिए उनके लिए मुंगफली का पेस्ट बना रही हैं। यूनिसेफ के अनुसार, यूक्रेन में युद्ध और महामारी, जिसने सामग्री, पैकेजिंग और आपूर्ति श्रृंखला को और अधिक महंगा बना दिया है, उसके कारण इस जीवन रक्षक उत्पाद की कीमत में 16 प्रतिशत तक की वृद्धि का अनुमान है। (तस्वीर- @UN Assistance Mission in Somalia)
अस्पताल में विभत्स तस्वीरें
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बेनादिर अस्पताल में अदन रियाद का चार साल का बेटा भी हैजा वार्ड में भर्ती है, जिसके हाथ को अदन रियाद ने पकड़ रखा है। बच्चों की पसलियां उभरी हुई हैं। अदन रियाद कुछ दिन पहले अपने बच्चे को लेकर राजधानी पहुंचे हैं, क्योंकि नदी में पानी कम होने के बाद खाड़ी के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में उसके लिए मक्के और बीन की खेती करना नामुमकिन हो गया था, लिहाजा उन्होंने खेती को बीच में ही छोड़ दिया। मोगादिशू में, वह अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ विस्थापित लोगों के लिए एक भीड़ भरे शिविर में बस गए, जहां उनके पास न तो शौचालय था और न ही पर्याप्त स्वच्छ पानी। बिना नौकरी के वह अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर सकते थे। अपने बेटे को अस्पताल ले जाने से एक रात पहले, उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे के दिल की धड़कन को सुनता रहा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसकी मृत्यु नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि, 'जब मैं उसे यहां लाया तो वह अपनी आंखें भी नहीं खोल सका'।
आतंकी संघर्ष ने देश को बनाया कब्रिस्तान
अदन रियाद और उनका परिवार इस साल सूखे से विस्थापित हुए 560,000 लोगों में शामिल हैं। आदिवासी और राजनीतिक संघर्षों और आतंकवादी समूह अल-शबाब से लगातार बढ़ते खतरे से 30 लाख सोमाली लोगों को विस्थापित किया है। दक्षिण और मध्य सोमालिया के ग्रामीण इलाकों में, खतरे और खराब सड़क नेटवर्क ने अधिकारियों या सहायता एजेंसियों के लिए जरूरतमंद लोगों तक पहुंचना मुश्किल बना दिया है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि लगभग 900,000 सोमालियाई शबाब द्वारा नियंत्रित दुर्गम क्षेत्रों में रहते हैं, जबकि सहायता कर्मियों का मानना है कि ये आंकड़े अधिक हैं। वहीं, दक्षिणी गेडो क्षेत्र के डिप्टी गवर्नर मोहम्मद अली हुसैन ने स्वीकार किया कि, स्थानीय अधिकारी अक्सर उन क्षेत्रों में नहीं जा पाते हैं, जहां जरूरतमंदों की मदद के लिए पहुंचना जरूरी होता है और उन्हें संकट के लिए कॉल आता है।
जारी है सोमालिया का संघर्ष
सोमालिया को अपना पेट भरने के लिए अपनी जरूरत का आधे से ज्यादा खाना खरीदना पड़ता है और सोमालिया में गरीब पहले से ही अपनी आय का 60 से 80 प्रतिशत भोजन पर खर्च करते हैं। यूक्रेन से गेहूं की हानि, आपूर्ति-श्रृंखला में देरी और बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण खाना पकाने के तेल और चावल और ज्वार जैसे स्टेपल की कीमतों में तेज वृद्धि हुई है। सीमावर्ती शहर डूलो के एक बाजार में, दो दर्जन से अधिक टेबलों को छोड़ दिया गया क्योंकि विक्रेता अब स्थानीय खेतों से उपज का स्टॉक नहीं कर सकते थे। शेष खुदरा विक्रेताओं ने कुछ ग्राहकों को चेरी टमाटर, सूखे नींबू और कच्चे केले की मामूली आपूर्ति बेच दी।
मारे जा चुके हैं 30 लाख से ज्यादा जानवर
जूस और स्नैक्स की दुकान चलाने वाले अदन मोहम्मद जैसे व्यापारियों का कहना है कि चीनी, आटा और फलों की कीमतें बढ़ने के बाद उन्हें अपनी कीमतें बढ़ानी पड़ीं। उन्होंने कहा कि, यहां "सब कुछ महंगा है।" कई सोमालियों ने कहा कि उन्होंने मांस और ऊंट के दूध में कटौती की है। निगरानी एजेंसियों के अनुसार, 2021 के मध्य से अब तक 30 लाख से अधिक झुंड के जानवर मारे गए हैं। सूखा उन सामाजिक समर्थन प्रणालियों को भी प्रभावित कर रहा है जिन पर सोमालियाई संकट के दौरान निर्भर करते हैं। लेकिन, अब हजारों भूखे और बेघर लोगों ने राजधानी में बाढ़ ला दी है, लेकिन राजधानी के पास उन्हें खिलाने या जिंदा रखने के लिए कुछ नहीं है।