World lockdown: कच्चे तेल का भंडारण होगी विश्व के लिए बड़ी चुनौती, जानिए कितनी कम हो जाएगी कीमत
Crude oil demand has fallen due to global lockdown due to Corona. Storing it with a steep fall in prices can cause a big problem in front of the world. Experts believe that the price of petrol can reach zero.
बेंगलुरु। कोरोना वायरस के कारण भारत ही नहीं दुनिया के अधिकांश देशों में लॉकडाउन हैं । जिस कारण 24 घंटे राजमार्ग खाली पड़े हुए है योजनाएं ठप्प पड़ी हुई और फैक्ट्रियां बंद पड़ी हुई है। इस लॉकडाउन के कारण पेट्रोल, डीजल की मांग में अभूतपूर्व गिरावट आई है, कच्चे तेल की कीमतें सोमवार को 18 सालों के निचले स्तर पर पहुंच गई। माना जा रहा हैं कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले कुछ ही समय में कच्चे तेल स्टोरेज के लिए भी जगह कम पड़ जाएगी और पेट्रोल के दाम शून्य तक पहुंच सकते हैं।
सऊदी अरब और रूस के बीच शुरु हुई प्राइस वॉर
दरअसल पूरा विश्व कोरोना से बचने के लिए लॉकडाउन का सहारा लिया जा रहा है। यात्राओं पर प्रतिबंध लागू किए गए हैं, जिसके चलते कच्चे तेल पर भारी दबाव है। एशियाई बाजार में कच्चे तेल की कीमत 18 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। वहीं दूसरी ओर कच्चे तेल के दो शीर्ष देश सऊदी अरब और रूस के बीच प्राइस वॉर जारी है, जिसका असर कच्चे तेल की कीमत पर दिख रहा है। ऐसे में दोनों ही देशों के बीच अब तेल के दामों को कम करने की होड़ सी मच चुकी है। वहीं अमेरिका ने अभी भी अपने ऑयल प्रोडक्शन को कम नहीं किया हैं। ऐसे में लॉकडाउन के दौरान भी अत्याधिक तेल का प्रोडक्शन और सप्लाई होने के कारण जल्द ही ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती हैं कि दुनिया भर में तेल के सभी अनावश्यक बैरल को स्टोर करना मुश्किल हो जाएगा।
कच्चे तेल का भंडारण करना होगा चुनौती
न्यूबर्गर बर्मन के सीनियर इनर्जी एनालिसिस्ट जेफ विल का कहना है कि विश्व भर में लॉकडाउन के कारण तेल की मांग के स्तर में इतनी गिरावट हो चुकी है कि ये तेल को कहां स्टोर किया जाए ये एक बहुत बड़ी चुनौती होगी। दूसरे शब्दों में कहें तो गोल्डमैन सैक्स कंपनी के अनुसार ऐसे में तेल के लिए भंडारण सुविधाएं, रिफाइनरियां, टर्मिनल, जहाज और पाइपलाइन अपनी क्षमता तक भर जाएंगे। कंपनी का कहना है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी जैसी 1998 के बाद से नहीं हुआ है। वहीं तेल बाजार में आ रही गिरावट के चलते निवेशक भी अब काफी सतर्क हैं और निवेशक जल्द ही होने वाले जोखिम के आधार पर मूल्य लगाना शुरू कर देंगे।
मांग घटने के कारण कंपनियां बेच रही सस्ते दामों पर तेल
हालांकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट और ब्रेंट जैसी कंपनियों ने तेल की कीमतें 20 डॉलर प्रति बैरल रखते हुए कारोबार कर रही हैं, वहीं रीजनल कंपनियां इससे बहुत कम कीमतों पर व्यापार कर रही हैं। ये लैंडलॉक किए गए ग्रेड के लिए सही भी है क्योंकि तेल का भंडारण उनके लिए और भी पेचीदा हैं। जेबीसी एनर्जी के विश्लेषकों ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की जिसमें बताया है कि तेल आपूर्ति के लिए मांग इतनी तेजी से गिर रही है कि बहुत जल्द कई उत्पादकों का मुख्य मुद्दा लाभ कमाना नहीं, बजाय ये सुनिश्चित करना होगा कि वो कच्चे तेल के लिए एक आउटलेट की तलाश कर सके।
ये करने के बावजूद तेल स्टोरेज के लिए कम पड़ेगे साधन
जनरल ऑफ बॉयलाजिकल (जेबीसी) का तेल भंडारण के विकल्प के बारे में कहना है एक बहुत मात्रा में कच्चे तेल सप्लाई करने वाले बड़े जहाजों में अगर उनमें ही भंडारन करके रख दिया जाए तो लगभग 20% अस्थायी भंडारण बन सकता है। लेकिन ये भी कम पड़ेगा।
मई तक ये हो सकते हैं हालात
बता दें अप्रैल में प्रति दिन लगभग 6 मिलियन बैरल ऐसे होगे जिनको कोई भी पूछने वाला भी नही होगा। वहीं मई महीने तक इसकी कीमत प्रति दिन 7 मिलियन बैरल तक बढ़ जाएगा।
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